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Ek villain
रूस ने यूक्रेन की राजधानी की गई समेत अन्य शहरों पर हमला करने ना केवल अपनी हदें पार की है बल्कि अपनी तानाशाही भरे रवैए का परिचय दिया है इसका असर कम है बेलगाम दिख रहा है रूस अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के आर्थिक प्रतिवेदन सिर दर्द कैसे फट जाएगा इसलिए ऐसा कोई पहल जाना चाहिए जिससे वे बातचीत के जरिए मसले का हल निकालने को तैयार हो ऐसी किसी पहल में भारत को भी भागीदार बनना होगा क्योंकि यदि रोग ऋण संकट में गहराया तो देश की अर्थव्यवस्था के समक्ष में पैदा होने के साथ ही चीज को भी बल मिलेगा तो पहले ही हमारी सीमाओं पर अखंड भारत के रक्षा की है ©Ek villain #बेलगाम रूस #Nofear
kamal gururani
ये कौन लोग हैं जो बम बनाते हैं ? इनसे अच्छे तो कीड़े है जो रेशम बनाते हैं। (अज्ञात) ©kamal gururani #यूक्रेन #रूस #युद्ध
Sarita Malik Berwal
बारूद के ढेर पे बैठी है दुनिया इसे चिंगारी ना दिखाओ ये आग जला देगी सबको बस इस आग को बुझाओ ©Sarita Malik Berwal #रूस-यूक्रेन युद्ध
#रूस-यूक्रेन युद्ध
read moreAnuradha Vishwakarma
-सोवियत संघ के गणराज्य (1956-1991 ). - सोवियत रूस का विघटन के बाद 15 हिस्सो में विभाजित हुआ जो इस प्रकार है. -26 जुलाई 1991को इसका विभाजन हुआ. 1.देश 2.राजधानी 3.झंडा इस प्रकार है.... jhankiom vishwakarma #river रूस का विघटन
#river रूस का विघटन
read moreEk villain
यूक्रेन पर चढ़ाई करने के बाद रूस ने जिस तरह उससे बातचीत करने की इच्छा जताई है उससे यही संकेत मिला कि देर से ही सही उसे यह समझ आया कि यदि लड़ाई लंबी खींची तो उसे लेने के देने पड़ सकते हैं यूज कोई याद रहता तो बेहतर होता कि अफगानिस्तान में अपना अध्यापक जताने की कोशिश में ही सोवियत संघ का विकराल हुआ था फिलहाल यह कहना कठिन है कि भूत और युगीन के बीच कोई सार्थक बातचीत हो पाती है या नहीं देती लिए समय की मांग की बहुत जरुरत है वार्ड से ही मसले का हल निकलेगा जंग से मसले सुलझते नहीं बल्कि वो लगते हैं और आज युग में तो उसे सारी दुनिया कहीं अधिक प्रभावित होती यही एक दिखते हैं कि उधर यूज़ यूक्रेन हम लेने विश्व शांति को खतरे में डालने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के समक्ष तब गंभीर संकट खड़ा कर दिया है जब वह कोविड-19 से ऊपर ही रही थी सच तो यह है कि खुद रूस की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा संकट पैदा हो गया है इस बार उसके लिए अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के प्रतिबंध का सामना करना आसान नहीं होगा क्योंकि उसे अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग तंत्र से भी बाहर करने की तैयारी हो रही है मेरी रूस भारत के जरिए समस्या का समाधान निकालने के प्रति वास्तव में गंभीर है तो उसे यूक्रेन पर हमला रोकने होंगे इसका कोई मतलब नहीं है यूक्रेन को बातचीत की दावत देने के साथ ही उसे दवाई करने में भी जुटा रहे फिलहाल वो यूं ही कर रहा है ऐसे में इसके रातों के प्रति संदेह होना स्वाभाविक है जो कि वर्तमान परिस्थिति में यूक्रेन के लिए रोज पर भरोसा करना कठिन है ©Ek villain #रूस के इरादे ठीक नहीं #Rose
Ek villain
