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Himanshu Prajapati
White समस्या बस सोच का है..? सही सोच सही राह पर ले जाएंगा, वरना उलझन आपकों अंदर ही अंदर खाकर कमजोर बनाएंगा..! ©Himanshu Prajapati #life_quotes समस्या बस सोच का है..? सही सोच सही राह पर ले जाएंगा, वरना उलझन आपकों अंदर ही अंदर खाकर कमजोर बनाएंगा..! #36gyan #hpstrange
#life_quotes समस्या बस सोच का है..? सही सोच सही राह पर ले जाएंगा, वरना उलझन आपकों अंदर ही अंदर खाकर कमजोर बनाएंगा..! #36gyan #hpstrange
read moreFuck off nojoto
मेरे ख़ुश्क होंटों पर क़हक़हे तो हैं लेकिन मेरी रूह के अंदर सिसकियों का मौसम है...😍 ©Arshu.... मेरे ख़ुश्क होंटों पर क़हक़हे तो हैं लेकिन मेरी रूह के अंदर सिसकियों का मौसम है...😍 अगबर प्रज्ञा jhanvi Singh Sethi Ji Riti sonkar
मेरे ख़ुश्क होंटों पर क़हक़हे तो हैं लेकिन मेरी रूह के अंदर सिसकियों का मौसम है...😍 अगबर प्रज्ञा jhanvi Singh Sethi Ji Riti sonkar
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} काम रावण, क्रोध रावण, मोह रावण, आचरण व व्यवहार रावण का, व्यक्ति के अंदर रहने वाले इस रावण को, भगवान श्री राम का मन से चितन करते हुए, धर्म के आचरण करने से अपने अंदर के रावण को मारने का प्रयास करो।। ©N S Yadav GoldMine #good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} काम रावण, क्रोध रावण, मोह रावण, आचरण व व्यवहार रावण का, व्यक्ति के अंदर रहने वाले इस रावण को, भगवान श
#good_night {Bolo Ji Radhey Radhey} काम रावण, क्रोध रावण, मोह रावण, आचरण व व्यवहार रावण का, व्यक्ति के अंदर रहने वाले इस रावण को, भगवान श
read moreDr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
#BeatMusic जैसा मै अंदर हूँ वैसा ही बाहर हूँ #कलमसत्यकी ✍️©️ Life
read moreJaved Raza
White अपने अंदर आजिज़ी पैदा करो ©Javed Raza #love_shayari अपने अंदर आजिज़ी पैदा करो Islam urdu poetry
#love_shayari अपने अंदर आजिज़ी पैदा करो Islam urdu poetry
read moreshinning shristi
White साल बदलता गया, तारीखें बदली कभी युद्ध हुआ, कभी मोमबत्तियां पिघली इन सबके बीच कुछ नहीं बदला तो औरतों के अंदर का डर... डर, अपने चरित्र को बचाने की समाज में बराबर का ओहदा पाने की खुदको सफल और संपन्न बनाने की डर, इस बात की, कहीं कोई बात न हो जाए घर – दफ्तर के बीच कहीं ज्यादा रात न हो जाए एक गलत कदम और सब कुछ बर्बाद न हो जाए डर कायम रहा... लेकिन वो नारी है, इतनी जल्दी कहां हारी है औरतें इतने पर रुकीं नहीं, वक्त के आगे झुकी नहीं चलती गई, अपने सपने बुनती गई साल बदलता गया, तारीखें बदली कभी युद्ध हुआ, कभी मोमबत्तियां पिघली इन सबके बीच कुछ नहीं बदला तो औरतों के अंदर का डर... ©shinning shristi औरतों के अंदर का डर #sad_poetry #poem #Women #womenlife #Trending #Kolkata #India #socialissues हिंदी कविता कविताएं कविता कोश
औरतों के अंदर का डर #sad_poetry #poem #Women #womenlife #Trending #Kolkata #India #socialissues हिंदी कविता कविताएं कविता कोश
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