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Dr Jayanti Pandey
कोई जिए, कोई मरे; इन्हें फर्क पड़ता नहीं जहां राजनीति चमके ,वो ही खबर होती है। यह लोकतंत्र है चार स्तंभों वाला साहब सभी के बिकने से इसकी बसर होती है। #जाति, धर्म, रीज़न में बांटते लड़ाते अखबारों और चैनलों से वितृष्णा हो गई है.. #दोहरे मानदंड #jayakikalamse #yqdidi#yqhindi#yqpolitics
#जाति, धर्म, रीज़न में बांटते लड़ाते अखबारों और चैनलों से वितृष्णा हो गई है.. #दोहरे मानदंड #jayakikalamse #yqdidi#yqhindi#yqpolitics
read more#maxicandragon
इन्हें चैनलों में इश्तिहारों में थानों में अखबारों में मत ढूंढना ये सुअर के पिल्लें हैं, मरने के बाद भी गटर में ही मिलेंगे #Sadharanmanushya ©#maxicandragon इन्हें चैनलों में इश्तिहारों में थानों में अखबारों में मत ढूंढना ये सुअर के पिल्लें हैं, मरने के बाद भी गटर में ही मिलेंगे #Sadharanmanus
इन्हें चैनलों में इश्तिहारों में थानों में अखबारों में मत ढूंढना ये सुअर के पिल्लें हैं, मरने के बाद भी गटर में ही मिलेंगे Sadharanmanus
read moreKalam_Kasturi
सबसे ज्यादा दुर्लभ और उतनी ही जरूरी अगर कोई चीज़ है तो वो है "शान्ती" अपने घर के शांत माहौल में न्यूज़ चैनलों के सामने बैठ कर जंग-जंग चिल्ला
सबसे ज्यादा दुर्लभ और उतनी ही जरूरी अगर कोई चीज़ है तो वो है "शान्ती" अपने घर के शांत माहौल में न्यूज़ चैनलों के सामने बैठ कर जंग-जंग चिल्ला
read moreBhupendra Rawat
बन जाती अखबारों के मुख्य पृष्ठ की खबर और न्यूज़ चैनलों की हेड लाइन्स अगर मरता कोई नेता कभी भूख की तड़प से लेकिन नजाने कितनो को ही खा जाती है पेट की आग लेकिन फिर भी नही बनती वो कभी हेड लाइन्स और उन बड़े अखबारों के मुख्य पृष्ठ की खबर जिनपर चलती रहती थी दिन भर ये चर्चाएं उन सभी महारथियों के नेतृत्व में जिन्होंने कभी देखी ही नहीं थी पेट की आग, न ही महसूस की थी कभी भूख की तड़प वही तड़प जिसे शांत करने के लिए एक मुसाफिर ने किया था, मिलों लंबा सफर लेकिन नहीं दे पाया झूठा दिलासा अपने भूखे पेट को और त्याग दिए अपने प्राण कर दिया समर्पित अपना मृत शरीर उन छोटे जीवों व पंछियो को जो कई दिनों से तड़प को शांत करने के लिए तलाश रहे थे भोजन। भूपेंद्र रावत 30।04।2021 ©Bhupendra Rawat बन जाती अखबारों के मुख्य पृष्ठ की खबर और न्यूज़ चैनलों की हेड लाइन्स अगर मरता कोई नेता कभी भूख की तड़प से लेकिन नजाने कितनो को ही खा जाती
बन जाती अखबारों के मुख्य पृष्ठ की खबर और न्यूज़ चैनलों की हेड लाइन्स अगर मरता कोई नेता कभी भूख की तड़प से लेकिन नजाने कितनो को ही खा जाती
read moreAbhimanyu Kamlesh Rana
