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लेखक ओझा
जो धुली चरणो की मस्तक पर सजाते है उनके ही बेर प्रभु झूठा भी खाते है भक्तवत्सल मेरे राम कहलाते है। ©लेखक ओझा भक्तवत्सल
भक्तवत्सल
read moreAlok Vishwakarma "आर्ष"
मिलने की न चिन्ता है, न मिलने की है अभिलाषा किसी वस्तु की चाह नहीं, बस मिल जाए थोड़ी श्वासा नीरस से जीवन में, भक्ति के रस का हम पान करें मृत्युलोक में अमृतमय, प्रभु का निशिदिन आह्वान करें भक्तवत्सल प्रभु की कृपा प्राप्त हो गयी, तो मानों सबकुछ मिल गया.. 😊😊 #तुम्हेंक्यामिला #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #सबकुछ #spiritual #
भक्तवत्सल प्रभु की कृपा प्राप्त हो गयी, तो मानों सबकुछ मिल गया.. 😊😊 #तुम्हेंक्यामिला #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #सबकुछ #spiritual #
read moreShravan Goud
शरणागत भक्तवत्सल 🙏 शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम् , विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् | लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् , वन्दे विष्णुं भवभ
शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम् , विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् | लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम् , वन्दे विष्णुं भवभ
read moreShailendra Rajpoot
आप सभी प्रियजनों को, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अनंत बधाइयाँ...!! प्रभु श्रीकृष्ण आप सभी के जीवन को असीम खुशियों से परिपूर्ण करें। जन्माष्टमी के पावन-पुनीत पर्व पर भक्तवत्सल भगवान श्रीकृष्ण जी के चरण-कमलों में सादर समर्पित मेरी हृदयतल स्पर्शी पुष्पांजलि भावनाएँ आप सबके समक्ष प्रस्तुत हैं।भगवान श्रीकृष्ण सबका कल्याण करें!! राधे! राधे! "हे! नंदलाला" शोभित सुंदर नयन विशाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। मुरली राजत अधर रसाला, ये बंसीवाला, ये मुरली वाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। मुरली मधुर बजावत है, सबके मन हर्षावत है, पशु-पक्षी हो, या बृजबाला, ये बंसीवाला, ये मुरली वाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। सिर पर मुकुट विराजत है, पंख मयूर का राजत है, लगे बड़ा प्यारा, वृज गोपाला, ये बंसीवाला, ये मुरली वाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। माखन चुरावत है, सबको सतावत है, करती शिकायत इसकी, बृज की हर बाला, ये बंसीवाला, ये मुरली वाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। हे! भक्तवत्सल, जन्मदिवस पर, शीश नवाता मैं, मेरे प्रभुवर, दर्शन पाकर, अति भाव-विह्वल, बछिया-बछड़ा, गाय और ग्वाला, ये बंसीवाला, ये मुरली वाला, हे! नंदलाला हे! नंदलाला। ©शैलेन्द्र राजपूत 11.08.200 आप सभी प्रियजनों को, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अनंत बधाइयाँ...!! प्रभु श्रीकृष्ण आप सभी के जीवन को असीम खुशियों से परिपूर्ण करें। जन्माष्टमी क
आप सभी प्रियजनों को, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की अनंत बधाइयाँ...!! प्रभु श्रीकृष्ण आप सभी के जीवन को असीम खुशियों से परिपूर्ण करें। जन्माष्टमी क
read morePoetry with Avdhesh Kanojia
