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SUNIL SAXENA SIWAN
कोई बालकनी में खड़ा है! कोई TV वाले कमरे में पड़ा है! कोई अपने मोबाइल में व्यस्त है! थोड़ी थोड़ी देर में हर कोई अपनी जगह बदल रहा है!! लेकिन एक शक्स है जिसकी, जगह नहीं बदलती है! वो रसोई से बार बार आवाज दे रही है क्या बनाना है? क्या खाओगे? मीठा या तीखा? शायद आज उनकी वजह से ही Lockdown सफल हो रहा है!! *नारी शक्ति को समर्पित👏💐👏💐👏* _ Sunil Saxena कोई बालकनी में खड़ा है! कोई TV वाले कमरे में पड़ा है! कोई अपने मोबाइल में व्यस्त है! थोड़ी थोड़ी देर में हर कोई अपनी जगह बदल रहा है!! लेकिन
कोई बालकनी में खड़ा है! कोई TV वाले कमरे में पड़ा है! कोई अपने मोबाइल में व्यस्त है! थोड़ी थोड़ी देर में हर कोई अपनी जगह बदल रहा है!! लेकिन
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मिट्टी के घर आज बनाकर , आओ खेलें खेल । प्रेम और शीतलता देती , लगती कभी न जेल ।। मिट्टी के घर आज बनाकर ... दीपक रखने का ताखा हो , रखना इतना याद । मिट्टी का चूल्हा मत भूलो , क्या खाओगे बाद ।। सब बातों को रख लो मन में , वरना होगे फेल । मिट्टी के घर आज बनाकर ..... बाबू जी के चश्में का तुम ,अब ढूढो फिर स्थान । शौचालय जब उधर बनेगा , तो किधर बने स्नान ।। घर प्यारा सुंदर हो अपना ,लगे नही वह रेल । मिट्टी के घर आज बनाकर ..... नही किसी का कोई कमरा , घर सारा है एक । मिलकर अब सब साथ रहेंगें , चाहे रहो अनेक ।। बाद नही कहना फिर हमसे , सुनो रहें हम झेल । मिट्टी के घर आज बनाकर .... यही प्रेम की है परिभाषा , यह है जीवन सार । मन के न विपरीत हो देखो , सबके कभी विचार ।। तभी सभी में बढ़ता है फिर , देख यहाँ पर मेल । मिट्टी के घर आज बनाकर , मिट्टी के घर आज बनाकर , आओ खेलें खेल । प्रेम और शीतलता देती , लगती कभी न जेल ।। ०७/०६/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मिट्टी के घर आज बनाकर , आओ खेलें खेल । प्रेम और शीतलता देती , लगती कभी न जेल ।। मिट्टी के घर आज बनाकर ... दीपक रखने का ताखा हो , रखना इतना
मिट्टी के घर आज बनाकर , आओ खेलें खेल । प्रेम और शीतलता देती , लगती कभी न जेल ।। मिट्टी के घर आज बनाकर ... दीपक रखने का ताखा हो , रखना इतना
read moreShree
छोटी सी बात कल शाम तुम आए। सब रंग लाए, अपने संग स्वप्न अनगिनत लाए, खुली आंखों से सब दिखाया, उसकी दोनों हथेलियां एक साथ जकड़ कर दूसरे हाथ गुलाल उसके गाल
कल शाम तुम आए। सब रंग लाए, अपने संग स्वप्न अनगिनत लाए, खुली आंखों से सब दिखाया, उसकी दोनों हथेलियां एक साथ जकड़ कर दूसरे हाथ गुलाल उसके गाल
read moreShravan Goud
व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व को पहचानो कभी धोखा नही खाओगे। व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व को पहचानो कभी धोखा नही खाओगे।
व्यक्ति नहीं व्यक्तित्व को पहचानो कभी धोखा नही खाओगे।
read moreShankki Sharma
सिर्फ़ पैसा नही मिलता बेईमानी की कमाई से, ग़रीबो की बदुयाये और हाए भी साथ मे मिलती है। ग़रीबो का पैसा अगर खाओगे। सच मे शैंकी बहुत पछताओगे।
ग़रीबो का पैसा अगर खाओगे। सच मे शैंकी बहुत पछताओगे।
read moreManish Kumar Mass
धोखा भी बादाम की तरह है जितना खाओगे उतनी अक्ल आती है धोखा भी बादाम की तरह है जितना खाओगे उतनी अक्ल आती है
धोखा भी बादाम की तरह है जितना खाओगे उतनी अक्ल आती है
read moreS2
धोखा भी बादाम की तरह है जितना खाओगे उतनी अक्ल आती है ©sunny धोखा भी बादाम की तरह है जितना खाओगे उतनी अक्ल आती है
धोखा भी बादाम की तरह है जितना खाओगे उतनी अक्ल आती है
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