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neelu
White अगर हम लोगों को सहारे नहीं दे पा रहे हैं तो क्या यह सही नहीं होगा कि हम उनको किनारे दे दे ©neelu #GoodMorning #अगर हम #लोगों को #सहारे #नहीं दे पा रहे हैं तो #क्या यह सही #नहीं #होगा कि हम #उनको #किनारे दे दे
RB BABLU
White मैं तुझे वहाँ से भी मांग लूं... कोई बता दे किस्मत के फैसले कहां होते हैं !! ©RB BABLU #Sad_Status कोई बता दे
#Sad_Status कोई बता दे
read moreranjit Kumar rathour
, 5ए वक्त इतनी जल्दी क्या हैं थोड़ा रुक जाया कर ज़ब तक होश सम्हालता हुँ देर हो जाती हैं पता नहीं तू जल्दी मे हैं या फिर मैं धीमा हुँ चलो कोई बात नहीं क्या हुआ जो तू आगे निकल गया थोड़ी देर से सही आऊंगा मैं लेकिन वक्त तो दे जिससे खुद क़ो सम्हाल पाऊं हां सम्हाल पाऊ ©ranjit Kumar rathour थोड़ा वक्त तो दे
थोड़ा वक्त तो दे
read moreShashi Bhushan Mishra
जाते-जाते जीवनभर की ख़ुशी भरी सौगात दे गया, वो मेरे सपने में आकर सबसे सुंदर रात दे गया, उसकी बातों में सुकून था अपनापन का आलम था, अंधियारे की घोर निशा में दीपक बनकर मात दे गया, अब भी उसकी बातें मन में पंछी सा कलरव करती, भाव शून्य से जीवन में भी प्रेमपूर्ण ज़ज़्बात दे गया, पायल की छम-छम कानों में मधुर रागिनी सी घोले, मेरे हिस्से में आकर वो मुझको भी औक़ात दे गया, साँसों के झूले पर रिमझिम सी फुहार मदमस्त पवन, ऐसे में आकर निर्मोही कपटी मन को घात दे गया, ज़रा ठहर कर पूछो ख़ुद से अपनी असली चाहत को, दीन-धर्म, ईमान, शांति सब ख़ुद में सारी बात दे गया, कैसे कहूँ मुकद्दर मेरे साथ नहीं चलता 'गुंजन', हर पल साथ रहा दामन में पूरी कायनात दे गया, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra #ख़ुशी भरी सौगात दे गया#
#ख़ुशी भरी सौगात दे गया#
read moreKavi Avinash Chavan(युवा कवी)
प्रेमात मागतो मी माझीच राख थोडी, देवून टाक माझ्या चितेस आग थोडी.. #युवाकवी
read morenisha Kharatshinde
जगा अन् जगूद्या सध्या पन्नाशीही पार करणे खूप अवघड झालंय अन् आत्महत्या करणे अगदी सोपं झालंय पंचवीस वर्षाच्या नात्याला किंमत राहिली नाही दोन वर्षाच्या प्रेमासाठी कुणी आईचाही उरला नाही त्या रागापुढे सर्वच शून्य अहंकाराने डाव साधला वेदनांनी आवाज न करता भावनांचा गळा घोटला दुनियेचं हसू होईल अन् इज्जतीचा पंचनामा समजून घेऊ जग म्हणतं अन् पडद्याआडून जाहीरनामा इथं कुणी कुणाची निंदा करते स्तुती मात्र क्वचित तिरस्काराने एकमेकांच्या संपली माणुसकीही निश्र्चित अफवांवर पांघरुण घालणारे पडतात फसवणुकीत बळी माहेर आहेर संपलय आता जन्मत:च खुंटते कळी जगा अन् जगूद्या सर्वा या महामारीच्या परिस्थितीत अत्यल्प आयुष्य उरलय बदल करा मनस्थितीत ✍️ निशा खरात/शिंदे (काव्यनिश) ©nisha Kharatshinde जगा अन् जगू द्या
जगा अन् जगू द्या
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