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vibha tripathi
प्रकृति और पुरुष का, है अनूठा संगम! मिले साथ पुरुष का, प्रकृति भी जंगम! पुरुष का अस्तित्व है प्रकृति से, पुरुष बिन है प्रकृति अधूरी! गर मिल जाये दोनो, हो जाये ये दुनिया पूरी! पुरुष अगर निर्माता है, पालक है प्रकृति! पुरुष अगर चिंतन है, साधक है प्रकृति! दोनो का साथ है, बड़ा अनोखा! मिलते है जब दोनो, होता है ये संसार पूरा! #प्रकृति #पुरुष #जीवन
CalmKrishna
स्त्री और पुरुष ! #स्त्री #पुरुष #जीवन #अर्थ #philosophy
स्त्री और पुरुष ! #स्त्री #पुरुष #जीवन #अर्थ #philosophy
read moreEk villain
मनुष्य के खुशहाल जीवन यापन में धन अर्थ अर्थ अर्थ की महिता बहुत भूमिका होती है अर्थ के अभाव में एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन की कल्पना व्यर्थ है बिना अर्थ के धर्म का भी पालन नहीं कर सकते दान याद परोपकार सब के लिए धन की आवश्यकता होती है किंतु भी संगीत यह है कि हम अर्थ को प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन उसके लिए उचित पुरुष अर्थ अर्थ अर्थ कर्म नहीं करते मनीषियों का मत है कि लक्ष्मी सदा परिश्रम और धर्म युक्त प्रसाद से प्राप्त होती है उत्साह संपन्न विधि पूर्वक कार्य करने वाले व्यसनों से दूर रहने वाले डेड निशा व्यक्ति अवश्य ही धन और संपत्ति को प्राप्त करते हैं शास्त्रों में कहा गया है लक्ष्मी औद्योगिक पुरुषों को प्राप्त होती है तथा उन्नति प्रगति और संप्रदान एकमात्र साधन उद्योग तथा पुरुषार्थ है परिश्रम के अभाव में व्यक्ति किसी भी संबंधों का अभाव नहीं कर सकता महा ऋषि भरथरी नीति शतक में कहते हैं उद्योग पुरुष लक्ष्मी का उपार्जन करता है परंतु कायर मनुष्य भाग्य के भरोसे बैठा रहता है भाग्य को ठुकरा मारकर अपने कार्य में डेढ़ से निगम हो जाता है यदि फिर भी उसे सफलता नहीं मिली तो वह भाग्य में नहीं बल्कि अपने कार्य पद्धति में दोष होता है वास्तव में लक्ष्मी सदैव ही शर्म और उद्योग की अनुगामी रही है लोग परिश्रम से दूर भाग की माला जपते रहते हैं किंतु भाग्य हमेशा पुरुषार्थ से जगह करता है जिसके द्वारा हमारी सफलता के बंद द्वार भी खुल जाते हैं मत्स्य पुराण में वर्णन है कि आलसी और भाग्य पर निर्भर रहने वाले व्यक्तियों को आधारित की प्राप्ति नहीं होती इसलिए पुरुषार्थ करने में हमको आगे रहना चाहिए लक्ष्मी भाग्य पर भरोसा रखने वाले एवं असली मनुष्य को त्याग कर पुरुषार्थ करने वाले व्यक्तियों को जतन पूर्वक डेड पूर्वक वर्णन करती है इसलिए हम सदा पुरुषार्थ सिद्धार्थ कर्म सील रहना चाहिए ©Ek villain # पुरुष अर्थ मनुष्य जीवन में #Moon
# पुरुष अर्थ मनुष्य जीवन में #Moon
read moreSwarima Tewari
ईश्वर ने प्रेम गढ़ा और प्रेम ने पुरुष.. एक दिन प्रेम को समझते समझते पुरुष ने जीवन समझ लिया.. अब पुरुष जीवन को समझकर प्रेम में जीते हैं.. पुरुष प्रेम बेहतर समझते हैं.. #yqbaba #yqdidi #yqhindi #पुरुष #yqdidihindi #जीवन #pc_pinterest
पुरुष प्रेम बेहतर समझते हैं.. #yqbaba #yqdidi #yqhindi #पुरुष #yqdidihindi #जीवन #pc_pinterest
read moresandhya