खुद भी तो जीना है इसलिए चंद पैसे ले लेते हैं कितने भले हैं हम माना मौत बेचते हैं पर चेतावनी दे देते हैं मां भारती का आंचल सदैव निर्मल रहे स्वच्छ रहे इसलिए जुर्माना लगा देते हैं माना मसला उत्पादन है पर खुद भी तो जीना है इसलिए अनुमति दे देते हैं 1000 के मुकाबले 899 बेटियों का बलात्कार हुआ Flat 20 प्रतिशत कम किसानों ने फंदे को छुआ "देखा,,,,हमारे राज में कितना कम नुक्सान हुआ" इन्हीं महान शब्दों ने तो आपके दिलों को छुआ तभी तो हम सीना ताने खड़े हैं हमारे पास आपका प्यार पाने के तरीके ही बड़े हैं यूं ही थोड़े लंगोटिये यार न्यूज़ चैनलों पे लड़े हैं आपका दिल से धन्यवाद देते हैं आप जो ये होंठ सी लेते हैं इसी सहारे हम जी लेते हैं ।।। -अभिमन्यु "कमलेश" राणा। New one.."खुद भी तो जीना है" खुद भी तो जीना है इसलिए चंद पैसे ले लेते हैं कितने भले हैं हम माना मौत बेचते हैं पर चेतावनी दे देते हैं मां भा
New one.."खुद भी तो जीना है" खुद भी तो जीना है इसलिए चंद पैसे ले लेते हैं कितने भले हैं हम माना मौत बेचते हैं पर चेतावनी दे देते हैं मां भा
read moreAbhimanyu Kamlesh Rana
खुद भी तो जीना है इसलिए चंद पैसे ले लेते हैं कितने भले हैं हम माना मौत बेचते हैं पर चेतावनी दे देते हैं मां भारती का आंचल सदैव निर्मल रहे स्वच्छ रहे इसलिए जुर्माना लगा देते हैं माना मसला उत्पादन है पर खुद भी तो जीना है इसलिए अनुमति दे देते हैं 1000 के मुकाबले 899 बेटियों का बलात्कार हुआ Flat 20 प्रतिशत कम किसानों ने फंदे को छुआ "देखा,,,,हमारे राज में कितना कम नुक्सान हुआ" इन्हीं महान शब्दों ने तो आपके दिलों को छुआ तभी तो हम सीना ताने खड़े हैं हमारे पास आपका प्यार पाने के तरीके ही बड़े हैं यूं ही थोड़े लंगोटिये यार न्यूज़ चैनलों पे लड़े हैं आपका दिल से धन्यवाद देते हैं आप जो ये होंठ सी लेते हैं इसी सहारे हम जी लेते हैं ।।। -अभिमन्यु "कमलेश" राणा। New one.."खुद भी तो जीना है"....From a politician to his people..... ##### खुद भी तो जीना है इसलिए चंद पैसे ले लेते हैं कितने भले हैं हम मान
New one.."खुद भी तो जीना है"....From a politician to his people..... ##### खुद भी तो जीना है इसलिए चंद पैसे ले लेते हैं कितने भले हैं हम मान
read moreAbhimanyu Kamlesh Rana
खुद भी तो जीना है इसलिए चंद पैसे ले लेते हैं कितने भले हैं हम माना मौत बेचते हैं पर चेतावनी दे देते हैं मां भारती का आंचल सदैव निर्मल रहे स्वच्छ रहे इसलिए जुर्माना लगा देते हैं माना मसला उत्पादन है पर खुद भी तो जीना है इसलिए अनुमति दे देते हैं 1000 के मुकाबले 899 बेटियों का बलात्कार हुआ Flat 20 प्रतिशत कम किसानों ने फंदे को छुआ "देखा,,,,हमारे राज में कितना कम नुक्सान हुआ" इन्हीं महान शब्दों ने तो आपके दिलों को छुआ तभी तो हम सीना ताने खड़े हैं हमारे पास आपका प्यार पाने के तरीके ही बड़े हैं यूं ही थोड़े लंगोटिये यार न्यूज़ चैनलों पे लड़े हैं आपका दिल से धन्यवाद देते हैं आप जो ये होंठ सी लेते हैं इसी सहारे हम जी लेते हैं ।।। -अभिमन्यु "कमलेश" राणा। New one.."खुद भी तो जीना है"....From a politician to his people..... ##### खुद भी तो जीना है इसलिए चंद पैसे ले लेते हैं कितने भले हैं हम मान
