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Dharmendra singh
समय ने जब भी अंधेरों से दोस्ती की है जलाकर अपना ही घर हमने रोशनी की है। सबूत है मेरे घर में धुएँ के धब्बे कभी यहां उजालों ने खुदकुशी की है । न लड़खड़ा कभी ,कभी न बहका हूं पिलाने में फिर तुमने क्यों कमी की है । गोपालदास नीरज के पुण्यतिथि पर कोटि-कोटि नमन। ©Dharmendra singh गोपाल दास नीरज
गोपाल दास नीरज
read moreदि कु पां
कोई रंग-बिरंगे कपड़ों पर रीझा, मोहा कोई मुखड़े की गोराई से, लुभा किसी को गई कंठ की कोयलिया, उलझा कोई केशों की घुंघराई से, जिसने देखी, बस मेरी डोली देखी, नहीं किसी ने पर दुल्हन भोली देखी, तन के तीर तैरनेवाले मिले सभी, मन के घाट नहानेवाला नहीं मिला। सुख के साथी मिले हजारों ही, लेकिन लेकिन दुःख में साथ निभानेवाला नहीं मिला। : गोपाल दास नीरज जी द्वारा लिखित गोपाल दास नीरज जी द्वारा लिखित..
गोपाल दास नीरज जी द्वारा लिखित..
read moreMehfil-e-Mohabbat
खुशी जिसने खोजी वो धन ले के लौटा हंसी जिसने खोजी चमन ले के लौटा मगर प्यार को खोजने जो चला वो न तन ले के लौटा न मन ले के लौटा ©Mehfil-e-Mohabbat ✍️♥️ गोपाल दास नीरज ♥️✍️
✍️♥️ गोपाल दास नीरज ♥️✍️
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