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सतीश तिवारी 'सरस'

Jitendra Kumar 'Noor'

Pushpraj Mishra

कुण्डलिया

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- ॐ गं गणपतये नम:- 

 - कुण्डलिया -


हे गौरी नंदन विघ्न हरण,
                                        मंगल कारक गणराज।

सर्व सिद्धि दाता प्रभो,
                                        करहु सफल सब काज।।

करहु सफल सब काज,
                                        नाथ विनवउं प्रभु तोहीं।

बुद्धि निधान ज्ञान के सागर,
                                       एकदंत प्रभु सोहीं।

कहते कवि पुष्पराज,
                                          जम्बु मोदक प्रिय तोहीं।

असरण सरण हरो भव बाधा,
                                      ‌          ज्ञान दान दो मोहीं।।

-पं. पुष्पराज मिश्र 'पुष्प' कुण्डलिया

Dr. Rajendra Singh 'Rahi'

काव्यकृति 'कुण्डलिया छन्दों की अन्तर्यात्रा' का लोकार्पण

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Shivshankar pathak

Alone  
"कुण्डलिया-छन्द " 

 धरती की जल शान है , जानो ऐको मोल ।
जल-संरक्षण अपना ले , पानी है अनमोल ।।
पानी  है अनमोल , ये जीवन सबको देता ।।
नित्य है रत् परमार्थ में,ए जग से कुछ न लेता ।।
कह  शिवसागर  सुनैं ,  सावधानी  न बरती ।
सबकी जान  पानी , पानी  से  ही धरती ।।
                     
    -शिवशंकर पाठक "शिवसागर"
      सागर , मध्यप्रदेश

©Shivshankar pathak #alone#कुण्डलिया #छन्द

Shivshankar pathak

"कुण्डलिया-छन्द"
राम-राम यहाँ जग रटै,जननी रटे न कोय ।
रटता जो इस जननि को,अधम भी सज्जन होय ।।
अधम भी सज्जन होय,जो जननि शीश झुकावै ।
भोग इते सुख सबइ,फिर अन्त मोक्ष खौं पावै ।।
कह शिवसागर सुनैं,इत कर एक नेक-काम ।
प्रथम रटौ जननी खौं,फिर पाछें सीता-राम ।।
            
                   -शिवशंकर पाठक "शिवसागर "
                                  सागर, मध्यप्रदेश

©Shivshankar pathak #Sunrise#कुण्डलिया #छन्द

Shivshankar pathak

"कुण्डलिया-छन्द"
जल बिन सूनो जीवना , सूनो जौ संसार । 
जल बिन हम इस धरा पे , का करहें आहार ।।
का  करहें आहार , बिन जल कछु ना  होवे ।
रे मानुष-मन जागजा , काहे चैन सें  सोवे ।।
कह शिवसागर सुनैं , कैंसे हो जल बिन कल ।
हर-इक् बूँद बचाले , है जगत का अमरत जल ।।

  -शिवशंकर पाठक "शिवसागर" 
    सागर , मध्यप्रदेश

©Shivshankar pathak #seaside#कुण्डलिया #छन्द

जमील अंसारी कुडै़निया

श्लोक का अर्थ

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AP Juneja

शब्दों का अर्थ।

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Jyotsna Mishra

#भक्ति का अर्थ..

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