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Reetu Yadav
मेरी कमियों को दूर करने में में जो मेरे साझेदार नही, मेरे स्वच्छ व्यक्तित्व और निर्मल व्यवहार के वे हकदार नहीं। राधे राधे। ©Reetu Yadav मेरी कमियों को दूर करने में में जो मेरे साझेदार नही, मेरे स्वच्छ व्यक्तित्व और निर्मल व्यवहार के वे हकदार नहीं।
मेरी कमियों को दूर करने में में जो मेरे साझेदार नही, मेरे स्वच्छ व्यक्तित्व और निर्मल व्यवहार के वे हकदार नहीं।
read moreN S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} अच्छी व सुंदर बुद्धि से रुपये कमाए जा सकते हैं, निर्मल मन से भगवान की भक्ति की कमाई जा सकती है, लेकिन रुपयो से भक्ति व बुद्धि नहीं कमाई जा सकती। जय श्री राधेकृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} अच्छी व सुंदर बुद्धि से रुपये कमाए जा सकते हैं, निर्मल मन से भगवान की भक्ति की कमाई जा सकती है, लेकिन रु
#Sad_Status {Bolo Ji Radhey Radhey} अच्छी व सुंदर बुद्धि से रुपये कमाए जा सकते हैं, निर्मल मन से भगवान की भक्ति की कमाई जा सकती है, लेकिन रु
read moreबेजुबान शायर shivkumar
White // अंधविश्वास के खिलाफ // अंधकार में रहते हो तुम अंधविश्वास के जाल में फंसे हुए तुम्हारे मन में डर है अज्ञानता का तुम्हारे दिमाग में शंका का साया है क्यों मानते हो झूठे करिश्मे क्यों मानते हो अंधविश्वास के नुस्खे तुम्हारी बुद्धि को जागृत करो तुम्हारे मन को निर्मल करो विज्ञान की रोशनी में चलो तर्क की राह में चलो अंधविश्वास के खिलाफ बोलो सत्य की राह में चलो निर्भीकता से जीवन जियो स्वतंत्रता से सोचो अंधविश्वास के जाल से मुक्ति पाओ ज्ञान की रोशनी में जियो ©बेजुबान शायर shivkumar Sethi Ji puja udeshi poonam atrey Kshitija Bhanu Priya आज का विचार अनमोल विचार अनमोल विचार अच्छे विचारों नये अच्छे विचार // #अंधविश्
Sethi Ji puja udeshi poonam atrey Kshitija Bhanu Priya आज का विचार अनमोल विचार अनमोल विचार अच्छे विचारों नये अच्छे विचार // अंधविश्
read moreTrilokinath Sharma
सफेद इश्क सफेद इश्क की कहानी कुछ यूँ बयां होती हैं, जैसे दिल की धड़कनें यूँ खामोश हो जाती हैं। तेरे बिना ये जीवन अधूरा सा लगता हैं, जैसे
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।। आओ खेलो संग , हमारा निर्मल नाता । समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख
कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
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