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Shani Sachan
All Black गोरा गोरा मुखड़ा चाँद का टुकड़ा उत्ते काला चश्मा लग्दा किलर
गोरा गोरा मुखड़ा चाँद का टुकड़ा उत्ते काला चश्मा लग्दा किलर
read morePrashant Mishra
इश्क़ में जो ख़ता करूँ,तुझे ख़ता न लगे मैं तेरे पास से गुजरूँ , तुझे हवा न लगे 'काला चश्मा' लगा के 'आँख गड़ा लूँ' तुझपे और 'तुझे' देखता रहूँ...तुझे पता न लगे --प्रशान्त मिश्रा "काला चश्मा"
"काला चश्मा"
read moreSatguru ki kripya
ब्राह्मण धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया पूरे गांव में उसको भिक्षा देने वाला कोई नहीं मिला क्योंकि मन में यह बात आ गई की इस गांव में कोई इंसान रहता ही नहीं है अब ब्राह्मण एक गांव से दूसरे गांव बिना चश्मे के जहां पर भी भीख मांगता लोग कहते इतना अच्छा कट्ठा होकर भीख मांग रहा है कुछ काम कर ले यह चश्मा लगा कर देखता तो वह जानवर के रूप में नजर आते ब्राह्मण हार गया थक गया और गांव से बाहर निकल गया एक तिराहे पर कस्बे की साइड थोड़ा सा रोनक दार इलाका वहां पर पहुंचा दूर बैठा एक मच्छी उसके पास आता है और हाथ जोड़ कर विनम्र ता पूर्वक कहता है कि है ब्राह्मण देवता मेरा प्रणाम स्वीकार करें आप बहुत दूर से पैदल चलकर आ रहे हैं ऐसा लगता है कि आप और थके हुए हैं और आपको भूख भी बहुत थिरुता से लग रही है मैं आपको खाना खिलाना चाहता हूं ब्राह्मण देवता ने देखा कि यह तो जात का मोची है चमार है इसके देव है भोजन को कौन खाएगा ब्राह्मण के मन में घृणा आ गई और एक स्थान पर बैठ गए फिर सोचा कि भूख तो लगी है इंसान तो कोई नजर नहीं आ रहा है चलो खाना तो खा ही लेता हूं मच्छी साहब जैसे उसके मन के भाव देख रहे हैं पढ़ रहे हैं उन्होंने फिर कहा कि है ब्राह्मण देवता मैं आपको अपने यहां का खाना नहीं खिलाऊंगा सामने एक होटल है उसमें बैठकर आप खाना खाइए और उसका पैसा पेड़ में करूंगा ब्राह्मण देवता ने कहा कि ठीक है ब्राह्मण होटल में जाकर बैठता है मोदी साहब ने कहा कि इस ब्राह्मण देवता को खाना खिलाइए और जो भी बिल होगा वह मैं पेड़ करूंगा होटल वाले ने उसको जी भर के खाना खिलाया मच्छी साहब उनके पास आए और उनको होटल का बिल चुकाया ब्राह्मण से कहा कि है ब्राह्मण देवता आप इस पेड़ की छाया में आराम करो क्योंकि आप थके हुए हैं आपको मैं कुछ अपना भी देना चाहूंगा ब्राह्मण देवता पेड़ की छाया में लेट जाता है मच्छी के पास में एक राजा का वजीर आता है और मुझसे कहता है कि भाई तेरे पास कोई राजा के लायक जूता है उसने अपनी दुकान में ढूंढ कर दिखा एक जूता पड़ा हुआ था उसने उस वजीर को दिखाया वजीर ने कहा कि यह जितना बहुत अच्छा है उसने कहा यह दे दो मच्छी साहब ने कहा कि यह सिंगल पीस है इसके साथ का बनाना पड़ेगा वजीर ने कहा कि कितना समय लगेगा मोची ने कहा कि साहब 1 से 2 घंटा लग जाएगा उसने का ठीक है कितने का पड़ेगा उसने काजी ₹1000 का पड़ेगा वजीर ने मुझको पान सौ रुपए दिए और कहा कि दूसरा जूता तैयार करो मैं एक से 2 घंटे के बीच में जूते को तैयार करने में लग गए एक से डेढ़ घंटा ©Satguru ki kripya #girl काला चश्मा
#girl काला चश्मा
