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##बनारस शिव जी पार्वती जी को आंवला एकादशी को गौना कराकर ले कैलाश ले गए थे और आज से ही होली की शुरुआत होती है#nojotoRamesh Gupta

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Vikas Sharma Shivaaya'

'ॐ वक्रतुण्डाय हुं-'यह मंत्र शत्रुओं से बचाता है। अरी अनोखी बाम तू आई गौने नई ! बाहर धरसि न पाम है छलिया तुव ताक में !! इस दोहे में रसखान

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'ॐ वक्रतुण्डाय हुं-'यह मंत्र शत्रुओं से बचाता है।

अरी अनोखी बाम तू आई गौने नई !
बाहर धरसि न पाम है छलिया तुव ताक में !!

इस दोहे में रसखान जी गोपियों से कहते है – अरी अनुपम सुंदरी तुम नई नवेली गौना द्विरागमन कराकर ब्रिज में आई हो , क्या तुम्हे कन्हैया का सवभाव मालूम नहीं है ! अगर तुम घर से बाहर निकली तो वह तुम्हे अपने प्रेम जाल में फंसा लेगा !

🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' 'ॐ वक्रतुण्डाय हुं-'यह मंत्र शत्रुओं से बचाता है।

अरी अनोखी बाम तू आई गौने नई !
बाहर धरसि न पाम है छलिया तुव ताक में !!

इस दोहे में रसखान

Akanksha Srivastava

निराली है काशी अद्भुत है काशी जहाँ हर रंग की लीला है आओ चले महाशिवरात्रि  बाबा की शादी जहां हर रश्म की अनोखी लीला है हल्दी मेहंदी हर रस्म न

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निराली है काशी अद्भुत है काशी
जहाँ हर रंग की लीला है 
आओ चले महाशिवरात्रि  बाबा की शादी
जहां हर रश्म की अनोखी लीला है
हल्दी मेहंदी हर रस्म निभाती काशी
धूम धाम से ढोल-ढाक से
शंखनाद और पुष्पवर्षा से गौना कर 
महादेव संग लौटी गौरा है काशी 

फाग की फुहार चली
काशी की कुंज गलिन में
उड़े गुलाल-अबीर भभूत
रंगभरी एकादशी रंगोत्सव से 
बाबा संग होली खेलने को तैयार है काशी
आओ देखे ये निराली होली
जहाँ भूत -प्रेत अवघड़ संग चले है बाबा
मणिकर्णिका खेलन
चिता-भस्म की मसाने होली
भस्म गुलाल मे रंगे झूम रहे है जहां काशीवासी 
अरे मर्दे ई- त बड़ा ही निराली हव काशी!!

©Akanksha Srivastava निराली है काशी अद्भुत है काशी
जहाँ हर रंग की लीला है 
आओ चले महाशिवरात्रि  बाबा की शादी
जहां हर रश्म की अनोखी लीला है
हल्दी मेहंदी हर रस्म न

Anamika

#जिज्जी #शनिवार इतवार को सीमा के स्कूल की छुट्टी रहती थी, इसलिए फुदकते हुए अपनी मां के साथ हमारे यहां आ जाती... बेटियों से विशेष लगाव रखन

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   जिज्जी ...
   तुम नहीं समझ पाओ,
    हमार यहां 
   ऐसे ही होवत है....

 (अनुशीर्षक में पढ़ें)
     #जिज्जी 
#शनिवार इतवार को सीमा के 
स्कूल की छुट्टी रहती थी, इसलिए फुदकते हुए अपनी मां के साथ
हमारे यहां आ जाती...
 बेटियों से विशेष लगाव रखन

Divyanshu Pathak

राजस्थान का लोक जीवन अपनी विशेष रीति-रिवाजों के कारण दुनियाभर में कौतूहल का विषय बना ही रहता है।जब भी कोई बाहर का सैलानी यहाँ आता है तो देख

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मौसर और औसर
किसी के देहावसान के बाद बारहवां या तेरहवीं (मृत्यु-भोज) मौसर कहलाता है और मृतात्मा की शान्ति के लिए गरुण पुराण का पाठ करवाया जाता है।

औसर- जीवित व्यक्ति के द्वारा स्वयं का मृत्यु-भोज करना और ईश्वर से कामना करना कि मरणोपरांत उसे शान्ति और मुक्ति मिले। राजस्थान का लोक जीवन अपनी विशेष रीति-रिवाजों के कारण दुनियाभर में कौतूहल का विषय बना ही रहता है।जब भी कोई बाहर का सैलानी यहाँ आता है तो देख

Dr Upama Singh

बात उन दिनों की है जब भारत देश में छोटे से उम्र में विवाह कर दी जाती थी। मेरी दादी का भी 13 साल की उम्र में मेरे दादाजी के साथ जो ख़ुद 15 सा

