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Rakesh frnds4ever
White कोई नहीं था ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं था कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहीं नहीं है कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपना नहीं है यहां नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं है जीवन का सच यही है एक अकेला तू है केवल और कहीं भी कुछ भी नहीं है मोह माया है दुनिया सारी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मोह ये तेरा कुछ नहीं है झूठ है नकली है सब कुछ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,माया में तू फ़सां हुआ है खाली खाली तन मन तेरा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, खाली खाली दिल भी तेरा खाली है हर कोई कोना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, चित्त के अंदर कुछ भरा नहीं है भरे पड़े हैं जहर नफ़रत ईर्ष्या द्वेष झूठ फरेब मक्कारी बेईमानी प्यार की कोई जगह नहीं है,, कोई नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इंसान नहीं है लोग नहीं,,,शैतान हैवान दरिंदे ,खूनी हत्यारे,पिशाचों की नगरी है ये दुनियां नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, नरक जहन्नुम क़यामत बनी हुई है कोई नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं है कोई नहीं था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं था कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपना नहीं है यहां नहीं है,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहीं नहीं है कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इंसान नहीं है दुनियां नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, जहन्नुम बनी है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,३,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #कोई नहीं था ,,,,,,कहीं नहीं था कोई नहीं है ,,,,,,कहीं नहीं है कोई नहीं है ,,,,,,,,अपना नहीं है यहां नहीं है ,,,,,,,,,,कहीं नहीं है जीव
#कोई नहीं था ,,,,,,कहीं नहीं था कोई नहीं है ,,,,,,कहीं नहीं है कोई नहीं है ,,,,,,,,अपना नहीं है यहां नहीं है ,,,,,,,,,,कहीं नहीं है जीव
read moreRakesh frnds4ever
White कोई नहीं था ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं था कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहीं नहीं है कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपना नहीं है यहां नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं है जीवन का सच यही है एक अकेला तू है केवल और कहीं भी कुछ भी नहीं है मोह माया है दुनिया सारी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,मोह ये तेरा कुछ नहीं है झूठ है नकली है सब कुछ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,माया में तू फ़सां हुआ है खाली खाली तन मन तेरा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, खाली खाली दिल भी तेरा खाली है हर कोई कोना ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, चित्त के अंदर कुछ भरा नहीं है भरे पड़े हैं जहर नफ़रत ईर्ष्या द्वेष झूठ फरेब मक्कारी बेईमानी प्यार की कोई जगह नहीं है,, कोई नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इंसान नहीं है लोग नहीं,,,शैतान हैवान दरिंदे ,खूनी हत्यारे,पिशाचों की नगरी है ये दुनियां नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, नरक जहन्नुम क़यामत बनी हुई है कोई नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं है कोई नहीं था,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कहीं नहीं था कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अपना नहीं है यहां नहीं है,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,कहीं नहीं है कोई नहीं है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,इंसान नहीं है दुनियां नहीं है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, जहन्नुम बनी है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,३,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever #कोई_नहीं_था #कहीं नहीं था कोई नहीं है ,,,,,,,,,कहीं नहीं है कोई नहीं है ,,,,,,,,,अपना नहीं है यहां नहीं है ,,,,,,,,, कहीं नहीं है #जीव
#कोई_नहीं_था #कहीं नहीं था कोई नहीं है ,,,,,,,,,कहीं नहीं है कोई नहीं है ,,,,,,,,,अपना नहीं है यहां नहीं है ,,,,,,,,, कहीं नहीं है जीव
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दिवाली की सफाई में थोड़ी मन की सफाई हो जाए रावण को जलाने से पहले अपना खुद का द्वेष, ईष्या भंग हो जाए। दिवाली की मिठाई के साथ-साथ अपने अंदर क
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
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