New one.."खुद भी तो जीना है"....From a politician to his people..... ##### खुद भी तो जीना है इसलिए चंद पैसे ले लेते हैं कितने भले हैं हम मान
read moreSwarima Tewari
न्यूज़ चैनलों में मची है, अजब सी होड़, पेश करते खबरों को, जी भर तोड़ मरोड़। ब्रेकिंग न्यूज़ सबसे पहिले, हमारे चैनल ने दिखलायी है, सब इसी अफरा तफरी में लगे हैं, जानने की फुरसत कहां कि , आइने में क्या सच्चाई है। किसने कितनी करी साजिशें, कहां हुई बेहिसाब रंजिशें, इसका पूरा हिसाब है, पर क्या सच में सच का, चेहरा बेनकाब है? आड़े-टेढ़े,उल्टे-सीधे, मीडिया के सवाल बेशुमार, बीत रही क्या पीड़ित पर, नहीं कोई सरोकार। एक ही खबर को पूरा दिन, हर चैनल दिखा रहा, मानो कोई चूहा एक ही ब्रेड, दिनभर कुतर-कुतर के खा रहा। अब बस करो हंगामा ये शोर, छटने दो छाए हैं, झूठ के बादल घनघोर। पानी को पानी ही रहने दो, मत दिखाओ इसे शराब, खबर को खबर ही रहने दो, "र"और "ब" से खेलकर, मत बनाओ इसे खराब। आजकल news channels और media ने खबर पहुंचाने से ज़्यादा channels को प्रतिस्पर्धा का ज़रिया बना लिया है।ऐसे ही कुछ news channels और पत्रकारों
आजकल news channels और media ने खबर पहुंचाने से ज़्यादा channels को प्रतिस्पर्धा का ज़रिया बना लिया है।ऐसे ही कुछ news channels और पत्रकारों
read moreOMG INDIA WORLD
गिद्ध क्या आपको उस चित्र की याद है? उस चित्र का नाम है- ‘गिद्ध और छोटी बच्ची’। इस चित्र में एक गिद्ध, भूखी बच्ची की मृत्यु का इंतजार कर रहा है। एक दक्षिण अफ्रीकी फोटो पत्रकार केविन कार्टर ने इसे मार्च 1993 के अकाल में सूडान में खींचा था। उस फिल्म के लिए उसे पुलित्जर पुरस्कार दिया गया था। लेकिन इतना सम्मान प्राप्त करने के बाद भी कार्टर ने 33 वर्ष की उम्र में आत्महत्या कर ली थी। उस आत्महत्या का कारण क्या था? वास्तव में, जब वह सम्मान मिलने की खुशी मना रहा था, और उस पुरस्कार का समाचार अनेक टीवी समाचार चैनलों पर दिखाया जा रहा था, उसी समय किसी ने उससे एक टेलीफोन इंटरव्यू में पूछा कि अन्त में उस लड़की का क्या हुआ? कार्टर ने उत्तर दिया कि मैं कुछ कह नहीं सकता, क्योंकि मैं अपनी उड़ान पकड़ने की जल्दी में था। ‘वहाँ कितने गिद्ध थे?’ उसी आदमी ने पूछा। कार्टर ने कहा, ‘मैं समझता हूँ कि वहाँ एक ही था।’ टेलीफोन पर दूसरी ओर से बात कर रहे व्यक्ति ने कहा, ‘मैं कह रहा हूँ कि वहाँ उस समय दो गिद्ध थे, उनमें से एक के पास कैमरा था।’ इन शब्दों की सार्थकता समझते ही कार्टर बहुत दुःखी हो गया और उसके कुछ समय बाद उसने आत्महत्या कर ली। हमें हर स्थिति में मानवता का ध्यान रखना चाहिए। कार्टर आज भी जिन्दा होता, यदि उसने उस भूख से मरती हुई बच्ची को संयुक्त मिशन के भोजन केन्द्र तक पहुँचा दिया होता, जो वहाँ से केवल आधा मील दूर था, शायद वह बच्ची वहीं पहुँचने का प्रयास कर रही थी। आज फिर, अनेक गिद्ध हाथों में कैमरा लेकर पूरे देश से