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Mukesh Poonia
बीज की तरह होते हैं विचार, जैसा बीज बोओगे वैसा ही फल मिलेगा . ©Mukesh Poonia #Flower #बीज की तरह होते हैं #विचार, जैसा #बीज बोओगे वैसा ही #फल मिलेगा नये अच्छे विचार आज का विचार नये अच्छे विचार बेस्ट सुविचार अनमोल विचा
Flower बीज की तरह होते हैं विचार, जैसा बीज बोओगे वैसा ही फल मिलेगा नये अच्छे विचार आज का विचार नये अच्छे विचार बेस्ट सुविचार अनमोल विचा
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White उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है ©Sk उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है
उम्मीद और विश्वास का छोटा सा बीज, खुशियों के विशाल फलों से बेहतर और शक्तिशाली है
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जग का पेट भरने की खातिर, बीज को चाहिए पानी मिट्टी l ©Dimple Kumar #डायरी_के_पन्ने #अधूरी_तमन्ना #बीज #D_arpan #कुछ_लफ्ज़ #कुछ_तुम_कहो #कुछ_हम_कहें #कोई_आप_सा #अभिलाषा #मिट्टी आज का विचार सुप्रभात 'अच्छे व
#डायरी_के_पन्ने #अधूरी_तमन्ना #बीज #D_arpan #कुछ_लफ्ज़ #कुछ_तुम_कहो #कुछ_हम_कहें #कोई_आप_सा #अभिलाषा #मिट्टी आज का विचार सुप्रभात 'अच्छे व
read moreNitu Singh जज़्बातदिलके
White जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे सप्ताह गुजरे न विश्वास की सिंचाई न गलतियों की निराई न जुबानी जहर को पौधों से छुटाया था उसने फिर सहसा एक दिन खींच ले गयीं अभिलाषाएं उसे फसल की ओर चींखने लगा जोर जोर से निखोलने लगा सुषुप्त पड़ चुके प्रेम बीज को मढ़ने लगा आरोप उसके प्रेमत्व पर क्योंकि आज, वर्तमान पर मुरझा सा नीरस पुष्प ही पाया था उसने काश! झांक पाता सहस्त्रों बार किये उन वादों की ओर जिन्हें हर गलती के बाद दोहराया था उसने ©Nitu Singh जज़्बातदिलके जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे स
जीवन की रूप रेखा को कुछ यूं स्वप्नाया था उसने सुगंध उठेगा कल सबेरा मेरा यही विचारकर प्रेम बीज को अतीत की भूमि में दबाया था उसने दिन गुजरे स
read moreShashi Bhushan Mishra
White थोड़ा मैं सोना चाहूँगा, स्वप्न बीज बोना चाहूँगा, उम्र क़ैद से मिली रिहाई, तेरा मैं होना चाहूँगा, काँधे पर सिर रखके पारो, जी भरकर रोना चाहूँगा, अंग संग होकर प्रेमी के, मैं ख़ुद को खोना चाहूँगा, महाकुंभ में पाप जहां का, गंगा में धोना चाहूँगा, नफ़रत की दीवार तोड़कर, दिल में इक कोना चाहूँगा, कजरारे नैनों का 'गुंजन', फिर जादू-टोना चाहूँगा, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra #स्वप्न बीज बोना चाहूँगा#
#स्वप्न बीज बोना चाहूँगा#
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