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नवनीत ठाकुर
White मय को हाथ लगाता नहीं, पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं। जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता नहीं। उसकी हंसी में है मेरे होश और बेहोशी का हर लम्हा छुपा, मैं देखूँ उसे, वो हंस दे, तो दिल उसका तोड़ पाता नहीं। उसकी खुशबू में जैसे मय का हर कतरा घुला हो, उसकी रूह से उठता है वो नशा, जो कभी उतर पाता नहीं। ©Navneet Thakur # मय को हाथ लगाता नहीं, पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं, जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता न
# मय को हाथ लगाता नहीं, पर साक़ी जो जाम भर दे, तो फिर उसे छोड़ पाता नहीं, जिद पर आ जाऊं तो उसकी कलाई थाम लूँ, और फिर कभी खुद से छुड़ा पाता न
read moreAnuradha T Gautam 6280
बिटिया रानी बोली आज फिर से इंस्टाग्राम का फिल्टर लगा है कल पीला-पीला था आज ऑरेंज-ऑरेंज है आसमान मैंने बोला नहीं बेटा आज इंस्टाग्राम का नह
read moreबेजुबान शायर shivkumar
में अपने " #लफ़्ज़ " बहुत ही कम ही लिखता हूं !! पर पूरी " #ज़िंदगी " के सारे ग़म को भी लिखता हूं !! मेरी " #शायरी " को पड़ने वाले भी यु तड़प उठे !! में हंस कर ऐसे " #ज़ख़म " को भी लिखता हूं !! " परवाह " नहीं मुझे किसी के ये ,, बेफिजुल ,, आंसुओं की !! जब भी लिखता हूं " बेरहम " भी लिखता हूं !! मुझे तुम्हारी ये बद " दुआ " ही , क्या मुझे ये मारेगी !! में तोड़ी हुई वो हज़ार " #कसम " भी लिखता हूं !! ©बेजुबान शायर shivkumar कविता कोश हिंदी कविता कविताएं #SAD #sad Sethi Ji Anshu writer Aman Singh poonam atrey puja udeshi कविता कोश कविताएं कविता कोश कविताएं
बेजुबान शायर shivkumar
White ।। जिस काले गोले से होता है , इस ब्रह्मांड का विनाश है, वह काला गोला महादेव के बस एक सूक्ष्म अंश के वो समान है ।। आदि ना ही अंत जिनका, कंठ समुद्र समान है गले मैं अजय बासुकी, बाल गरुण समान है रूप मानो ऐसा जिसके मुट्ठी में ब्रह्मांड है एक रूप ऐसा जहा ब्रह्मांडधारि पुष्प पे सवार है, जिनका तप सहस्त्र सूर्यो के समान है जिनका मन पूर्ण चंद्र सा महान है, जिनके नेत्र में है बस्ता,वो अंतिम खंड इस समाज का ऐसा ना समझो कि, भैरव बस नाम वो विनाश का । आदियोगी, सर्वयोगी, पूर्णयोगी, महानयोगी । बह रहे हैं गंगाधारी, नदियों के बहाव में चल रहे हैं चंद्रधारी, हिमालय की हवाओं में जिनको महसूस हो रहे जो वो " मां " नाम की पुकार में सहला रहे हैं छाती मेरी ममता के आवास में, रो रहे हैं भोलेनाथ जी भूख की पुकार में ।। लड़ रहे हैं रूद्र बनके, उग रहे हैं पुष्प बनके हंस रहे हैं चंद्र बनके, जल रहे हैं कोयला बनके, हर रहे हैं मां बनके, और मुझे डांट रहे हैं पितृ बनके । ।। जिनके हाथ में है भार मेरे हाथ का, जिनकी आंखों में है तेज मेरी आंख का, जिनकी बुद्धि है शोध मेरे ज्ञान का, महादेव कहो या शिव संपूर्ण अर्थ बस यही काल का ।। ॐ हर हर महादेव ॐ ©बेजुबान शायर shivkumar #Shiva #om_namah_shivay #हरहरमहादेव #हिन्दीकविता #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #कविता95 #कविता #omnamahshivaya हर हर महादेव भक्ति सागर भक्त
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read moreHimanshu Prajapati
White खुद पर हंस लोगों पर हंस बस तू हंसता जा, इतना भी नहीं कि तू पागल खाने चला जा..! ©Himanshu Prajapati #Sad_Status खुद पर हंस लोगों पर हंस बस तू हंसता जा, इतना भी नहीं कि तू पागल खाने चला जा..! शुभ प्रभात विचार नये अच्छे विचार अच्छे विचार शा
#Sad_Status खुद पर हंस लोगों पर हंस बस तू हंसता जा, इतना भी नहीं कि तू पागल खाने चला जा..! शुभ प्रभात विचार नये अच्छे विचार अच्छे विचार शा
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