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N S Yadav GoldMine

#Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} जिस दिन से परमपिता भगवान श्री कृष्ण जी हममें दिलचस्पी लेना सुरु कर देंगे, उस दिन से विप्पत्ति व परेशानी

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White {Bolo Ji Radhey Radhey}
जिस दिन से परमपिता भगवान
श्री कृष्ण जी हममें दिलचस्पी
लेना सुरु कर देंगे, उस दिन से
विप्पत्ति व परेशानी हममें 
दिलचस्पी लेना बन्द कर देगी,
और यह सब सम्भव होगा, 
भगवान श्री कृष्ण जी की 
अनुकम्पा की कृपा से (सोचो)

©N S Yadav GoldMine #Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey}
जिस दिन से परमपिता भगवान
श्री कृष्ण जी हममें दिलचस्पी
लेना सुरु कर देंगे, उस दिन से
विप्पत्ति व परेशानी

Sarvesh kumar kashyap

🤷 बन्द आंखों से भरोसा..🤔💗 #New #Motivational #Trending #Sarveshkashyap #viral

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार । क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।। तुम जननी हो इस जग की .... पुरुष

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गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष वर्ग नारी पर भारी , क्यों होता है करो विचार ।
निकल पड़ो हाथो में लेकर , घर से अपने आज कटार ।।
बेटे भाई पति को अपने , दान करो अपने शृंगार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

कितनी बहनें कितनी बेटी , होंगी कब तक भला शिकार ।
चुप बैठी है सत्ता सारी , विवश हुआ है पालनहार ।।
मन में अपने दीप जलाओ , नहीं मोम से जग उँजियार ।
तुम जननी हो इस जग की .....

छोड़ों चकला बेलन सारे , बढ़कर इन पर करो प्रहार ।
बहुत खिलाया बना-बना कर , इन्हें पौष्टिक तुम आहार ।।
बन चंडी अब पहन गले में ,  इनको मुंडों का तू हार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

बन्द करो सभी भैय्या दूज , बन्द करो राखी त्यौहार ।
ये इसके हकदार नही है , आज त्याग दो इनका प्यार ।।
जहाँ दिखे शैतान तुम्हें ये , वहीं निकालो तुम तलवार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

सिर्फ बेटियाँ जन्म लिए अब , सुतों का कर दो बहिष्कार ।
खो बैठें है यह सब सारे , बेटा होने का अधिकार ।।
मिलकर जग से दूर करो यह , फैल रहा जो आज विकार ।
तुम जननी हो इस जग की ....

तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :-
तुम जननी हो इस जग की , रच लो एक नया संसार ।
क्यों घुट-घुट कर फिर जीती हो , क्यों सब सहती आत्याचार ।।
तुम जननी हो इस जग की ....

पुरुष
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