शिव वन्दन ------------ कराल व्यालमाल युक्त चंद्रशेखर प्रभो। प्रचण्ड तेजवंत भक्तवत्सल परम् प्रभो।। काशीनाथ विश्वनाथ जगन्नाथ जगत्पते। नन्दीनाथ ब्रम्हनाद गणाधिनाथ उमपते।। जय महादेव देवाधिदेव देवदेव शंकर। जय सर्वदेवमय प्रभो जयति प्रलयंकर।। सर्वपूज्य सर्ववन्द्य सर्वप्रजा पालक। सर्वलोकपति प्रभो समयचक्र चालक।। बाघम्बरी दिगम्बर नाग सर्प धारक। वरदायक उद्धारक जय पाप संहारक।। जटामुकुट सुशोभित पिनाकहस्त अघोर। परम् भावविभोर श्रीराम मुख चकोर।। सोमनाथ वैद्यनाथ कैलाशनाथ विश्वनाथ। गौरीनाथ भवानीनाथ सर्वनाथ त्रिलोकीनाथ।। कालकूट भक्षक जय सन्तजन रक्षक। सर्वनाग सेवित वासुकी शेष तक्षक।। शरणागत वत्सल सदैव नाशकम् तम। भोलेनाथ शंकर त्वममेव शरणम् मम।। #shiva #shivratri #god #mahadev #love #poetry कराल व्यालमाल युक्त चंद्रशेखर प्रभो। प्रचण्ड तेजवंत भक्तवत्सल परम् प्रभो।। काशीनाथ विश्वनाथ
#Shiva #shivratri #God #mahadev love poetry कराल व्यालमाल युक्त चंद्रशेखर प्रभो। प्रचण्ड तेजवंत भक्तवत्सल परम् प्रभो।। काशीनाथ विश्वनाथ
read moreभाग्य श्री बैरागी
वो, जो युगों को अपने हृदय में, बसाती है, फिर वह दुग्ध अपने शिशु को पिलाती है, दिनकर से पहले जाग, पिता की परछाई, एक नारी मेरे जीवन को जीवन बनाती है। वो, जेबें भर जाती हैं, अक्सर मेरी उनके घर आने से, मुस्कुरा उठती है, पूरी दुनिया उनके मुस्कुराने से। भक्तवत्सल जिसके कहने से वन-वन विचरण करे, ये वो महान हस्तियाॅं हैं,खाते हम जिनके कमाने से। शेष अनुशीर्षक में वो, जिसकी ममता के आगे,त्रिदेव बालक हुए, जिससे वंचित होने पर शिवांश अंधक हुए। नग्न ही जिसके सामने ठुमककर चलते हैं, नारायण दो बार, धरती पर अवत
वो, जिसकी ममता के आगे,त्रिदेव बालक हुए, जिससे वंचित होने पर शिवांश अंधक हुए। नग्न ही जिसके सामने ठुमककर चलते हैं, नारायण दो बार, धरती पर अवत
read moreSatya Prakash Upadhyay
भक्ति के रास्ते मे 3 शत्रु या बाधा हैं। तीसरा :-अघासुर, अघ मतलब पाप ये न समझे कोई कि मैं भजन भी करता हूँ और पाप भी करता हूँ तो मेरा जप मेरे पाप काट देगा। बल्कि इससे नामापराध का दोष और बड़ा हो जाएगा, इसका दंड प्राप्त होता है, बड़ी मुश्किल से फिर छूट पाता है, जीवन मे पाप से बचना जरूरी है। बचने के उपाय- कोई भी कार्य करने से पहले बस एक मिनट रुक कर सोच लें कि इसका परिणाम क्या होगा , फिर करें। इतनी उम्र कट गई अब बची कितनी हीं है,ये पाप का संचय मैं किसके लिए कर रहा हूँ,क्या यही करने को हम मानव शरीर मे आए थें। पर अगर पाप न छूटे तब भी भक्ति न छूटे इसका प्रयास करते रहना चाहिए। लोभ, दम्भ ,काम, क्रोध न छूटा तो राम क्यों छूटा। एक कहावत है, "मुँह में राम बगल में छुरी" ऐसा भी हो तो एक दिन बगल की छुरी गिर जाएगी। पर उसका क्या जिसके मुख में भी छुरी और बगल में भी छुरी। पाप के मार्ग पर भले गलती से चले जाएं पर नामजप करते रहने से श्री गोविंद ,श्रीहरि,भक्तवत्सल भगवान उस पाप के परिणाम विषरूपी जलन और ताप से बचा ले जाते हैं और आपके पाप को नष्ट कर देते हैं। बस उनका स्मरण छूटना नहीं चाहिए। ॥जय श्री हरि॥ (पार्ट3,भाग३) satyprabha💕 तीसरा :-अघासुर, अघ मतलब पाप ये न समझे कोई कि मैं भजन भी करता हूँ और पाप भी करता हूँ तो मेरा जप मेरे पाप काट देगा। बल्कि इससे नामापराध का दोष
तीसरा :-अघासुर, अघ मतलब पाप ये न समझे कोई कि मैं भजन भी करता हूँ और पाप भी करता हूँ तो मेरा जप मेरे पाप काट देगा। बल्कि इससे नामापराध का दोष
read moreAbhay Bhadouriya