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        घूंँघट की आड़ (लघुकथा)
        अनुशीर्षक में👇👇://
 बात उन दिनों की है जब भारत देश में छोटे से उम्र में विवाह कर दी जाती थी। मेरी दादी का भी 13 साल की उम्र में मेरे दादाजी के साथ जो ख़ुद 15 सा

Vikas Sharma Shivaaya'

खेलैं मसाने में होरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी यह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, व

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खेलैं मसाने में होरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी
भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी

यह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, वो भी काशी के मणिकर्णिका (श्मशान) घाट पर-  रंग एकादशी के दूसरे दिन काशी में स्थित श्मशान पर भी चिताओं की भस्मी के साथ होली खेलने की भी एक अनूठी परंपरा भी है,पौराणिक कथाओं के अनुसार इस परंपरा की शुरुआत शंकरजी से ही मानी जाती है...,

मान्यताओं के अनुसार- जब भगवान शिव, पार्वती का गौना करने के लिए आये थे तो उनके साथ भूत, प्रेत, पिशाच, यक्ष गन्धर्व, किन्नर जीव जंतु आदि नहीं थे, जिनके लिए श्मशान पर चिताओं की भस्मी से होली खेले जाने की परंपरा को बनाया गया...,

लखि सुंदर फागुनी छटा के, मन से रंग-गुलाल हटा के,
चिता, भस्म भर झोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी

यह गीत अड़बंगी भोले बाबा के विचित्र होली की तस्वीर पेश करता है-गाया है बनारस घराने के मशहूर ठुमरी गायक 'पद्म विभूषण' पंडित छन्नूलाल मिश्र ने...,

'श्मशान' जीनवयात्रा की थकान के बाद की अंतिम विश्रामस्थली है-अंतिम यात्रा के दौरान रंग-रोली तो शव को लगाया जाता है लेकिन नीलकंठ देव के चरित्र में इस समय रंग गुलाल नहीं है, जली हुई चिताओं की राख है, जिससे वो होली खेलते हैं...,

गोप न गोपी श्याम न राधा, ना कोई रोक ना, कौनऊ बाधा
ना साजन ना गोरी, ना साजन ना गोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी
 
एक तरफ बृज में कृष्ण और राधा की होली है जो प्रेम का प्रतीक है, लेकिन भगवान शिव की होली उनसे अलग है, उनकी जगह श्मशान है-शंकर जी के होली को देखकर गोपिकाओं का मन भी प्रसन्न हो जाता है-अड़बंगी महराज के साथी भूत-प्रेत हैं, रंगों की जगह जली हुई चिताओं की राख है जिससे वो नाचते-गाते भूतों पर मल देते हैं, 

नाचत गावत डमरूधारी, छोड़ै सर्प-गरल पिचकारी
पीटैं प्रेत-थपोरी दिगंबर खेलैं मसाने में होरी
भूतनाथ की मंगल-होरी, देखि सिहाए बिरिज की गोरी
धन-धन नाथ अघोरी दिगंबर, खेलैं मसाने में होरी 

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज993 से 1000 नाम  )
993 शंखभृत् जिन्होंने पांचजन्य नामक शंख धारण किया हुआ है
994 नन्दकी जिनके पास विद्यामय नामक खडग है
995 चक्री जिनकी आज्ञा से संसारचक्र चल रहा है
996 शार्ङ्गधन्वा जिन्होंने शारंग नामक धनुष धारण किया है
997 गदाधरः जिन्होंने कौमोदकी नामक गदा धारण किया हुआ है
998 रथांगपाणिः जिनके हाथ में रथांग अर्थात चक्र है
999 अक्षोभ्यः जिन्हे क्षोभित नहीं किया जा सकता
1000 सर्वप्रहरणायुधः प्रहार करने वाली सभी वस्तुएं जिनके आयुध हैं

हे भगवान् नारायण हमारी रक्षा कीजिये,वही विष्णु भगवान् जिन्होंने वनमाला पहनी है,जिन्होंने गदा, शंख, खडग और चक्र धारण किया हुआ है,वही विष्णु हैं और वही वासुदेव हैं...

ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ 

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' खेलैं मसाने में होरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी
भूत पिशाच बटोरी दिगंबर, खेले मसाने में होरी

यह विचित्र होली है जिसे भगवान शिव खेलते हैं, व

अपनी कलम से

भाग -12 सोच में पड़ा था बापू कि कैसे क्या होगा, अब ब्याह रह गया है बाकी, आगे गौना भी होगा। कर्ज़ का बोझ सर पर पहले से हीं लिए, कभी इस दर तो

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सोच में पड़ा था बापू कि कैसे क्या होगा, अब ब्याह रह गया है बाकी, आगे गौना भी होगा।
कर्ज़ का बोझ सर पर पहले से हीं लिए, कभी इस दर तो कभी उस दर भटक रहा था,
घर में एहसास तक किसी को नहीं, कि बापू परी का आखिर क्या कर रहा था।
मुसीबत थी बहोत बड़ी सामने उसकी, पर जिम्मेवारियों से भाग नहीं सकता था।
एक साहूकार था राज़ी, देने को पैसा उसे, पर नज़र टिकी थी उसकी बापू के ज़मीन पर,
आख़िर बापू को वहां जाना हीं पड़ा, पैसे के लिए काफी गिरगिराना भी पड़ा,
साहूकार बोला - देख बेटा, क्या करोगे, 
पैसा ऐसे देता है कौन, ब्याह का इंतजाम कैसे करोगे?
चल, तेरी जो भी मुसीबतें हैं, सारी -की -सारी टल जाएंगी, अपनी सड़क वाली ज़मीन मुझे लिख दे,
सच कहता हूं, कोई भी परेशानी, अपनी परी बिटिया के ब्याह में, हाथ नहीं लगाएगी।
जैसी सोच है तेरी, ब्याह भी वैसे हीं होगा, ज़मीन का क्या, जरूरत है,  बिकेगी,
अच्छे से कमाओगे आगे गर आगे, बेशक खरीद पाओगे, फिर तो तेरा हीं होगा।
सुनकर साहूकार की बात, बापू की थी आंखें डबडबाई,
कौन समझे उसे, उस सक्स पर उस समय कैसी मुसीबत थी आयी।
हिम्मत कर बोला बापू, ठीक है, सोचता हूं, परिवार सबकुछ है मेरा, एक बार बात करता हूं।
उम्मीद कहीं से कुछ न बची थी, एक वही उम्मीद सामने आने लगीं,
कोई कुछ देने को राज़ी न हुआ, बात अंदर -हीं -अंदर उस सक्स को खानें लगी।
अपनी पत्नी के साथ बैठ कुछ बातें करनें लगा, 
अपनी सारी बातों को सामने उनके, सहजता से रखनें लगा।
बता तू हीं, अब मैं करूं क्या, कोई रास्ता नहीं मेरे पास है, 
अब समय भी बचा नहीं, एक साहूकार पर हीं विस्वास है।
कोई चवन्नी तक दे नहीं रहा, मैं अब क्या करूं,
एक हीं तो बिटिया है हमारी, बता उसकी शादी अब कैसे करूं?
एक हीं तो ज़मीन है, गर बेच भी दूं तो जीवन कैसे चलेगा, एक बेटा भी तो है, आगे वो कैसे पलेगा?
अपनी माँ -बाप की सारी बातें छुपकर सुन रहीं थीं परी,
मानों सन्नाटों में शोर करती, रोए जा रही थी खड़ी -खड़ी।
परी के सिसकने की आवाज़, थी माँ के कानों में समायी,
बिटिया बातें सारी सुन रही थी, क्या समझाएगी, कुछ समझ नहीं आई।
बापू उठा, उठकर देखने गया, बिटिया भाग अपने कमरे में फूट -फूट कर रोने लगी,
मां थी समझा रही उसे, बाप खुद को संभालता, ऐसा लगा मानों कुछ खोने लगी।
आगे क्या.....

©dashing raaz भाग -12

सोच में पड़ा था बापू कि कैसे क्या होगा, अब ब्याह रह गया है बाकी, आगे गौना भी होगा।
कर्ज़ का बोझ सर पर पहले से हीं लिए, कभी इस दर तो

Divyanshu Pathak

Dedicating a #testimonial to कोरा काग़ज़ ™️ जी #होलीकेहमजोली प्रतियोगिता का अंतिम दिन और हमारी टीम : #येरंगचाहतोंके सदस्यों - 1 कोमल शर्मा ज

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टीम ये रंग चाहतों के
प्रशस्ति - पत्र
टीम "ये रंग चाहतों के" की ओर से टीम "कोराकागज़" और सहयोगियों को होली के हमजोली प्रतियोगिता के माध्यम से हमारी टीम को पाँच दिन अलग अलग कहानियाँ 1. ख़ुद रंग मोहब्बत 2. मुस्कुराते रंग 3.ज़हरीला ग़ुलाल 4.सृजन के रंग 
5. श्याम रंग में जो मीरा ने चूनर रंगी ।
लिखने का अवसर प्राप्त हुआ आपकी शानदार पहल का सफ़ल क्रियान्वयन के लिए आपको प्रशंसा पत्र भेंट करते हैं। Dedicating a #testimonial to कोरा काग़ज़ ™️ जी #होलीकेहमजोली प्रतियोगिता का अंतिम दिन और हमारी टीम
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#येरंगचाहतोंके सदस्यों
- 1 कोमल शर्मा ज
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