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Akshat Vishwakarma
ये भी इतिहास में लिखा जाएगा, जब पूरा देश डगमगा रहा है, तब पूरा हिंदुस्तान जगमगा रहा है.. शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसंपदा शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥
शुभं करोति कल्याणमारोग्यं धनसंपदा शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते ॥
read moreSamEeR “Sam" KhAn
शायद अब कभी ना लौट पाऊं में खुशियों के बाजार में क्योंकि गम ने ऊंची बोली लगाकर खरीद लिया है मुझे । ©SamEeR “Sam" KhAn #बाजार
मिहिर
बाज़ार मुझे लगता था हम उस युग में पैदा हुए जहां लोग प्रबुद्ध है समृद्ध है जहां लोकतंत्र है साक्षरता है तकनीक और विज्ञान है सक्षमता है फिर धीमे धीमे महसूस किया यहां जो कुछ है सब व्यापार है कुछ व्यापारी बाकी सब के सब खरीददार जो कुछ हैं यहां सब का सब बाजार !! ©मिहिर #बाजार
Rajnish Sharma
जिन्दगी कुछ इस तरह गुजार दी हमने बाजार मे टहले ,खाली जेब कोई खरीदना कुछ नही हर खिडकी से झाके कोई बाजार
बाजार
read moresomnath gawade
हमने खुद को ही खो दिया खुले बाजारमे जब एक मुसाफिर ने हमसे पुच्छा क्या मुझे जानते हो?? बाजार
बाजार
read moreVickram
@@@@ बाजार @@@@ ये जिंदगी अपने आप में ही एक सौदा है। और बाजार है ये ज़माना जो युं चलता ही रहता है। देखा जाए तो यहां पर कौन सी चीजें नहीं है मिलती । हर कोई खरीदार अक्सर यहां से गुजरता ही रहता है ©Vickram बाजार,,,,,
बाजार,,,,,
read moreSangam Pipe Line Wala Poet Shayar
तन्हाई में तेरी मेरा दिल हो जाता बेज़ार क़ाश ऐसा होता कंही लगता यादों का बाजार.. #बाजार
Jai Singh Hindi Dictionary
यूं तो हम मोहब्बत करने से बचते हैं, तुझसे नहीं किसी और से इकतरफा प्यार करते है हम, यूं तो सब बेवफा है नहीं इस जहां में, पर तेरी जैसी मोहब्बत बाजारों में बिका करती है। बाजार।
बाजार।
read moreRaybhan Y. Sonawane patil.
तुम्ही माणसांनी बाजार मांडलाय, बाजार मांडलाय नुसता! आमच्या स्रित्वाचा,आमच्या चारित्र्याचा, आमच्या अब्रूचा,लज्जेचा !! आम्हाला कुत्र्या,मांजरागत पाळलं जातयं, आमच्या नग्न देहावर, कागदाचे तुकडे फेकून, छक्कंदेखील आमचं मालक होतयं. तुमच्या देवभूमीतच कळस गाठताहेत, बलत्काराचे भरमसाठ आकडे ! आम्हाला काय न्याय देणार ! ही मंत्रालयात बसलेली माकडे !! अहो !आम्हाला दिनादास् रस्त्यावर पेटवा ! आमची नग्न धिंढ काढा !! आब्रुचे लक्तरं तोडा ! बिनधास्त आमच्यावर चढा !! खुशाल घाला शिव्या ! इथल्या हर एक महापुरूषाला , संविधानाला ! तुमच्या आमच्या सात पिढ्याला!! मी तर लावलयं उभं आयुष्य तुमच्या मढयाला !!." (कवी:रा.या.सोनवणे पाटील.) "बाजार !!."
"बाजार !!."
read moreSatyapal Chandra
सायद अब लौट ना पाउँ कभी ख़ुशियो के बाज़ार में गम ने ऊंची बोली लगा कर ख़रीद लिया है मुझे S ❤️A बाजार
बाजार
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