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kavi manish mann
जल बिन वृक्ष नही,वृक्ष बिन वायु नही, वायु बिन प्राण प्यारे, कैसे बच पाएंँगे। नहर, तालाब, नदी, घट रहे प्रतिदिन, पशु–पक्षी जीव सारे, यूंँ ही मर जाएंँगे। वायु,जल,मिट्टी,अन्न,दूषित हुए हैं ‘मन’, व्याधियों से घिरे जन,शोक गीत गाएंँगे। समय रहते यदि, हम चेत नहीं पाए तो, जल हेतु रक्त एक, दूजे का बहाएंँगे। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #जलहैतोकलहै #water #मनहरण_घनाक्षरी_मन #मनहरण_घनाक्षरी_छंद #वायु #
vinay vishwasi
मनहरण घनाक्षरी छंद ============= यहाँ-वहाँ जहाँ-तहाँ,थूकता अगर कोई, उसको पकड़कर , सामने ले आइए। बाल्टी का पानी देकर,हाथों में झाड़ू देकर, उसी से उसी का थूका,साफ भी कराइए। करे जो वो आनाकानी,तो काम एक करिए, कान के नीचे उसके, जोर का लगाइये। इतना से भी अगर,बने नहीं काम वहाँ, लगाकर फोन फिर, पुलिस बुलाइए। #मनहरण_घनाक्षरी_छंद #विश्वासी फ़ोटो साभार:इंटरनेट मनहरण घनाक्षरी छंद लेखन की पहली कोशिश
#मनहरण_घनाक्षरी_छंद #विश्वासी फ़ोटो साभार:इंटरनेट मनहरण घनाक्षरी छंद लेखन की पहली कोशिश
read moreसतीश तिवारी 'सरस'
एक ताज़ा कवित्त छंद कर्म है ज़रूरी मीत मानता हूँ ज़िन्दगी में, किन्तु है ज़रूरी मानें अच्छी तक़दीर भी। स्वास्थ्य को हाँ ठीक कर देता है करेला पर, पेट को ख़राब करे कभी-कभी खीर भी।। पीर हाँ सही न जाये अपनी है कभी-कभी, किन्तु जाननी ज़रूरी दूसरों की पीर भी। भले हम राँझा जैसा रखते हैं दिल पर, जानने को दिल यार! मिले कोई हीर भी। ©सतीश तिवारी 'सरस' #मनहरण_घनाक्षरी
Anamika chouksey
मनहरण घनाक्षरी छंद कलयुग आन पड़ा,दिन रात काल बढ़ा, आप ही जतन कुछ, प्रभु अब कीजिये। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ छल व कपट लिये, फिरते सरीफ बने, ऐसे घोर पापियों का, उपचार कीजिये। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ लोक लाज भूले दुष्ट,मानवता से हो रुष्ठ, उन हैवानों का जरा, इंतजाम कीजिये। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ तेरा-मेरा मेरा-तेरा, छोड़ो अब यह खेला, वो आपसी प्रेम वाला,हिंदुस्तान कीजिये। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ आन बान शान भरा,देश हो सुखी हमारा, सुख शांति का वतन, गुलज़ार कीजिये। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ मेरी क़लम✍🏻 अनामिका अनु #मनहरण_घनाक्षरी_छंद
Shubham Kumar Dubey
जो हर कुसुम के महक में सच्चाई होता है, जो तेरे प्रेम की नाराजगी में अच्छाई होता है, वही अद्वीतीय मनहर जीवन मुझे भा जाती है, जो तेरे प्रेम के रंग में अनोखापन होता है। #मनहरण_कवित्त #जीवन_का_सत्य #विचारों_की_क्रांति
#मनहरण_कवित्त #जीवन_का_सत्य #विचारों_की_क्रांति
read moreबासुदेव अग्रवाल नमन
मनहरण घनाक्षरी "गीत ऐसे गाइए" माटी की महक लिए, रीत की चहक लिए, प्रीत की दहक लिए, भाव को उभारिए। छातियाँ धड़क उठें, हड्डियाँ कड़क उठें, बाजुवें फड़क उठें, वीर-रस राचिए। दिलों में निवास करें, तम का उजास करें, देश का विकास करें, मन में ये धारिए। भारती की आन बान, का हो हरदम भान, विश्व में दे पहचान, गीत ऐसे गाइए।। ©बासुदेव अग्रवाल नमन #मनहरण_घनाक्षरी #घनाक्षरी #घनाक्षरी_छंद
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read morevinay vishwasi
सकल देश भर में,हरेक घर घर में, राम नाम का ही बस,उद्घोष सुनाई दे। बच्चे हों चाहे जवान,खड़े सभी ले कमान, सब में ही हमको तो,राम ही दिखाई दे। करें सभी जोरशोर,जोश भरे पोर पोर, हर कोई सबको ही,दिल से बधाई दे। मिटते हैं दुख सारे,राम के हैं सब प्यारे, नाम यहाँ प्रभु का संजीवनी दवाई दे। #मनहरण_घनाक्षरी_छंद #विश्वासी