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Stories related to जनी

Parasram Arora

दो गज़ जनीन

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कुमारी ज्योति

नासा में गडिया लोड कके रोड पर हकीह जनी ए राजा जी

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Hema Verma

# पीड़ा से जनी सुभागी ... सौंठ के लड्डू चखती ... मेरी गदबदी कविताएँ पन्नों का बिस्तर बनाती और सो जाती यूँ ही बिन प्रेमी के

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 # पीड़ा से जनी सुभागी ...

    सौंठ के लड्डू चखती ...
    मेरी गदबदी कविताएँ
    पन्नों का बिस्तर बनाती और
    सो जाती यूँ ही बिन प्रेमी के

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

हीर छन्द आप मिलें , शूल चुभे , मुझे खार से लगे । और लगी , बात बुरी , खार जो जुबा उगे ।। प्यार मिटा , स्वार्थ जगा , रीति जगत की बनी । मातु

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हीर छन्द

आप मिलें , शूल चुभे , मुझे खार से लगे ।
और लगी , बात बुरी ,  खार जो जुबा उगे ।।
प्यार मिटा , स्वार्थ जगा , रीति जगत की बनी ।
मातु तुम्हीं , भूल गयी , मुझे हो तुम्हीं जनी ।।

आस नही , पास कही , सुनों खास अब नही ।
दूर चलो , और चलो , मिलाप जो मन नही ।।
डोर वही , छूट गयी , जहाँ आप हम हुए ।
करूँ विनय , मातु तनय , दूर नही हम हुए ।।

२६/०४/२०२५    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR हीर छन्द

आप मिलें , शूल चुभे , मुझे खार से लगे ।
और लगी , बात बुरी ,  खार जो जुबा उगे ।।
प्यार मिटा , स्वार्थ जगा , रीति जगत की बनी ।
मातु

Sarita Shreyasi

मैं गुस्साती हूँ, रोष जताती हूँ, माँ पर, माँ समान बड़ी दीदी, बहन और अपनी जनी बेटी पर। इन सबमें,कुछ मेरा,मुझ जैसा है, इसलिए मैं इनसे सहज हो प

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मैं गुस्साती हूँ, रोष जताती हूँ,
माँ पर,माँ समान बड़ी दीदी,
छोटी बहन और अपनी जनी बेटी पर।
इन सबमें,कुछ मेरा,मुझ जैसा है,
इसलिए मैं इनसे सहज हो पाती हूँ,
झल्लाती हूँ, चिल्लाती हूँ,अपनी
कमजोरी जाहिर कर पाती हूँ,
प्यार जताना नहीं आता, तो
चीख कर अधिकार जताती हूँ,
सच है कि उनके माध्यम से,
मैं खुद पर आक्रोश जताती हूँ,
उनपर अधिकार समझती हूँ,अतः
अपने साथ उनको भी दोषी ठहराती हूँ।
 मैं गुस्साती हूँ, रोष जताती हूँ,
माँ पर, माँ समान बड़ी दीदी,
बहन और अपनी जनी बेटी पर।
इन सबमें,कुछ मेरा,मुझ जैसा है,
इसलिए मैं इनसे सहज हो प

Anamika Nautiyal

तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई यूँ ही नहीं दिल लुभाता कोई😂😂❤ Aise hi mn kiya likhne ka tumhare liye achha nhi lge to bhi rkh lena🤣🤣 God

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छिपा कर  अपनी सारी तकलीफ़ें वह खूब मुस्कुराती है,
कभी मासूम, कभी चंचल सी वो हर दम दाँत दिखाती है।

बातें  मानो  गुड़  की डली  हो चेहरा है सुर्ख गुलाब सा,
थोड़ी पागल थोड़ी नादान कभी समझदार बन जाती है।

पहाड़ी नौनी मज़बूत है ठीक उन अडिग हरे-भरे पहाड़ों सी
ज्यादा नहीं बस थोड़ी सी आलसी केवल १२ घंटे सोती है।

वो नेकदिल है और उसकी सादगी ही है उसकी पहचान ,
दीवानी है  वो चाय की और अपने कान्हा जी को पूजती है।

लिए है वह  हाथ में छड़ी जादू की, किसी  परी की तरह,
जहाँ जाती वहाँ ख़ूब सारे खुशियों के रंग बिखेर देती है।

कभी नानी सी बातें करती कभी गणित के सवालों जैसी ,
ये मेरी प्यारी छुटकी मुझे प्यार से टाटा टी बुलाती है ❤

अनाम दुआ करती दुआ हासिल करो तुम हर आला मुक़ाम,
ये खुशमिजाज़  और हम सब की प्रिय 'प्रिया' कहलाती है। तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई
 यूँ ही नहीं दिल लुभाता कोई😂😂❤


Aise hi mn kiya likhne ka tumhare liye achha nhi lge to bhi rkh lena🤣🤣


God

yogesh atmaram ambawale

नमस्कार मित्रानों💕 आजचा विषय आहे ह्या क्षणी... ह्या क्षणी तुम्हाला काय लिहु वाटतायं, काय लिहावं वाटतयं. ते लिहा पटापट. #क्षणी१ हे टँग करायला