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काफी समय पुरानी कहानी है एक ब्राह्मण का परिवार गांव में रहता था उसको 5 दिन से बुखार चल रहा था ब्राह्मण की पत्नी ने कहा कि 5 दिन से आपको बुखार चल रहा है और घर में कुछ खाने को भी नहीं है क्योंकि जो भिक्षा मिलती थी उसी से घर परिवार का गुजारा चलता था छठे दिन भर मैंने सोचा कि चलता हूं कब तक घर पर पड़ा रहूंगा ब्राह्मण अपनी जोली लेकर घर से बाहर निकल कर चल दिया एक गांव की और पहुंचा सोचा कि इस गांव में 6 लोग रहते हैं मुझे काफी भिक्षा मिल जाएगी ब्राह्मण जैसे ही आगे बढ़ा एक संत जी ने दर्शन दिए संत ने ब्राह्मण को हाथ जोड़कर प्रणाम किया हे ब्राह्मण देवता जी मैं आपको प्रणाम करता हूं आज आप इस गांव में भिक्षा लेने के लिए आए हैं ब्राह्मण ने कहा संत जी प्रणाम बस किसी तरह से गुजर बसर हो रही है आज इस गांव में आया हूं तो कुछ भिक्षा मिल जाए ईश्वर की इच्छा संत जी ने काला चश्मा पहना हुआ था संत जी ने ब्राह्मण को वह काला चश्मा उतार कर दे दिया और कहा जो इंसान आज आपको मिलेगा वह रिक्शा आपको अवश्य देगा जब भी आप भिक्षा मांगे यह लो काला चश्मा इसे पहनकर ही भीख मांगना ब्राह्मण ने चश्मा लिया और अपनी आंखों पर लगा लिया जैसे ही देखा तो संत जी गायब हो गए ब्राह्मण जी इस हस्तरी घटना को देख कर घबरा गए फिर सोचा कि कोई दिव्य आत्मा होगी जिन्होंने मुझे दर्शन दिए ब्राह्मण गांव की तरफ बढ़ा और चश्मा लगा लिया चश्मा लगाकर उसने देखा कि गांव में सभी जानवर है कोई मनुष्य नजर नहीं आ रहा ब्राह्मण ने चश्मा हटा कर दिखा तो कुछ लोग नजर आए कुछ जानवर नजर आए ब्राह्मण को आश्चर्य हुआ वह कभी चश्मा लगाता और कभी तारता इस प्रक्रिया में काफी सारा समय बीत गया अब ब्राह्मण ने सोचा कि भिक्षा कैसे मांगू चश्मा लगाता हूं तो सारे नाचे जानवर नजर आते हैं उतारता हूं तो आदमी नजर आते हैं ©Satguru ki kripya #Kangana काला चश्मा
#Kangana काला चश्मा
read moreनीता चौधरी
काला चश्मा----- नीता थक चुकी थी दुनिया दारी निभाते निभाते,उसे दुनिया से ही बडी नफरत सी हो गई थी,और हो भी क्यो ना! हर कोई पहले उसे अपने रिश्ते का नाम देता और जरूरत पडने पर उसे ही नीचा दिखाकर चल देता।कोई बेटी बनाता,कोई ननद तो कोई मित्र,कोई भाभी।उसे समझ नही आ रहा था जब ईमानदारी से बिन छल कपट के वो रिश्ते निभा रही थी,तो ये खुद क्यो बदल जाते हैं।अब गांधारी तो वो बन नही सकती क्योकि उसका कोई नही तो वो अपने पति और बेटे के लिए तो थी।इतनी बडी दोगली दुनिया की सजा वो अपने परिवार को क्यो देती? इसलिए उसने एक निर्णय लिया ।वो बाज़ार से एक काला चश्मा लाई और आखो पर लगा दिया।वो जब भी घर से बाहर आती चश्मा लगा कर ही निकलती।एक दिन उसके नन्हे से 8साल के बेटे ने पूछ ही लिया।----मम्मी आप बाहर निकलने से पहले ये काला चश्मा क्यो लगाती हो? नीता ने जवाब दिया---बेटा इस चश्मे से मुझे दोगले लोगो के चेहरे नही दिखाई देते इसलिए मै ये चश्मा लगाती हू जिससे मेरी ईमानदारी रोए भी तो वो छुप जाए।-----नीता चौधरी © काला चश्मा लघुकथा #OneSeason
काला चश्मा लघुकथा #OneSeason
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काला चश्मा डेढ़ घंटे के बाद बची मोची से आकर मिलता है और बोलता है कि मौसी जी आपने जूता तैयार कर दिया बच्ची साहब ने कहा कि जी अजीत साहब जूता तैयार हो गया है वजीर साहब ने कहा कि आपको मेरे साथ चलना होगा यह जूता लेकर आपको राजा साहब ने बुलाया है मच्छी साहब ने कहा कि आप मुझे बाकी पैसे यहीं पर दे दीजिए मैं इन ब्राह्मण देवता को दान देना चाहता हूं वजीर साहब ने कहा कि आप इन ब्राह्मण देवता को भी साथ ले लीजिए और वहीं पर इनको दान दिलवा दीजिएगा ब्राह्मण और मोची साहब दोनों वजीर के साथ चल देते हैं और राजा की सभा में जा पहुंचते हैं राजा ने मुझको बुलाया और कहा कि आपने जूता बहुत सुंदर बनाया है बहुत अच्छा बनाया है और यह लो आपके ₹500 मच्छी साहब ने कहा राजा साहब यह पैसा मुझे नहीं वह सामने खड़े दरवाजे में ब्राह्मण देवता खड़े हैं उनको दे दीजिए मेरी ओर से दान राजा साहब ने दरवाजे की ओर देखा तो एकदम मन आंखों पर काला चश्मा लगाए हुए कभी चश्मा उतारता और कभी चश्मा लगा था इस नजारे