श्री राम कथा भाग- 1 राम कथा भाग- 1 हे वाग्देवी हम करते तेरा ध्यान वाणी पर संयम रहे शब्दों में आराम हे गौरीनंदन आप सहज करो सब काम ईशानपुत्र गणेश के चरणों म
राम कथा भाग- 1 हे वाग्देवी हम करते तेरा ध्यान वाणी पर संयम रहे शब्दों में आराम हे गौरीनंदन आप सहज करो सब काम ईशानपुत्र गणेश के चरणों म
read moreVikas Sharma Shivaaya'
एक पौराणिक कथा के अनुसार पानी का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है. पानी को "नीर" या "नर" भी कहा जाता है. भगवान विष्णु जल में ही निवास करते हैं. इसलिए "नर" शब्द से उनका "नारायण"नाम पड़ा है..., पुराणों में भगवान विष्णु के दो रूप बताए गए हैं. एक रूप में तो उन्हें बहुत शांत, प्रसन्न और कोमल बताया गया है और दूसरे रूप में प्रभु को बहुत भयानक बताया गया है..., जहां श्रीहरि काल स्वरूप शेषनाग पर आरामदायक मुद्रा में बैठे हैं. लेकिन प्रभु का रूप कोई भी हो, उनका ह्रदय तो कोमल है और तभी तो उन्हें कमलाकांत और भक्तवत्सल कहा जाता है..., कहा जाता है कि भगवान विष्णु का शांत चेहरा कठिन परिस्थितियों में व्यक्ति को शांत रहने की प्रेरणा देता है. समस्याओं का समाधान शांत रहकर ही सफलतापूर्वक ढूंढा जा सकता है..., शास्त्रों में भगवान विष्णु के बारे में लिखा है:- "शान्ताकारं भुजगशयनं"। पद्मनाभं सुरेशं । विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् । इसका अर्थ है भगवान विष्णु शांत भाव से शेषनाग पर आराम कर रहे हैं. भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर मन में ये प्रश्न उठता है कि सर्पों के राजा पर बैठ कर कोई इतना शांत कैसे रह सकता है? लेकिन वो तो भगवान हैं और उनके लिए सब कुछ संभव है..., भगवान विष्णु को "हरि" नाम से भी बुलाया जाता है. हरि की उत्पत्ति हर से हुई है. ऐसा कहा जाता है कि "हरि हरति पापानि" जिसका अर्थ है- हरि भगवान हमारे जीवन में आने वाली सभी समस्याओं और पापों को दूर करते हैं..., इसीलिए भगवान विष्णु को हरि भी कहा जाता है, क्योंकि सच्चे मन से श्रीहरि का स्मरण करने वालों को कभी निऱाशा नहीं मिलती है. कष्ट और मुसीबत चाहें जितनी भी बड़ी हो श्रीहरि सब दुख हर लेते हैं..., विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 586 से 597 नाम 586 शुभांगः सुन्दर शरीर धारण करने वाले हैं 587 शान्तिदः शान्ति देने वाले हैं 588 स्रष्टा आरम्भ में सब भूतों को रचने वाले हैं 589 कुमुदः कु अर्थात पृथ्वी में मुदित होने वाले हैं 590 कुवलेशयः कु अर्थात पृथ्वी के वलन करने से जल कुवल कहलाता है उसमे शयन करने वाले हैं 591 गोहितः गौओं के हितकारी हैं 592 गोपतिः गो अर्थात भूमि के पति हैं 593 गोप्ता जगत के रक्षक हैं 594 वृषभाक्षः वृष अर्थात धर्म जिनकी दृष्टि है 595 वृषप्रियः जिन्हे वृष अर्थात धर्म प्रिय है 596 अनिवर्ती देवासुरसंग्राम से पीछे न हटने वाले हैं 597 निवृतात्मा जिनकी आत्मा स्वभाव से ही विषयों से निवृत्त है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' एक पौराणिक कथा के अनुसार पानी का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है. पानी को "नीर" या "नर" भी कहा जाता है. भगवान विष्णु जल में ही निवास कर
एक पौराणिक कथा के अनुसार पानी का जन्म भगवान विष्णु के पैरों से हुआ है. पानी को "नीर" या "नर" भी कहा जाता है. भगवान विष्णु जल में ही निवास कर
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