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Stories related to इंद्रजाल मोहिनी मंत्र

Mahesh Gupta

मोहिनी

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देख लो साधना के स्वर मोहिनी,
मेरी दुनिया सदा से तुम्हारे लिए,

एक सागर नयन में  समाये हुए ,
मेरी नदियाँ सदा से तुम्हारे लिए, मोहिनी

Ashvani Kumar

मोहिनी

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नैनन को मीच मीच, नैन कोर खींच खींच, 
मोती कजरारी कारी धार करे मोहिनी!
मुस्काए मंद मंद मन में ही मीत संग, 
मीठी मीठी मौन मौन मनुहार करे मोहिनी !
देख हाल चाल ढाल आइनो करे कमाल, 
जाने कौन बात पे विचार करे मोहिनी !
बिसरानी सुध-बुध खोई खड़ी ऐसन कि ,
करके श्रृंगार बार बार करे मोहिनी !
छटा-छवि-छप भर नजर निहार ले तो,
जल भी जलाए के अंगार करे मोहिनी!
बात बिना बात के जो बिगडे तो मन से ही,
झूँठी मीठी तीखी तकरार करे मोहिनी!
मगन हो मोहन पे मोहन को मोहने के,
बांसिया तो जतन बेकार करे मोहिनी !
जाने न निराली नैनोंवाली मतवाली ये कि,
मोहन तो तुझसे ही प्यार करे मोहिनी !

©Ashvani Kumar मोहिनी

Dr Supreet Singh

Anil Khande

मोहिनी

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Anshuman pandey

# भुवन मोहिनी#

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हम नीलाम हुए घर को ठिकाना नहीं बनाते
 साफ-साफ कहते हैं बहाना नहीं बनाते 
और बिजलियां जहां गिरकर शर्मसार होती हैं
 हम ऐसे खंडरों को निशाना नहीं बनाते # भुवन मोहिनी#

Rakhi Yadav

# मोहिनी एकादशी🌹🌹

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मोहिनी एकादशी 
विष्णु भगवान ने समुद्र मंथन के समय देवताओं को अमृत का पान कराने के लिए मोहिनी रूप धरा था!

 इसी वजह से इस एकादशी को
 मोहिनी एकादशी कहा जाता है!

इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य पापों ,दुखों से दूर होकर अंत में वैकुंठ धाम को जाता और मोक्ष को प्राप्त करता है!

🌹 जय श्री कृष्णा जी🌹 
🌹🌹🌹🌹

Rakhi Yadav # मोहिनी एकादशी🌹🌹

Rahmatullah

प्रिय तुम्हारी मोहिनी सूरत

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प्रिय तुम्हारी मोहिनी सूरत कुरूप जब हो जाती है
सच कहता हूँ मेरी संगिनि श्वास मेरी थम जाती है 
जब संस्कार भी खोकर तुम मुझको अपमानित करती है
मुझको तुमपर गर्व जो था वो द्युति तेरी खो जाती है
मेरी वफाएं विनय मेरा और प्रेम भी रोने लगता है
तुम अंधकार में डूबके जब बहारों से खफा हो जाती है
हृदय धड़कता है रुक रुककर रूह यह रोने लगती है 
दशा तुम्हारी देखके जानम मेरी आँखें नम हो जाती है
फिकर में तेरी डूबके जब रातों को नींद न आती है 
तब तेरी भलाई सोचने में माथे की नस दुख जाती है 
मैं दिल की हर दौलत को जाँ शब्दों में बयां कर देता हूँ 
जब तुम ही नहीं पढ़ पाती हो तो सुर-ताल यूँ ही रुक जाती है  प्रिय तुम्हारी मोहिनी सूरत

Satish Kumar Meena

साँवली सूरत और मोहिनी मूरत

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Satish Kumar Meena

साँवली सूरत और मोहिनी मूरत

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साँवली सूरत,उसकी मोहिनी मूरत,और 
नैन नक्श कजरारे,मन में उतार लू़ं। 
जुल्फो की छाँव में,यूं सपनो के गाँव में,          
ह्रदय की धड़कन को मैं सुरो में सवार लूं।
साँवली सूरत...............।। 

उसके यौवन की चंचल काया को,
इस हिय में बसाऊंगा प्रेम के लिए,,
मन है पावन,फिर भी आँखों में सावन,
फिर भी गंगा में नहाऊंगा, प्रेम के लिए,, 

जब चाँद उगे गगन में,वो भी जले अगन में,
मेरा चाँद मन में है तो उसी को नीहार लू़ं। 
साँवली सूरत ...............  ।।

तक -तक नैन लडे़,मन भी उछल पडे़,
उस रंग रंग जाऊंगा प्रेम के लिए,, 
फूल भरी सेज खिले,दो हिय की डोर मिले 
बांहों में बंध जाऊंगा, प्रेम के लिए,, 

गदराए तन वाली,आफू सी वो मदवाली,, 
यौवन के उस नशे में,इस मन को निथार लूं।
साँवली सूरत.................।।

©Satish Kumar Meena साँवली सूरत और मोहिनी मूरत

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