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Anamika Tyagi
White इन अंधेरों ने घेर घेर के सबको घेरा हैं इन आसमानों ने संभाल संभाल के सबको संभाला हैं वो भी एक ज़माना था ये भी एक ज़माना हैं यहीं नया ज़माना हैं यहीं नया ज़माना हैं ©Anamika Tyagi #मणिपुर_नग्नता
Anamika Tyagi
White इन अंधेरों ने घेर घेर के सबको घेरा हैं इन आसमानों ने संभाल संभाल के सबको संभाला हैं वो भी एक ज़माना था ये भी एक जमाना हैं यहीं नया ज़माना हैं यहीं नया ज़माना हैं ©Anamika Tyagi #मणिपुर_नग्नता
Vikesh Bagde
💔मेरी व्यथा 💔 कभी मुझे तुम देवी मानते , कभी मानते शक्ति का रूप । पूजी जाती हूं भगवानों सी मैं , आखिर क्या है मेरा असली प्रारूप?? कभी मानते जननी जग की , तो कभी मानते मुझे तुम विश्व स्वरूप । कभी मानते हो मुझसे ही तो जन्म - मरण है, कभी मानते मुझसे ही भौ सागर पार । कभी मानते की हूं मैं मां की ममता, तो कभी मानते मुझसे लाड- दुलार ।। फिर क्यों हो जाती हूं मैं कभी हाथरस की असहाय बेटी, तो कभी दिल्ली की निर्भया सा वार । कभी कश्मीर की अशिफा बनती , तो अभी हो जाती मैं मणिपुर की भीड़ का अधिकार। गिद्ध की तरह नोंची जाती हूं , हर बार मैं हैवानियत का बनकर शिकार ।। कभी मुझे तुम भ्रुण में मारते हो , तो करते दहेज के लिए प्रताड़ित हर बार । धिक्कार है ऐसे सभ्य समाज पर , जो न सुन पाएं मेरी व्यथा का सार ... जो न सुन पाएं मेरी व्यथा का सार ।। 🙏मणिपुर की नारी शक्ति को समर्पित 🙏 कलम :- विकेश 'amrit' ©Vikesh Bagde #मणिपुर_की_नारी_शक्ति_को_समर्पित 🙏
#मणिपुर_की_नारी_शक्ति_को_समर्पित 🙏
read moreकलम की दुनिया
तुमने निर्वस्त्र नही किया सिर्फ स्त्री को तुमने निर्वस्त्र किया भारत की मर्यादा को तुमने निर्वस्त्र किया भारत की सभ्यता को तुमने निर्वस्त्र किया भारत की अस्मीता को तुमने निर्वस्त्र कर दिया भारत माता को था तुम्हारा आक्रोश तुम कर राख घरों को बदला तो ले रहे थे थी तुम्हारी भीतर क्रोध की अग्नि तुम कर हत्या वहां के इंसान का बदला तो ले रहे थे देवों, ऋषियों की भूमि को तुमने हैवानियत के नाम कर दिया विश्व पटल पर तुमने मां भारती को शर्मशार कर दिया तुमने निर्वस्त्र नहीं किया सिर्फ स्त्री को तुमने निर्वस्त्र कर दिया भारत मां को ये कैसी मानसिकता तुम्हारी अपनी बहन की इज्जत तुम्हें प्यारी और दुसरो की बहन बस भोग की थारी तुमने निर्वस्त्र नहीं किया स्त्री को तुमने निर्वस्त्र कर दिया भारत मां को ©कलम की दुनिया #मणिपुर
Aditya Neerav
घटनाएं शर्मसार करती हैं मानवता को तार-तार करती हैं मर्यादा को लांघकर बर्बरता को पार करती हैं ©Aditya Neerav #मणिपुर
करन सिंह परिहार
सुन कर चीखें अबलाओं की, मैं व्याकुल होकर सिहर गया। फिर हृदय कंपनों की गति का, आवेग तीव्र हो बिखर गया। यह राज भोग का महा ज्वार। कंचन महलों का विष अपार। सत्ता की गलियों का सियार। बस नोच रहा तन का शृँगार। क्या मानवता का यही सार। जो हुई आबरू तार तार। नारी जो जीवन का अधार, कर रही धरा पर चीत्कार, लेकिन गूँगे, अंधे शासक , झूठे उद्गार सुनाते हैं। कुर्सी की लालच में बँधकर, हो मौन पलक झपकाते हैं। शकुनी के फेंके पासों से, मानवता में विष उतर गया। फिर द्वापर का दृश्य भयावह, मेरी आँखों में पसर गया। ©Karan #मणिपुर
खामोशी और दस्तक
ताज्जुब नहीं करना अब अगर इस पीढ़ी की बच्चियां भीड़ से डरने लगें जहां देखें वो कोई पुरुष हनुमान चालीसा या कलमा पढ़ने लगे सहमी सहमी सी रहे हर पल अपनों को भी खुद से दूर करने लगे ताज्जुब नहीं करना अब अगर इस पीढ़ी की बच्चियां उम्र से पहले 'कुछ'सवाल करने लगे परखने लगे आंखों से हवस ख़ुद के पर कतरने लगे बंद करने लगे खुद को चार दिवारी में अपने सपनों के पर कतरने लगे खोने लगे उनकी हंसी की खनक रुह उनकी सड़ने लगे। ©खामोशी और दस्तक #मणिपुर
Mohini Maurya
हजारों की भीड़ में सहमें उन कदमों का डर अपमान को सहते हुये आंखों से निकले उन आंसुओं का दर्द इंसानियत को शर्मसार करने वाली वो चीख बस अब यही कहती है "अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो" #मणिपुर ©Mohini Maurya #मणिपुर
Ravindra Singh
ऐसी भी क्या नफ़रत , महिलाओं को नग्न कर, भरे बाज़ार घुमाया गया । ये समाज दिन व दिन , न जाने किस नफ़रत की आग में जल रहा है । ये जाति व धर्म की लड़ाई एक दिन इसी के बच्चों के भविष्य को ना निगल जाये । ©Ravindra Singh मणिपुर
मणिपुर
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