अपने घर लौट रहे हैं, जो केवल जलती हुई चिताओं के और ऑक्सीजन के अभाव में दम घुटने से मरने वाले लोगों के चित्र खींच रहे हें और उनको ऑनलाइन बेच रहे हैं। इन गिद्धों को मौतों की चिन्ता करने के बजाय उनके समाचार एकत्र करने की चिन्ता अधिक है, ताकि चैनलों की टीआरपी बढायी जा सके। वे जलती हुई चिताओं में ईंधन डालकर ब्रेकिंग न्यूज एकत्र करने में व्यस्त हैं। केविन कार्टर में स्वाभिमान था, इसलिए उसने आत्महत्या कर ली। लेकिन ये पत्रकार नामधारी गिद्ध गर्व के साथ ब्रेकिंग न्यूज बनाने में व्यस्त हैं। 🙏💥 ©OMG INDIA WORLD गिद्ध क्या आपको उस चित्र की याद है? उस चित्र का नाम है- ‘गिद्ध और छोटी बच्ची’। इस चित्र में एक गिद्ध, भूखी बच्ची की मृत्यु का इंतजार कर र
गिद्ध क्या आपको उस चित्र की याद है? उस चित्र का नाम है- ‘गिद्ध और छोटी बच्ची’। इस चित्र में एक गिद्ध, भूखी बच्ची की मृत्यु का इंतजार कर र
read moreAnil Ray
कà¤à¥€-कà¤à¥€ मन में ख्याल आता है हम पिंजरबद्ध पक्षी है पूर्णतः मानसिक गुलाम बिल्कुल परतंत्र...... असुर का अर्थ है जो सत्ता से सुर न मिलायें जनता सुशुप्त है मौलिक जरूरतों में व्यस्त अब अच्छे दिन के लिए स्वप्न भी नही चाहिए लोगों का ध्यान नही रहे वें भगवान को लाये। चहुंओर अशांति, अपशब्द, दयनीय आँखे मातृशक्ति के अपमान का जैसे स्वर्णकाल है पर जनशक्ति विद्रोह नही करती आजकल क्यों कि लोकतंत्र में अब जनता ही असुर है। राजा भी समय-समय पर अध्यादेश द्वारा आदेश देता भक्तों सुर में सुर मिलाते रहो। सत्य कहना अब राज्य धर्म के खिलाफ है राजखजाने पर एकाधिकार भी अब.... चोर, लुटेरों, एवं भगोड़ा का ही रहा है। यह भी सामंती जीवन का आनंद लें रहे राजा-मंत्री अपनी विलासिता में मस्त हैं लेकिन महारानी के साथ नही कोई अब सब के सब पर रानी के बांहों में बंधे है। आखिर जिंदगी भी तो इसी का नाम है। हम मूर्खो के भाग्य में यह सब सुख नही भगवान ने लिखा नही और राजा भगवान ऐसा ही हमारे धर्मग्रंथ कहते हैं खामोश! बस चुपचाप देखते और सहते रहो तुम। पाषाणयुग व्यतीत हो चुका है परन्तु... आदमी पत्थर है लहू देखकर रोता नही हँसकर विडियो बनाता है, असुर है। वह जानता है सुर में सुर मिलाते चलों.. जब जब धर्मे पर संकट-बादल गहरायेगा भगवान खुद जन्म लेंगे अधर्मी को मिटाने यह सही है तो फिर भक्त क्यों चिल्लाते हैं धर्म ख़तरे में है इस भगवान पर भरोसा नही या भगवान की परिकल्पना सिर्फ मिथ्या है। हे भगवान मेरे सुर बिगड़े पर मैं असुर नही.. क्षमाप्रार्थी! क्षमाप्रार्थी!! क्षमाप्रार्थी!!! ©Anil Ray 🍉🍉🍉⚔️🗡️मतीरे की राड़🗡️⚔️🍉🍉🍉 आजकल यह एक मुहावरा है , लेकिन आप जानकार हैरान होंगे कि राजस्थान में इस मुहावरे का खूब प्रयोग होता है, जिसका अर्
🍉🍉🍉⚔️🗡️मतीरे की राड़🗡️⚔️🍉🍉🍉 आजकल यह एक मुहावरा है , लेकिन आप जानकार हैरान होंगे कि राजस्थान में इस मुहावरे का खूब प्रयोग होता है, जिसका अर्
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