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Kiran Rani

पुरुष होने का अर्थ #Male #Feeling

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पुरुष होने का अर्थ अब भला कौन जानता है,
दर्द में भी हंसकर जीने का मर्म वो पहचानता है।
सच्चा पौरुष वो जो जिंदा आज है,
अपनों के लिए जीता और ख़ुद के लिए सालता है।
टूटा हुआ हो बेशक जिंदगी के हालातों से,
मगर अपने घर परिवार को वो पालता है।
तुफान गर चाहें बिखेरना उसके जिम्मेदारीओ को,
मजबूत शिला बन सबको वो ही फिर संभालता है।
दिल से मासूम और कमजोर है वो फिर भी,
दुनियां के बोझ लिए जिंदगी में खुशियां खंगालता है।
नारियल सा होता है अक्सर पुरुष वो जो,
भावनाओं को दबा अपना सख्त मिजाज दर्शाता है।
क्या हुआ अगर वो दिल हल्का करना चाहे,
हंसना, रोना, और जीना पुरुष भी तो चाहता है।
पुरुष होने का अधिकार जताने बताने से केवल,
पुरुषों सुनो, पुरुष बिल्कुल नहीं बना जाता है।
जिसमें हो प्रेम, दया, करुणा का भरपूर सम्मेलन,
वो इंसान ही इस धरती पर पुरुष कहलाता है।
आज कौन पुरुष होने का मतलब जानता है.....
'किरन' #NojotoQuote पुरुष होने का अर्थ
#male #feeling

CalmKrishna

स्त्री और पुरुष ! #स्त्री #पुरुष #जीवन #अर्थ #philosophy

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 स्त्री और पुरुष !

#स्त्री #पुरुष #जीवन #अर्थ #philosophy

Ek villain

# पुरुष अर्थ मनुष्य जीवन में #Moon

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मनुष्य के खुशहाल जीवन यापन में धन अर्थ अर्थ अर्थ की महिता बहुत भूमिका होती है अर्थ के अभाव में एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन की कल्पना व्यर्थ है बिना अर्थ के धर्म का भी पालन नहीं कर सकते दान याद परोपकार सब के लिए धन की आवश्यकता होती है किंतु भी संगीत यह है कि हम अर्थ को प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन उसके लिए उचित पुरुष अर्थ अर्थ अर्थ कर्म नहीं करते मनीषियों का मत है कि लक्ष्मी सदा परिश्रम और धर्म युक्त प्रसाद से प्राप्त होती है उत्साह संपन्न विधि पूर्वक कार्य करने वाले व्यसनों से दूर रहने वाले डेड निशा व्यक्ति अवश्य ही धन और संपत्ति को प्राप्त करते हैं शास्त्रों में कहा गया है लक्ष्मी औद्योगिक पुरुषों को प्राप्त होती है तथा उन्नति प्रगति और संप्रदान एकमात्र साधन उद्योग तथा पुरुषार्थ है परिश्रम के अभाव में व्यक्ति किसी भी संबंधों का अभाव नहीं कर सकता महा ऋषि भरथरी नीति शतक में कहते हैं उद्योग पुरुष लक्ष्मी का उपार्जन करता है परंतु कायर मनुष्य भाग्य के भरोसे बैठा रहता है भाग्य को ठुकरा मारकर अपने कार्य में डेढ़ से निगम हो जाता है यदि फिर भी उसे सफलता नहीं मिली तो वह भाग्य में नहीं बल्कि अपने कार्य पद्धति में दोष होता है वास्तव में लक्ष्मी सदैव ही शर्म और उद्योग की अनुगामी रही है लोग परिश्रम से दूर भाग की माला जपते रहते हैं किंतु भाग्य हमेशा पुरुषार्थ से जगह करता है जिसके द्वारा हमारी सफलता के बंद द्वार भी खुल जाते हैं मत्स्य पुराण में वर्णन है कि आलसी और भाग्य पर निर्भर रहने वाले व्यक्तियों को आधारित की प्राप्ति नहीं होती इसलिए पुरुषार्थ करने में हमको आगे रहना चाहिए लक्ष्मी भाग्य पर भरोसा रखने वाले एवं असली मनुष्य को त्याग कर पुरुषार्थ करने वाले व्यक्तियों को जतन पूर्वक डेड पूर्वक वर्णन करती है इसलिए हम सदा पुरुषार्थ सिद्धार्थ कर्म सील रहना चाहिए

