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Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी महापुरुष का चिंतवन ,सर्व समाजिक होता है जातियों और भाषाओं में जो बांट दे वो संकुचन समाज होता है गुरुनानक की समदर्शिता सर्वव्यापी थी हमारी परम्पराओ का सन्देशवाहक बन आया था प्रकाश फैले ज्ञान का,सेवा को ही भगवान तक पहुँचने का माध्यम बनाया था प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #paper वो संकुचन समाज होता है #nojotohindi
#paper वो संकुचन समाज होता है #nojotohindi
read moreअमित चौबे AnMoL
जिस प्रकार हर द्रव्य द्रव नही होता परन्तु हर द्रव द्रव्य अवश्य होता हैं, इसी प्रकार हर मनुष्य अच्छा नही होता, पर हर अच्छा व्यक्ति मनुष्य ही होता है #अच्छे_मनुष्य_बनिये #द्रव -बहने योग्य #द्रव्य -पदार्थ #मनुष्य #मानवता #अनमोल_तुम #व्यक्तित्व
#द्रव -बहने योग्य #द्रव्य -पदार्थ #मनुष्य #मानवता #अनमोल_तुम #व्यक्तित्व
read moreNEERAJ SIINGH
शायरी का सफेद मोम लिए फिरता हूँ सादगी और दोस्ती का गोंद लिये फिरता हूँ गर रिस रहा हो कोई गम तो बता देना ऐ दोस्त क्या पता जमाने की दीं हुई दरारे इस नाज़ुक मरहम से भर जाएं... किसी के काम आजाऊँ मैं ये होम लिए फिरता हूँ.. होम - यज्ञ में आहुति में प्रयोग होने वाला द्रव्य #neerajwrites #yqbaba #yqdada #yqdidi #yqquotes #yqtales #yqhindi
राजवीर 'रसिक'
माँ तेरे अगणित रूप हैं पर , नव रूप दिव्य है नूतन है । तू सत्य प्रेम वात्सल्य शक्ति तू जीवों का अंतर्मन है । हर भक्त उपासक आराधक मनवांछित पा लेता तुमसे, हे ब्रह्म , विष्णु , शिव की जननी , करबद्ध कोटिशः वंदन है । माँ तेरे अगणित रूप हैं पर , नव रूप दिव्य है नूतन है । तू द्रव्य प्रेम वात्सल्य शक्ति ,तू जीवों का अंतर्मन है । हर भक्त उपासक आराधक मनवांछित
माँ तेरे अगणित रूप हैं पर , नव रूप दिव्य है नूतन है । तू द्रव्य प्रेम वात्सल्य शक्ति ,तू जीवों का अंतर्मन है । हर भक्त उपासक आराधक मनवांछित
read moreyogesh atmaram ambawale
माया ही वेडी ही असे,माया म्हणजेच भ्रम, माया म्हणजे जिव्हाळा,आपुलकी,स्नेह,प्रेम. माया ही जादू असे,माया म्हणजे नुसताच भास, माया ज्यांस द्रव्य वाटे,त्यांस फक्त पैशाचा हव्यास. शुभ प्रभात लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो आताचा विषय आहे माया... #माया१ आज यावर सुंदर सुंदर चारोळी लिहा. #collab #yqtaai लिहीत राहा. #YourQuote
Raj Aryan
वो चरक ही क्या जिसके द्वारा जिसके द्वारा तुझे विस्तार से मै जान भी ना पाऊ सब कुछ जानकर भी तेरा हाथ की नाड़ी पकड कर तुझमे खो ना जाऊ तो मै वैद्य कैसा | अगर मै तुझ मै उतरकर भी अपनी युक्ति से उस द्रव्य गुण की औषधि के रूप, रस, गंध से तेरे हर दुख का निवारण कर पाऊं तो मै वैद्य कैसा | वो चरक ही क्या जिसके द्वारा जिसके द्वारा तुझे विस्तार से मै जान भी ना पाऊ सब कुछ जानकर भी तेरा हाथ की नाड़ी पकड कर तुझमे खो ना जाऊ तो
वो चरक ही क्या जिसके द्वारा जिसके द्वारा तुझे विस्तार से मै जान भी ना पाऊ सब कुछ जानकर भी तेरा हाथ की नाड़ी पकड कर तुझमे खो ना जाऊ तो
read moreAuthor Munesh sharma 'Nirjhara'
🇮🇳🇮🇳🇮🇳 सदियों से अजर-अमर गुंजायमान अद्भुत अनुपम आर्यवर्त महान ऋषिकुल,गुरुकल परम्परा अपार वैभव-विलास सब साथ-साथ लोक-लाज,मर्यादा,आचार-विचार संतुलित जीवन सब आधार स्तंभ बालक,वृद्ध,नारी,दुर्बल सम्मान सामाजिक व्यवस्था मूल स्वभाव काम,क्रोध,लोभ,मोह तिरस्कार सरल-तरल द्रव्य पारदर्शी जीवन 'सर्वेभवन्तु सुखिनः'मूल वाक्य भारत संस्कृति की अमूल्य पहचान 🌹 Copyright protected ©️®️ Copyright protected ©️®️ #mनिर्झरा 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 सदियों से अजर-अमर गुंजायमान अद्भुत अनुपम आर्यवर्त महान ऋषिकुल,गुरुकल परम्परा अपार
Copyright protected ©️®️ #mनिर्झरा 🇮🇳🇮🇳🇮🇳 सदियों से अजर-अमर गुंजायमान अद्भुत अनुपम आर्यवर्त महान ऋषिकुल,गुरुकल परम्परा अपार
read moreआयुष पंचोली
जहां मय मिला, वो मयखाना हो गया, किसी का शौक , किसी के गम भुलाने का ठिकाना हो गया। हम समझ ना पाये कभी सीरत इस द्रव्य की, जिसने इसे चखा उसके स
जहां मय मिला, वो मयखाना हो गया, किसी का शौक , किसी के गम भुलाने का ठिकाना हो गया। हम समझ ना पाये कभी सीरत इस द्रव्य की, जिसने इसे चखा उसके स
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