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Divya Hariwanshi
किसी ने तनाब में आकर नशे को अपनाया , किसी ने शौक के लिए इसे अपनाया । किसी का इसने जीवन छीना, किसी की इसने छीनी मंजिल । यह जानते हुए भी मनुष्य ने इसे गले लगाया । ©Divya Hariwanshi #smoke life quotes
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read moreVIIKAS KUMAR
Dr Willmar Schwabe India Thymolum Dilution 200 ch is a homoeopathic remedy that is a highly effective for treating genito-urinary diseases. It helps to treat pathological emissions and abnormal discharge of secretion from the prostate gland, but it affects sexual organs only. It effectively helps in solving digestion related problems. It helps people having low energy and low confidence and need assurance. ©VIIKAS KUMAR thymolum 200 ch
thymolum 200 ch
read moreKirbadh
धुआं फैला हौले-हौले जब जली सिगरेट अपनी कुर्बानी देकर भी माचिस न करती रिग्रेट फेफड़े स्याह हो गए पीकर ये सिगरेट पीने वाले सोचे मगर हो जाएंगे वे रिजनरेट ©Kirbadh #smoke कविताएं कविता कविता कोश
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read moreJunaid Pinjari
ایک سگریٹ تھامیرےہاتھ میں ایسےکہ قلم یعنی جو شعر ہواہے وہ دھواں تھا پہلے دل میں رہنے کے بھی آداب ہوا کرتے ہیں تجھ کو معلوم نہیں کون یہاں تھا پہلے ©Junaid Pinjari #smoke
Tejaswini
today White⚪ day in navaratri ©Tejaswini #navratri #Days #blessings
Tarique Usmani
White घर क्यों नेमत है? उन से पूछें जिन्हें ज़िंदगी के तवील सफ़र में कोई महफूज़ ठिकाना न मिला घर क्यों आबाद हैं? उन से पूछें जिन का किसी को इंतज़ार नहीं जिन्हें किसी का इंतज़ार नहीं घर क्यों ज़रूरत हैं ? उन से पूछें जिनकी आंख में कोई ख़्वाब नहीं। जिन के लब पे कोई सवाल नहीं घर क्यों जन्नत हैं? बस वहीं जानें जिन्हें इक छत और चार दीवारी का सुकूँ कभी मयस्सर न हुआ। ©Tarique Usmani #Free
Jairam Dhongade
White पाहतो पिरपिरी तर कधी ढगफुटी पाहतो... चिंब ओली उभी मी कुटी पाहतो! राजकारण तशी रोज धोकाधडी... माणसांचीच फाटाफुटी पाहतो! संकटाला कुणी सोबतीला नसे... नेहमी माणसे पळपुटी पाहतो! ना करत जो भले कोणते काम तो.. त्यास मी मारतांना खुटी पाहतो! रोग फैलावला कोणता हा नवा... एक बटव्यात नामी बुटी पाहतो! जयराम धोंगडे, नांदेड ©Jairam Dhongade #Free
Pankaj Pahwa
White लिखे थे नाम कागज पे, वो सब मैंने मिटा डाले, की ये फेहरिस्त थी उनकी, जो बनते थे सगे वाले, कभी मिल जाओ भर इनसे, और देखो सामने से तुम, चमकते चेहरे रखते हैं, सुरख गहरे हैं दिल काले, ये सारे वो ही रिश्ते हैं, ये सारे वो ही नाते हैं, जरा भर काम करने के, ये बदले कुछ तो चाहते हैं, अगर चाहोगे कुछ ऐसा, इन्हें महफूज रखोगे, ये अपने आप का ही तुम, कदम मनहूस रखोगे, सलाह मानो अभी है वक्त, बना लो इनसे तुम दूरी, बुरे जो वक्त ना थे साथ, थी इनकी क्या वो मजबूरी, लिखे थे नाम कागज पे, वो सब मैंने मिटा डाले, की ये फेहरिस्त थी उनकी, जो बनते थे सगे वाले, ©Pankaj Pahwa #Free