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jcp jasveer
वो परखते रहे बिछा कर सफेद चादरें...! वफ़ा मेरे जिस्म के खून लाल की...! जेसीपी जसवीर 9872812115 jcpjasveer12115@gmail.com #सफेद_चादरें
इतना ही कहना था
साफ चीजों पर दाग बहुत लगता है, दाग को अलग अलग रंग समझ कर खुद को रंगते रहो रंगीन रहो, ©इतना ही कहना था #सफेदीकरंग
Deepmala Pandey Raipur
सफेद साडी़ पर बदनामी का दाग हर कोई लगाना चाहता है , लेकिन कोई सफेद साडी़ पहनने वाली के मन को रंगना नहीं चाहता , उसके बदन को हर कोई नोचना चाहता है लेकिन जीवन को कोई संवारना नहीं चाहता , घर के बाहर हर कोई खुशियाँ देना चाहता है , लेकिन घर में कोई गृहप्रवेश कराना नहीं चाहता , क्यों नियती ने यह खेल खेला , रंगीन साडी़ को इज्जत मिली और सफेद को हर कोई मटमैला करना चाहता "दीप" #सफेद_साडी़
करिश्मा ताब
अजीब है न सफेद रंग की किस्मत भी सफेद रंग एक विधवा जब धारण करती है तब उसकी आने वाली जिंदगी बेरंग हो जाती है _by @Karishma वहीं सफेद रंग नेता जब धारण करके निकले तब उसकी आने वाली नस्लें तक रंगीन हो जाती हैं #सफेद_रंग#और_किस्मत
Internet Jockey
सफेद फूल बे रंग नहीं होते जिसे सफेदी का पता हो ©Internet Jockey सफेद फूल बे रंग नहीं होते जिसे सफेदी का पता हो
सफेद फूल बे रंग नहीं होते जिसे सफेदी का पता हो
read moreAnkit waghela
ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है.. अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है! कुछ अनुभव..कुछ संभावित ये उपचार होते है.. दोस्त! यहां दो और दो चार नहीं होते है! जान बचाना बाए हाथ चमत्कार थोड़ी है.. मशगूल ये हाथ..कभी हमारे अपने भी खो देती है। ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है.. अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है! दर्द से वाकिफ हम भी..यहां रोज होते है.. बेबाक बने नैन..बस रोने को आंसू नहीं होते है! लाचार आंखे.. लथपथ खून.. चिंखो से शामे होती है.. एक रात गुजार के देख.. यहां सवेरे नहीं होते है! इल्तेज़ा बस इतनी तुजसे..है इन्सान हम भी.. आसान नहीं.. बचाना एक नन्ही सी जान भी.. शिफा तो खुदा की! बस मेरे प्रयास होते है.. ना लिहाज..ना लहेजा..क्यो मारने को तेरे हाथ होते है? डर है..अब एक दिन हम भी कतराएंगे.. जब खो देंगे हमें.. क्या पाएंगे..क्या गवाएंगे.. ज़हेनसीब में.. वाह! मेरा पेशा क्या इंसानियत बोती हैं.. जान के बदले जान..ये अंकीत हमारी किमत होती है! ये पहेनी जो सफेदी.. अब चुभन सी होती है.. अल्लाह बोल दिया मुझे..बस नमाज़ी में घुटन सी होती है! ©Dr. Ankit waghela #सफेदी #PoetryUnplugged
" शमी सतीश " (Satish Girotiya)
जाम-ए-जिंदगी से , जिदंगी, कतरा-कतरा छलक रही है हमारी , एक तुम हो जिसे फर्क नहीं पड़ता, इक ये उम्र तेरे इंतजार में, गुज़र रही है हमारी। मिला था एक दोस्त पुराना, कल भरे बाजार में, देखते ही बोला, "शमी", दाढ़ी अब सफ़ेद हो रही है तुम्हारी। ©" शमी सतीश " (Satish Girotiya) #सफेदी
Deepesh Kumar
होली तो चली गई, अतरंगी रंगों को इस जहाँ में बिखेर कर, हमे तो हमेशा सफेदी अच्छी लगती है सफेदी #Happy_holi
सफेदी #Happy_holi
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