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bhagatsingh khanda aala
#OpenPoetry बैठाए थे जो लोग पलका प , आज वे आँखा ने फुक गे , इब त अल्फ़ाज़ मै किस्ती चालेगी रेय , बेरा है क्यू ? क्योंकि इनके दिए दर्द इब समुंदर सुख गे ।। फ़ायदा ठा गे मजबूरी का आँखा में आंसू दिखा क , चोट मारगे गहरी दिल मे ख्याल राखिये अपना , न्यू भी कह गे मरहम लाकअ,, ये त प्यार - प्रेम आला जहर मार गे मैं त दुआ लेके बैठा सु , अपने भीतर जाक क देखो सालो तम हार गे ,, जिंदगी मैं कोय दूसरा काम नही करा , धोखा दे क भी साला का पेटा नही भरा , एक दिन थारी उड़ती पतंग न काटू गा , भीख मांगो गे मरण खातर , अर तमने तड़पता देख मैं नाटू गा ,, जिंदगी वसूला प जी जाया करे , दूसरा के सहारा प नही , भरोसा प्यार में होया करे , जूठे लारा प नही ,, एक बीज मोहबत का बोया था , खांडे आले न फसल दर्द की काटी थी, हक़ीक़त स यारो आजमा क देख लियो ,, या ज़िदंगी भी साली कदे जूठी , अर कदे साची थी ।।....(खांडे आला ) #OpenPoetry मजबूरी ... खांडे आला #Story #Poem #Status #Quotes #Whatsapp_status #Best #New #Shyari
OpenPoetry मजबूरी ... खांडे आला Story Poem Status Quotes Whatsapp_status Best New Shyari
read moreManoj Khande
तेरी आदत कुछ इस कदर चढ़ गई, तुझबिन जी तो रहा हूं, पर जिन्दगी गुझर गई। ~मनोज खांडे तेरी आदत कुछ इस कदर चढ़ गई, तुझबिन जी तो रहा हूं, पर जिन्दगी गुझर गई। ~मनोज खांडे
तेरी आदत कुछ इस कदर चढ़ गई, तुझबिन जी तो रहा हूं, पर जिन्दगी गुझर गई। ~मनोज खांडे
read morebhagatsingh khanda aala
बोल खांडे आले के... #Desi #Poem #Sad #Romantic #Status #Whatsappstatus #Instagram #Friend #Bhai #Love #Shyari #Stories #Comedy
Manoj Khande
कभी कबार कुछ गलतफहमिया भी पाल लेनी चाहिए, गलती चाहे हो ना हो, पर कभी कबार मान लेनी चाहिए। ~ मनोज खांडे कभी कबार कुछ गलतफहमिया भी पाल लेनी चाहिए, गलती चाहे हो ना हो, पर कभी कबार मान लेनी चाहिए। ~ मनोज खांडे
कभी कबार कुछ गलतफहमिया भी पाल लेनी चाहिए, गलती चाहे हो ना हो, पर कभी कबार मान लेनी चाहिए। ~ मनोज खांडे
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क्या तारीफ करूं तेरे हुस्न की, तू लाजवाब है, में जैसे खाली पैमाना, तू उसे छलकाती शराब है! ~मनोज खांडे क्या तारीफ करूं तेरे हुस्न की, तू लाजवाब है, में जैसे खाली पैमाना, तू उसे छलकाती शराब है! ~मनोज खांडे
क्या तारीफ करूं तेरे हुस्न की, तू लाजवाब है, में जैसे खाली पैमाना, तू उसे छलकाती शराब है! ~मनोज खांडे
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कह दो कश्तियों से की इश्क़ ना लड़ाए खारे समन्दर में, कुछ मीठे लोग हे जो रखे बैठे है सैलाब अपने अंदर में । ~मनोज खांडे कह दो कश्तियों से की इश्क़ ना लड़ाए खारे समन्दर में, कुछ मीठे लोग हे जो रखे बैठे है सैलाब अपने अंदर में । ~मनोज खांडे
कह दो कश्तियों से की इश्क़ ना लड़ाए खारे समन्दर में, कुछ मीठे लोग हे जो रखे बैठे है सैलाब अपने अंदर में । ~मनोज खांडे
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गले में फंदा फिर भी मूछो पे ताव था, आजादी का जज़्बा लिए सुली चड़ा वो नौजवान था मातृ भूमि पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाला, सिर्फ २३ का शहीद ए हिन्द, भगत सिंह उसका नाम था। ~मनोज खांडे #शहीदएहिन्दभगतसिंगजयंती गले में फंदा फिर भी मूछो पे ताव था, आजादी का जज़्बा लिए सुली चड़ा वो नौजवान था, मातृ भूमि पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाला, सिर्फ २३ का श
गले में फंदा फिर भी मूछो पे ताव था, आजादी का जज़्बा लिए सुली चड़ा वो नौजवान था, मातृ भूमि पर अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाला, सिर्फ २३ का श
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तीन गोली मेरी थी उसने बापू के सीने में, फिर भी तू पूजता है उसको लानत है तेरे जीने में, तेरा गोडसे तो मर गया पर बापू आजभी जिंदा है, तेरी नोट पे, मेरी सोच में बापू आज भी जिंदा है। - मनोज खांडे तीन गोली मेरी थी उसने बापू के सीने में फिर भी तू पूजता है उसको लानत है तेरे जीने में, तेरा गोडसे तो मर गया पर बापू आजभी जिंदा है तेरी नोट प
तीन गोली मेरी थी उसने बापू के सीने में फिर भी तू पूजता है उसको लानत है तेरे जीने में, तेरा गोडसे तो मर गया पर बापू आजभी जिंदा है तेरी नोट प
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कभी खुद से तो कभी खुदा से, तेरा ज़िक्र हर मर्तबा किया है, पर जब जब चाय को छुआ है, तब तब लगा ऐसे जैसे हर घुट में तुझको पिया है। ~मनोज खांड
कभी खुद से तो कभी खुदा से, तेरा ज़िक्र हर मर्तबा किया है, पर जब जब चाय को छुआ है, तब तब लगा ऐसे जैसे हर घुट में तुझको पिया है। ~मनोज खांड
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शहर में यू तो सब है, पर वो आंगन कहा है, आंगन में पल ने वाला वो पेड़ कहा है, कड़कती धूप में भी राहत दे वो छाव कहा है, बेचैनी में भी सुकून कि नींद दे वो शाम कहा है । शहर में यू तो सब है पर सब में अब हम कहा है। ~मनोज खांडे शहर में यू तो सब है, पर वो आंगन कहा है, आंगन में पल ने वाला वो पेड़ कहा है, कड़कती धूप में भी राहत दे वो छाव कहा है, बेचैनी में भी सुकून क
शहर में यू तो सब है, पर वो आंगन कहा है, आंगन में पल ने वाला वो पेड़ कहा है, कड़कती धूप में भी राहत दे वो छाव कहा है, बेचैनी में भी सुकून क
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