यूक्रेन पर उसके लगातार हो रहे हमलों में नाटो ने लोकतंत्र के लिए निर्णय चुनौती मानकर अपना आवाज सम्मेलन बुलाया इससे संबंधित करने के लिए अमेरिका राष्ट्रपति जो बिडेन मिले थे जा रहे हैं उन्होंने चीनी राष्ट्रपति किंगफोग से भी अनुरोध किया है कि युद्ध में रूस की मदद और असैन्य मदद ना करें सीने तटस्थ रहने की बात दोहराई है यदि हमें रोक के सामरिक संतुलन को देखें तो रूस के पास अभी नाटो देशों के कुल परमाणु हथियार से भी बड़ा परमाणु उर्जा कर रहे यूरोपीय देशों की कुल सेना से कहीं बड़ी और शक्तिशाली सेना है ना कि केवल सारी रूपी देशों में कहीं अधिक रक्षा सामग्री बल्कि उन्हें कहीं ज्यादा युद्धों का अनुभव है यूरोप में उसकी हैसियत सर्कस के रंग खड़े एक जैसी है जिसकी सामने बिल्लियों का झगड़ा होने के पीछे रूसी राष्ट्रपति पुतिन की दलाली है उनका मकसद अपने पड़ोस में लगाना है इस वास्तविकता के स्तर पर पर के ही यदि दिखता है तो नोटों की नीति विस्तार बाद होती है 1989 से 1993 के बीच ही पूर्व यूरोप में विस्तार कर लिया होता है उन दोनों और उसकी हालत अदाएं ने दी थी तत्कालीन रूसी राष्ट्रपति बोरोलीन चाहते थे कि रूस के नोटों में शामिल कर लिया जाए परंतु ना तो इसके लिए तैयार नहीं हुआ कुछ विश्लेषक कहते हैं कि रूस असल में यूक्रेन पर हमले के जारी नाटो और अमेरिका को संदेश देना चाहता है कि उनके एक छात्र दबदबे के दिल दे चुके हैं अब उन्हीं की रोशनी तो और चिंताओं की परवाह भी करनी होगी हालांकि हमले की कुर्ता और विश्वास की दरों के दुनियाभर में फैला रहा है करीब महीने भर ही लड़ाई के बाद रूस यूक्रेन के 1 बड़े शहर पर पूरा नहीं कर पाई अस्पताल स्कूल और भी हो रही बमबारी में 9 लोग मारे जा रहे हैं ©Ek villain #रूस पर भारी पड़ता युद्ध #Connection
#रूस पर भारी पड़ता युद्ध #Connection
read moreEk villain
आत्मनिर्भरता का सबक सीखने वाला युद्ध विश्व में सबसे ले कल एक में जीएन वाजपेई ने यूक्रेन के संदर्भ में भारत युद्ध खत्म ना होने के कारण को समझाया है जो स्पष्ट रूप से रूस के लिए आश्चर्यजनक है क्योंकि शुरू में रूस ने यह नहीं सोचा कि कार्मिकों की तरह यूक्रेन को भी जीत जाएगी लेकिन यह बाजी को खुद उल्टी पुल्टी दिख रही थी यह हमें आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता जताई है क्योंकि अगर बिना आते हुए हम किसी बड़ी सख्ती से मोर्चा देंगे तो मुंह की खानी ही पड़ेगी यूक्रेन यही सोचकर स्कूल के पीछे नहीं हट रहा क्योंकि वह खुद पर काम का नहीं और सहयोगी देशों पर अधिक निर्भर ©Ek villain #रूस यूक्रेन युद्ध से मिले सबक #Love
#रूस यूक्रेन युद्ध से मिले सबक Love
read moreEk villain
भारत समेत विश्व के कुछ चुनिंदा देशों द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बावजूद रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है रूसी हमले की तरह से प्रेरित होता है कि रूसी सेना इन हमलों की तैयारी पहले से ही कर रही थी और बड़े पैमाने पर हमले करने की योजना थी हम लोग की वजह से यूक्रेन से जनता का भारी पलायन हुआ है और युग अभी यूक्रेन से सटे हुए आसपास के देश में शरण ले रहे हैं अब तक लगभग 2000000 लोग छोड़ कर जा चुके हैं जिनमें से आधे लोगों ने शरण ले ली है जबकि शेष अन्य पड़ोसी देश में हमले की वजह से माना जा रहा है वैसे पिछले करीब 2 दिनों से यूक्रेन के राष्ट्रपति जलन शकील के ओर से यह कहा जा रहा है कि फिलहाल में नाटो में शामिल होने के अपने निर्णय को लेकर तटस्थ हैं जिससे एक बार तो ऐसा लगता है कि अब थम जाएगा परंतु उसका इरादा कुछ और ही है माना जा रहा है कि रूस यह तो यूक्रेनिया से बड़े भाग पर कब्जा करना चाहता है यूक्रेन फिर रियासती क्षेत्र अपने से अलग करो उन्हें रूसी का हिस्सा बनाना चाहता है तो उसको अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहुत जरूर लगाना पड़ रहा है क्योंकि आप एक स्थाई जनता से पढ़ रहा है इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका और अन्य देशों में यूक्रेन रोकने और अनेक प्रकार के प्रति उनका भी कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है ©Ek villain #रूस यूक्रेन युद्ध से उभरते सवाल #Moon