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खूप काही लिहावं वाटतंय ह्या क्षणी,
कारण मनात तुझ्या आठवणींनी थैमान घातलंय ह्या क्षणी.
घेतो लगेच कागद आणि उतरवतो विचार ह्याच क्षणी
टाईप करत बसलो तर विसरून जाईल पुढच्या क्षणी.
तत्परता पाहिजे कुठल्याही कार्यात क्षणोक्षणी
आलं काही मनी ज्या क्षणी,लगेच उरकून मोकळं व्हावं त्या क्षणी.
विचार नसावा हा मनी,प्रतिक्रिया काय असतील जनी
यशस्वी तोच होतो जो गांभीर्य जाणतो क्षणोक्षणी. नमस्कार मित्रानों💕
आजचा विषय आहे
ह्या क्षणी...
ह्या क्षणी तुम्हाला काय लिहु वाटतायं,
काय लिहावं वाटतयं.
ते लिहा पटापट.
#क्षणी१
हे टँग करायला

Yogita Sahu

माथे मा टिकली आंखी मा काजर मुंहु मा लाली लगाथव मैं । कोन जनी का जादू डारे तुहिच ला सोरियायँव में। तुही ला तो मैं जिनगी के आधार माने हँव

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माथे मा टिकली आंखी मा काजर
 मुंहु मा लाली लगाथव मैं । 
कोन जनी का जादू डारे
 तुहिच ला सोरियायँव में।

तुही ला तो मैं जिनगी 
के आधार माने हँव। 
संग तोर जीहूँ संग तोर मरहूँ
 जिनगी भर के सपना देखे हँव।

तोरेच नाव के चूरी अउ तोर
 नाव के खिनवा पहिरहूँ मैं। 
मोर जिनगानी तोर नाव हे
 सवाँगा तोरेच बर करहुं मैं।

सुख मा भले पिछवा रहूँ
 दुख मा अगवा रइहूँ मैं ।
बिपत  परे मा संग  रइहूँ
 नई छोड़व अकेल्ला मैं ।

तिहिच हरस मोर आधार
 मन मा होगे हे बिसवास
 नई हे कोनो संगी जहुँरिया
 झन टोरबे मोर तै आस ।

रचनाकार योगिता साहू
 ग्राम _चोरभट्ठी, पोस्ट_ बगोद 
 जिला_ धमतरी, छत्तीसगढ़

©Yogita Sahu माथे मा टिकली आंखी मा काजर
 मुंहु मा लाली लगाथव मैं । 
कोन जनी का जादू डारे
 तुहिच ला सोरियायँव में।

तुही ला तो मैं जिनगी 
के आधार माने हँव

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#chaand 🙏🌷सुप्रभात🌷🙏 मातु-पिता आशीष ही , करता भव से पार । यही जगत में सत्य है , करो आप स्वीकार ।।१ मातु-पिता के प्रेम को , जब ऐसी दुत्कार

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🙏🌷सुप्रभात🌷🙏

मातु-पिता आशीष ही , करता भव से पार ।
यही जगत में सत्य है , करो आप स्वीकार ।।१

मातु-पिता के प्रेम को , जब ऐसी दुत्कार ।
सुनो हमारी बात तुम , अगला तुम पर वार ।।२

देख तुम्हारा प्रेम भी , हुआ नही साकार ।
होनी अब तुम मत कहो , किया स्वयं पे वार ।।३

मातु-पिता का जो नही , लेते आशीर्वाद ।
खुश वे होते हैं नही , कोई शादी बाद ।।४

पहले हक माँ का बने , दूजे में संसार ।
यह भी उसका रूप है , जो तेरा अधिकार ।।५

जननी ने जननी जनी , किया शक्ति संचार ।
मानव को भी दे दिया , एक रूप आधार ।। ६

१७/११/२०२२   -     महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #chaand 🙏🌷सुप्रभात🌷🙏

मातु-पिता आशीष ही , करता भव से पार ।
यही जगत में सत्य है , करो आप स्वीकार ।।१

मातु-पिता के प्रेम को , जब ऐसी दुत्कार

Sarita Shreyasi

मैं गुस्साती हूँ, रोष जताती हूँ, माँ पर, माँ समान बड़ी दीदी, बहन और अपनी जनी बेटी पर। इन सबमें,कुछ मेरा,मुझ जैसा है, इसलिए मैं इनसे सहज हो प

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जब दूर होती है,
तो कितनी ही बातें,
कितने ही ख्याल होते हैं,
सामने बैठकर बतियाने को,
एक अरसे पर करीब आए,तो
यह साथ ही बहुत होता है,
हर एक क्षण को जीने को,
यादें समेट आगे बढ़ जाने के।
आश्वस्त करती आँखें होती हैं,
परिस्थितियाँ समझ जाने को,
मुस्कुराती,सहज-सी चुप्पी,
सुनने-सुनाने,साथ गुनगुनाने को। मैं गुस्साती हूँ, रोष जताती हूँ,
माँ पर, माँ समान बड़ी दीदी,
बहन और अपनी जनी बेटी पर।
इन सबमें,कुछ मेरा,मुझ जैसा है,
इसलिए मैं इनसे सहज हो प
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