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Anjali Jain
कल मर्दानी 2 फ़िल्म देखी, बहुत हिला देने वाली फ़िल्म है! पुरुष वर्ग का हर तबका, चाहे वह कोई साधारण युवक हो, चाहे पुलिस अफसर या फ़िर मीडिया रिपोर्टर, महिला के प्रति एक नकारात्मक, घृणित व ओछी सोच से भरा हुआ था! यहाँ एक बात ग़ौर करने लायक है कि युवक के घर की पृष्ठभूमि तो सोचनीय है लेकिन एक पुलिस अधिकारी और पत्रकार.. क्या अपने घर में वे अपनी पत्नी, बहिन, माता और पुत्री को देख कर भी यही सोच रखते होंगे? क्या उन सभी को वैसा ही जीवन जीना चाहिए जैसा उनका दृष्टिकोण था? पर्दे में रहकर, पत्थर की मूर्ति, जिसकी कोई संवेदना नहीं, कोई भावना नहीं, बस उनकी इच्छा नुसार चलती रहे, कोई आवाज नहीं, कोई इच्छा, आकांक्षा अपनी रख न पाए, क्या ऎसा हो सकता है? अपने आपको एक बेटा, एक पति, एक भाई और पिता के स्थान पर रख कर उन्हें देखे..... वह उन्हे केवल एक स्त्री, एक महिला के रूप में ही क्यों देखता है? #मर्दानी #30. 05.20
#मर्दानी 30. 05.20
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हर बहिन, बेटी बड़ी होकर, विवाह कर जब नए घर में कदम रखेगी तो वहाँ का पुरुष भी सकारात्मक और सहयोगी रवैये वाला ही होगा तब हर बालिका का व्यक्तित्व इस स्वतंत्र, घुटन रहित व प्रेम भरे वातावरण में बहुत ही अच्छे ढंग से विकसित होगा और हमारा समाज पुरुषों की इस घटिया मनोवृत्ति से मुक्त होगा! निश्चय ही स्त्री - उत्पीड़न, बलात्कार, हिंसा आदि से मुक्ति मिलेगी पर.... शुरूआत हर महिला को अपने घर से ही करनी होगी!!!! जय हिंद! वन्दे मातरम!! #मर्दानी #3#30. 05.20
#मर्दानी 330. 05.20
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क्या उनकी सोच, उनकी मानसिकता को बदलना नहीं चाहिए! और ये, घर की महिलाएँ ही चाहे तो, बदल सकती है! एक माँ अपने पुत्र में ऎसी भावना व व्यवहार को देखते ही समझाए, रोके! एक बहिन अपने भाई को ग़लत दिशा में मुड़ते देखते ही रोके, स्वयं के साथ भाई बुरा व्यवहार करता है अप शब्द का प्रयोग करता है हाथ उठाता है तो दृढ़ता से रोके, सामना करे, न कि डर कर या सहम कर उसे बढ़ावा दे!... क्योंकि बहिन का स्नेह उसे अवश्य सोचने समझने पर मजबूर करेगा! अपनी भाभी के प्रति भाई का व्यवहार व दृष्टिकोण अपमान जनक देखे तो भी उसे रोके! एक पुत्री अपने पिता को माँ के साथ दुर्व्यवहार करता देखे तो प्यार से रोके, पिता रुकेगा! जब एक परिवार में ये सब सुधरेगा तो अवश्यमेव सभी परिवारों में और अंततः समाज में सुधार आएगा! जब हर पिता, पुत्र, भाई सही सोचेगा तो बाहर निकलने पर किसी भी बालिका, युवती और महिला को देखने पर उनके मन में गलत भावनाएँ पैदा नहीं होंगी! #मर्दानी #2#30. 05.20
#मर्दानी 230. 05.20
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मेरी प्यारी परेशानियों मेरी प्रिय परेशानियों तुम्हारे बिना भी जिंदगी सूनी हो जाती है टू लाइन
टू लाइन
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रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए रोज रोज मिटते है , फिर भी न खाक हुए डोज लेते है फिर भी न ठीक हुए। टू lines
टू lines
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