©Ek villain # पुरुष अर्थ मनुष्य जीवन में

#Moon

पूर्वार्थ

#पुरुष का स्त्रीत्व

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पुरूष, 
तुम संघर्षो,
और घर्षण से,
सबको बचाते बचाते,
स्वयं पाषाण हो गए हो,
पर कभी कभी ,
इन पाषाणों से भी,
रिसता है ,
दो बूँद पानी,
जब किसी ,
अपने के ही,
द्वारा दी ,
खरोंच ,
छील देती है ,
इनकी ,
गहराईयों में,
सबसे छिपाकर,
रखी आत्मा को,
बहने लगते है,
दो बूँद अश्रु,
इन पाषाण हृदयों से,
चटकने लगती है,
इनकी कठोरता ,
कुछ काँच सी,
तब इन्हें भी ,
जरूरत होती है,
एक स्त्री की,
जो संभाल ले ,
इन्हें एक,
अबोध शिशु,
की तरह ,
नहीं तो ,
ये भी टूट, 
जाते है ,
सदा के लिए  ।

©purvarth #पुरुष का स्त्रीत्व

अल्फाज़

पुरुष का दूसरा नाम जिम्मेदारी

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अगर पुरुष को कोई दूसरा नाम देना हो तो दे सकते हैं जिम्मेदारी, 
 आखिर यही तो है जिसे उसे जिंदगी भर निभानी हैll

और सच कहूं तो वह जब तक इसे निभाएगा, तब तक सम्मान पाएगा, 
और जिस दिन मुंह से निकली ना उस दिन पिछला सारा भुला दिया जाएगा!! 

 उसकी जिम्मेदारियों को समझो ऐसे, घर में अकेली मां का संतान है कोई, 
घर के कर्जे का भुगतान है कोई, किसी को बाजार ने मिलकर गिराया, 
 और कोई बन कर रह गया बस दुकान का किराया ll

किसी को लोगों के तानों ने मारा, और किसी को महंगे दिल ने नकारा ll
कोई शहर में जाकर थोड़ा कमा रहा, तरक्की कम उम्र ज्यादा गंवा रहा!! 

जब कहना हो पुरुष को बुरा तो न जाने क्या क्या बोला जाता है, 
उसकी खूबियों को तो बस अंको में तोला जाता है !! 

और वह चाहता क्या है, और सोचता है क्या, यह पूछने उससे कौन आता है, 
 पहला प्रश्न तो आखिर सबका एक ही है

"आखिर लड़का कितना कमाता है"

©विनोद जोशी पुरुष का दूसरा नाम जिम्मेदारी

Nisha Gupta

#पुरुष का अस्तित्व 🙏🙏

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🔹सबकी सेवा का बेड़ा उठाता है पुरुष,
खुद दब के सबको उठना सिखाता  है पुरुष

घरो की शान और गुणों की खान होता है वो,
कैरियर के पीछे बना घर का मेहमान होता है वो, 

अपने माँ- बाप की आखों का तारा होता है ,
सबके सपनो का सहारा होता है वो,
सबकी हसरतों का करता है सम्मान 
अपनो के लिए रहता है हर वक्त परेशान

इतना सब त्याग कर रह लेता है खड़ा,
अपने अंदर सारी विपत्ति सारे दर्द सह लेता है पुरुष,

पुरुषों के सम्मान की बात होने पर 
स्त्री के सम्मान को नहीं भूलना चाहिए....

🥀🙏

©Nisha Gupta #पुरुष का अस्तित्व 🙏🙏

Pawan

जिंदगी का अर्थ

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ARVIND KUMAR

सफलता का अर्थ!

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नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)

# जीवन का अर्थ।

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Aman Baranwal

जीवन का अर्थ

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मिट्टी का जिस्म और आग सी ख्वाहिशें,
खाक होना लाजमी है,
क्योंकि आदमी आखिर आदमी है! जीवन का अर्थ
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