पुरूष जीवन इतना आसान नही, बहुत परिश्रम पुरुष करता है। धुल, मिट्टी ,धूप सब सह कर, अपने परिवार का पेट भरता है। पुरूष जीवन इतना आसान नही, बहुत परिश्रम पुरुष करता है। दुख, दर्द उनको भी होता है, परंतु रो नही पाता है। पुरुष कभी रोते नही यह बात सोच आंसू छिपाता है। पुरूष जीवन इतना आसान नही, बहुत परिश्रम पुरुष करता है। सपने तो इनके भी होते है, लेकिन सिर्फ परिवार को महत्व देता है। अपने सपनो को मन मे दबा कर, बच्चो कि जरुरत पुरी करता है। पुरूष जीवन इतना आसान नही, बहुत परिश्रम पुरुष करता है। 🖊Sandhya पुरुष जीवन #poem #boy #Man #Waterfall&Stars
पुरुष जीवन #poem #boy #Man #waterfall&Stars
read moreNEERAJ SIINGH
स्त्री के आसूं सभी ने देखें पर पुरुष के आंखों पर सुखा नमक किसने देखा , वो तप गया धूप में , वो बिका कहीं किसी चौराहे पर , पुरुष के दिल मे पड़ती सिलवटें वो दिखा नही सकता ,वो सिकुड़ता हैं छांव बड़ा देता हैं, पुरुष मुस्कुराता है तो तो ना जानें कितनी, उम्मीदों को पार करके आया होता है वो पुरुष जिसने ना शराब पी ना अच्छे कपड़े पहने, उसने जिया तो केवल उसे जिसे वो प्यार करता हैं उसने कभी अपने जीवन या अपने बारे में नहीं सोचा, उसने सोचा तो केवल , अपने ऊपर आश्रित के लिए , वो यह प्रकृति से स्त्री तक , स्त्री से अनाज तक , अनाज से बेटी तक , बेटी से उसके आज तक , वो पुरुष केवल और केवल बना इसलिए था ताकि वो मुस्करा कर सिर्फ हर रोम रोम किसी के काम आ जाए , इससे ज्यादा क्या जीवन है एक पुरुष का ..... #neerajwrites एक अच्छे पुरुष का जीवन क्या है ?
#neerajwrites एक अच्छे पुरुष का जीवन क्या है ?
read moreपूर्वार्थ
White सुनो! पुरूष होने का ताना तो जग देता है तुम थोड़ा सा "प्यार_देना" ————————————————————— पिता हूँ,पति हूँ,बेटा हूँ,भाई हूँ,दोस्त हूँ। मन के किसी,कोने में,दबा कुचला,सहमा सा "प्रेमी_भी_हूँ।" पर दुनियाँ कहती है मुझसे।"मैं_पुरूष_हूँ।" जो थक नहीं सकता,जो झुक नहीं सकता सरेआम अपनी,तकलीफ पर,खुलकर रो नहीं सकता। क्यूँकि "मैं_पुरूष_हूँ।" मगर हटकर परे,दुनियां के,मापदंडों से थामकर,मेरी हथेलियों को,अपने हाथों में बिना कोई सवाल,कहना "मैं_हूँ_ना" अगर रो पडूँ तो,रो लेने देना,बेशक हूँ पुरुष पर हूँ तो मैं भी "इंसान_हीं_ना" बिना थके बिना रुके,झुझता हूँ दिन भर,तमाम परेशानियों से,जो चुप गुमसुम उदास देखना,तो बिना सवाल अपने गोद में सर रख,बालों में हाथ फेरते हुए कहना सब ठीक हो जाएगा क्यूँ फिक्र करते हो "मैं_हूँ_ना" ©पूर्वार्थ #पुरुष
पूर्वार्थ
पुरुष का दर्द औरत के दुख को सब समझते हैं पर पुरुष का दर्द नहीं समझते हैं औरत रोती है तो सब रुक जाते हैं पर पुरुष रोता है तो सब हँसते हैं औरत के संघर्ष को सब पहचानते हैं पर पुरुष के संघर्ष को नहीं पहचानते हैं औरत लड़ती है तो सब उसका साथ देते हैं पर पुरुष लड़ता है तो सब उसका विरोध करते हैं औरत की पीड़ा को सब महसूस करते हैं पर पुरुष की पीड़ा को नहीं महसूस करते हैं औरत को सहारा देते हैं पर पुरुष को अकेला छोड़ देते हैं पुरुष भी इंसान है उसका भी दिल होता है उसके भी सपने होते हैं उसके भी दुख होते हैं पर समाज उसे नहीं समझता उसके दर्द को नहीं सुनता उसके संघर्ष को नहीं देखता आओ हम पुरुष के दर्द को समझें उसके संघर्ष को पहचानें उसकी पीड़ा को महसूस करें और उसे सहारा दें ©पूर्वार्थ #पुरुष