को राजा साहब कई मिनट तक देखते रहे राजा साहब ने अपने वजीर से कहा कि हे वजीर ब्राह्मण साहब को दान की दक्षिणा बाद में देंगे इनसे चश्मा लेकर आओ और यह चश्मा लगा कर मुझे देखो मैं कैसा नजर आता हूं वजीर साहब ने ब्राह्मण विषय में चश्मा लिया और लगाकर राजा साहब को दिखा वजीर को राजा राजा नजर नहीं आया और उसने इधर उधर देखा तो पूरी सभा में जितने भी मंत्री बरौर कर्मचारी अधिकारी बैठे हुए थे वह भी नजर नहीं आए वजीर साहब घबरा गए राजा साहब ने वजीर से पूछा कि मैं कैसा लग रहा वजीर साहब ने कहा कि बादशाह सलामत मुझे माफ करना मैं बता नहीं सकता कि आपको मैं आप मुझे कैसे नजर आ रहे हैं राजा साहब ने कहा कि वजीर साहब आप जानते हो किस के सामने खड़े हो आपको सूली चढ़ा देंगे आपको कोलू में भिजवा देंगे आपको हाथी के पैर के नीचे दबा देंगे वजीर साहब ने हाथ जोड़कर माफी मांगी और प्रार्थना की कि है राजा साहब इसमें मेरी कोई गलती है आप मुझे क्षमा करिए मैं नहीं बता पाऊंगा राजा साहब ने वजीर साहब से चश्मा लिया और खुद लगा लिया तो सामने खड़े वजीर को देखा तो वजीर वजीर नहीं थे दरवाजे की ओर देखा तो वहां ब्राह्मण ब्राह्मण नहीं था पूरी सभा के अंदर देखा तो कोई भी इंसान नजर नहीं आ रहा था पूरी सभा में एक व्यक्ति जो मोची था राजा साहब का जूता लेकर आया वही इंसान योनि में नजर आ रहा था बाकी सब जानवर योनि में नजर आ रहे थे तभी वजीर साहब ने राजा साहब से हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि है बादशाह सलामत दास आप से गुजारिश करता है कि मैं कैसा नजर आ रहा राजा साहब अचंभित हुए और चश्मा ब्राह्मण की तरह बार-बार लगाते हैं और बार-बार देखते राजा साहब ने वजीर से कहा कि है वजीर तुम मुझे इंसान नजर नहीं आते तुम इंसान की रहों में मुझे नजर आते हैं अब बता मैं क्या नजर आता हूं वजीर ने कहा कि बादशाह सलामत आप मुझे शेर नजर आ रहे थे राजा यह बात सुनकर बहुत खुश हुआ और उसने अपने मन में था ना कि मैं बादशाह हूं राजा हूं यहां का नहीं तो जंगल का ही सही और उसने अपने कुलगुरू पुरोहितों को बुलाया और कहा कि मैं राजा का राजतिलक करने की तैयारी करें कुल पुरोहित यह देखकर बड़े अचंभित हुए उन्होंने कहा कि मैं राजा कौन है और आप कहां जा रहे हैं राजा ने कहा कि जितना कहा जाए उसका पालन किया जाए इस सभा के अंदर कोई भी मुझे इंसान नजर नहीं आया यह ब्राह्मण एक चश्मा लेकर आए थे जो खुद भी ब्राह्मण योनि में नहीं है वह भी एक जानवर की योनि में है इस पूरी सभा में एक ही अच्छी इंसान योनि में नजर आ रहा है मच्छी हाथ जोड़कर खड़ा हो जाता है और कहता है कि बादशाह सलामत इस प्राणी को इतना बड़ा सम्मान मत दीजिए यह राजपाट मेरे किस काम की चीज है मैं इसको कैसे संभाल सकता हूं मैं तो एक छोटा सा मुच्ची का कार्य करता हूं जाट का मोची हूं मैं राजा कैसे बन सकता हूं राजा ने कहा देखो मोची भाई इस राज महल में केवल तुम ही एक इंसान नजर आए हो बाकी तो सब जानवर नजर आ रहे हैं मैं भी जानवर हूं लेकिन मैं जंगल का शेर हूं मैं अब यह राज पार्ट्स आपको सौंपकर जंगल जाना चाहता हूं आप इसमें मेरी मदद करें और राजतिलक की तैयारी करें राजा ने मौसी का राजतिलक करवाया और अपने सारे कपड़े पहन कर जंगल की ओर निकल गए दर्शकों इस कहानी से आप लोगों ने क्या सीखा कमेंट में जरूर बताना धन्यवाद ©Satguru ki kripya #navratri काला चश्मा पार्ट 3
#navratri काला चश्मा पार्ट 3
read moreImran Shekhani (Yours Buddy)
ए दोस्त,चल तु भी काला चश्मा लगा ले , कि है यहां सभी जगह पर कौए काले 🙏🏻 ईमरान शेखानी🙏🏻 sher shayari ownvoice original शेर शायरी YoursB
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