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Stories related to कळावे लोभ असावा

Vinod Mishra

"न लोभ थमा,न क्षोभ थमा." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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Parasram Arora

लोभ की धूल

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White लोभ की धूल तों उड़ती रहेगी और ख्वाहिशों का 
शोर भी होता र
तुम विवेक का मंत्र जपते रहना और..खुद को.हर प्रलोभन और  स्ममोहन से बचाते रहना

©Parasram Arora लोभ की धूल

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

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मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये

person

इस कलयुग में मनुष्य ही असुर हैं और आसुरी भी मन के भाव और भावनाएं दूषित हो तो नकारात्मक सोच और विकार ग्रसित कर देती हैं मन के विकार मनके

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इस कलयुग में 
मनुष्य ही 
असुर हैं और आसुरी भी
मन के भाव और भावनाएं दूषित हो 
तो नकारात्मक सोच 
और विकार ग्रसित कर देती हैं 
मन के विकार मनके छह प्रकार के विकार उत्पन्न होते है। इनको छह रीपु भी कहते है। यथा काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, मात्सर्य 
स्वार्थ , ईर्ष्या , क्रोध , अहंकार , घमंड, अभिमान , गुस्सा ,
लालची स्वभाव ,
नास्तिक व्यवहार ,
असत्य ,झूठ ,
अपशब्द , दुष्टता,
यह सब नरक  के द्वार खोलते हैं 
और इन्हीं सबसे मनुष्य की पतन होती हैं

©person इस कलयुग में 
मनुष्य ही 
असुर हैं और आसुरी भी
मन के भाव और भावनाएं दूषित हो 
तो नकारात्मक सोच 
और विकार ग्रसित कर देती हैं 
मन के विकार मनके

person

पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं अवगुण और अहंकार, घमंड, लालची स्वभाव ,

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गीता में, श्रीकृष्ण अर्जुन को अपनी ब्रह्मविद्या द्वारा जीवन के मार्ग के बारे में बोध करते हैं। काम (लोभ), क्रोध और लोभ को तीनों नरक द्वार कहा गया है। इन तीनों गुणों के द्वारा मनुष्य को अनिष्ट का अनुभव होता है और यह उसे सांसारिक बन्धनों में फंसा देते हैं। 

पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार।

क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं

©person पांच तरह के विकार होते हैं काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार
क्रोध, लोभ, मोह, मिथ्या भाषण यह सब अवगुण हैं 
अवगुण और अहंकार, घमंड, लालची स्वभाव ,

SONA DEVI

#love_shayari #love_shayari #लव #शायरी #कविता #viral Love #कॉमेडी बाखबर का संदेश। यदि हलाल करने का शौक है तो अपने काम, क्रोध, लोभ, मोह, अह

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