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Gunjan Agarwal
जीवन चार दिनों का मेला, पर उपकार नही पाया। अहम् करे क्यों रे तू मानव, साथ नही देती छाया। पग में छाले पड़े व्यर्थ में झांक लिया अंतस होता। है ब्रह्माण्ड तुम्हारे अन्दर पहचानो अपनी काया। ©अनहद गुंजन #मुक्तक #जीवन #अनहद #Jeevan
गौरव उपाध्याय 'एक तलाश'
सिर्फ तुम_____¡¡¡¡ अनहद......... अद्वितीय...... अपूर्ण...... असाधारण.... अनन्य ....... अनुभव.... अतुलनीय..... अकथनीय..... अवर्णनीय... आकस्मिक.... अतिश्योक्ति.... अत्यधिक..... अविस्मरणीय.... अद्भुत.......... अनपेक्षित....... अबंधन........ अकारण ..... अनियोजित..... अनाशक्ति..... आत्मीय...... अनियंत्रित... अपठनीय... अधीरज..... अधीर...... अचल..... अचरज.... अबीर...... अचंभित.... अचेत..... अचूक..... अप्रभावित... अकल्पनीय... होना ही.... इश्क़ है !!!!!!!!!! ©गौरव उपाध्याय 'एक तलाश' #feeling_loved #sirftum #एक_तलाश #अनहद
#feeling_loved #sirftum #एक_तलाश #अनहद
read moreSushma srivastava
🌻जो मेहनतकश है🌷 मेहनत से जमाना लूट लेते है,🌻हर एक विपदा को अपने हौसलों से रोक लेते है।🌷कभी आलोचनाओं से न हिम्मत हारना🌻 'अनहद ',🌻कि हाथी जब निकलता है तो कुत्ते भौंक देते हैं ।🌷🌷🌷🌷🌷🐕🐕 ©sushma srivastava अवधी पंच 'अनहद ' #ZeroDiscrimination
अवधी पंच 'अनहद ' #ZeroDiscrimination
read moreSanu Chauhan Spn
गम को Delete करो खुशी को Save करो दोस्ती को Download करो प्यार को Incoming करो नफरत को OutGoing करो हंसी को Hold करो और अपनी मुस्कान को Send करो ❤️❤️ सानू सिंह चौहान❤️❤️ WhatsApp - 9454500732 गम को Delete करो खुशी को save करो दोस्ती को Download करो.......
गम को Delete करो खुशी को save करो दोस्ती को Download करो.......
read moreAkash Chaudhary
प्रेम को परिभाषित नहीं करते पात गन्दी रेत से लथपथ वो पत्ते जो कभी वृक्ष के वक्ष से कलाएं करते थे, कितनी ही चिड़िया तुमको छूकर गुजरी, मैं तुम पर आज ढूंढने बैठ गया उनके पैरों के निशान, क्या मन नहीं है तुम्हारा तुम उनको परिभाषित करो, क्या नहीं बताना चाहते मुझे अपने प्रेम के विषय में, तुम्हारी व्यथा और प्रेम से परिचित हूं मैं समझ रहा हूं पात तुम्हे मैं, तुम्हे पुरानी चिड़िया की याद आयी होगी, चलो मैं अपने दरवाजे से इंतजार में हूं जब चाहना तब दास्तां सुनाना......, तुम्हारा मौन समझता हूं मैं, तुम बता रहे हो शायद मुझे प्रेम कभी शब्दों से नहीं किया जाता वो होता है बस ,बस होता है।। ©Akash Chaudhary प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️
प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️
read moreAjay Daanav
हृदय से उपजे विचार हो तुम शब्दों का मेरे श्रृंगार हो तुम करती हुई झंकृत मन-वीणा सातों सुरों की झनकार हो तुम हूं मैं कविता छंदों में गढ़ी कविता का मेरी सार हो तुम हृदय से उपजे विचार हो तुम प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता।
प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता।
read more~आचार्य परम्~
लोगों का पता पूछने वाले ,पहले खुद का पता जान ले, हत से बेहद आहत हो गर ,अनाहत की बात मान ले।। ऊँ" परम् भाग्यम् "ऊँ हत=चोट अनाहत=योगीयों को सुनाई देनें वाली आंतरिक ध्वनि अनहद नादब्रह्म🎵🎵🎵
अनहद नादब्रह्म🎵🎵🎵
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