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हरिओम पंवार की कलम से प्रस्तुत है- किसी राजा या रानी के डमरु नही हैं हम दरबारों की नर्तकी के घुन्घरू नही हैं हम सत्ताधीशों की तुला के बट्टे
हरिओम पंवार की कलम से प्रस्तुत है- किसी राजा या रानी के डमरु नही हैं हम दरबारों की नर्तकी के घुन्घरू नही हैं हम सत्ताधीशों की तुला के बट्टे
read moreBhuwnesh Joshi
शून्य से अनंत तक पालनकर्ता तू है काल भी कांपते हैं लोक तीनों जब डमरु पर देता ताल तू चंद्रमा विराजे मस्तक पर सिंघो की ओढ़े छाल भी महादेव मेरे शंकर है काल तू महाकाल तू शून्य से अनंत तक पालनकर्ता तू है काल भी कांपते हैं लोक तीनों जब डमरु पर देता ताल तू चंद्रमा विराजे मस्तक पर सिंघो की ओढ़े छाल भी महादेव मेर
शून्य से अनंत तक पालनकर्ता तू है काल भी कांपते हैं लोक तीनों जब डमरु पर देता ताल तू चंद्रमा विराजे मस्तक पर सिंघो की ओढ़े छाल भी महादेव मेर
read moreRam babu Ray
खुशी से नाचता कौन यहाँ ये बात जानता कौन यहाँ यहाँ जो तांडव होती हैं वो डमरु बजाता कौन यहाँ दास कौन हैं खास कौन हैं यहाँ राजा रंक फकीर कौन है कौन पहचाने कौन मदारी सब ढ़ोंगी हैं या व्यापारी मिठी बातों में करते धोखाधड़ी एक दूजे में फिर भी हैं यारी..!! ©Ram babu Ray खुशी से नाचता कौन यहाँ ये बात जानता कौन यहाँ यहाँ जो तांडव होती हैं वो डमरु बजाता कौन यहाँ दास कौन हैं खास कौन हैं यहाँ राजा रंक फकीर कौन
खुशी से नाचता कौन यहाँ ये बात जानता कौन यहाँ यहाँ जो तांडव होती हैं वो डमरु बजाता कौन यहाँ दास कौन हैं खास कौन हैं यहाँ राजा रंक फकीर कौन
read moreनिखिल कुमार अंजान
वो ऊँ है निराकार है हर ज्योत मे है समाहित त्रिलोकी नाथ है देवों का देव महादेव कहलात है वह शिव शंकर भोले नाथ है है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव साथ है हिमालय की गुफाओं मे रहने वाला वो विश्व गुरु एंव परम पिता कहलात है सच्चा योगी भूत पिशाचों का नाथ है जटाओं मे माँ गंगा विराज है यह वही निलकंठ बाबा है जिन्होंने समुद्र मंथन से निकले विष को पीकर सृष्टि को बचात है गले मे रहता इनके शेष नाग है भस्म लगा देह पर अपनी गहरी साधना मे डूब जात है एक हाथ माला कमंडल दूजे मे डमरु रहत है तीसरा नेत्र जब इनका खुलत है रुष्ट हो जब इनका डमरु बजत है क्रोध से भरे बाबा करते जब तांडव फिर पूरा ब्रह्मांड है इनसे कांपत आदि शक्ति के है स्वामी गणपति एंव कार्तिकेय दो पुत्र है ज्ञानी नंदी इनके प्रमुख गण के रुप मे जाने जाते कालों के काल माहकाल कहलाते बाबा भोले जिस पर प्रसन्न हो जाते वह जीवन की दुविधा से तर जाते चलो बाबा को प्रसन्न है करते भोले मेरे मन मे है बसते महाशिवरात्रि बना बाबा की कृपा पाते शिव शंकर के गुणगान है गाते................. 💟💟💟👏👏👏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 #जयभोलेकी.......... #अंजान...... वो ऊँ है निराकार है हर ज्योत मे है समाहित त्रिलोकी नाथ है देवों का देव महादेव कहलात है वह शिव शंकर भोले नाथ है है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव
वो ऊँ है निराकार है हर ज्योत मे है समाहित त्रिलोकी नाथ है देवों का देव महादेव कहलात है वह शिव शंकर भोले नाथ है है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव
read moreबेजुबान शायर shivkumar
माँ दुर्गा का अष्टम स्वरूप माँ महागौरी सबके बिगड़े काज बनाती, अष्टमी के दिन पूजी जाती। दुर्गा का अष्टम स्वरूप, माँ महागौरी उनका रूप। चार भुजादारी माँ महागौरी, हाथ विराजे त्रिशूल, डमरु। उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्ण, श्वेत वस्त्र, श्वेत आभूषण। वाहन गौरी का श्वेत बैल, हे श्वेतांबर धरा तुमको नमन। शांत मुद्रावली माँ महागौरी, महादेव सँग विराजे महामाई। करुणामयी, स्नेहमयी माता, ममता की मूरत है माता। हर लेती समस्त पापों को, मन से पूजन करे भक्त जो। श्वेत पुष्प अर्पित करें माँ को, नारियल पकवान भोग लगाएं माँ को। कन्या पूजन भक्त हैं करते, जयकारे मैया के सब लगाते। माँ महागौरी आशीष हमे दो, पुकार भक्तों की आप सुन लो। ©बेजुबान शायर shivkumar #navratri #navratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #navratri2027 #नवरात्रि भक्ति गीत भक्ति ऑडियो गाना भक्ति सागर हिंदी भक्ति गाना भक्ति स
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read moreराम राम
जय माता दी राम जय श्री सीताराम सत्य विजय तिवारी करता है शायरी किसी को हमने कहा मैंने अपना बरसों पहले अब किसी अपने ने ही दिल तोड़ा है याद करके अभी भी दिल के जज्बात रोक नहीं पाया हूं दिल के हर दर्द को छलक ने दिया अपने आंखों से मैंने तब जाकर मुस्कुराया हूं किसी को अपना मत कहना अब हम अपने दिल को बहुत देर के बाद समझ आया हूं छलक गए आंखों से आंसू बनकर वह हर जज्बात तब जाकर मुस्कुराया मतलबी से मिलकर दिल ने एहसास किया अजनबी दुनिया कोई नहीं है अपना मिले हैं महादेव के चरणों में सारे संसार का सुख दिल ने यह हमारे अनुभव किया जय महादेव माता पार्वती की जय ॐ नमः शिवाय ईलू शायर ©राम राम जय शिव शंभू डमरु बजा कर पूरी दुनिया संसार को देखा करते हैं भगवान भोलेनाथ व्हाट्सएप नहीं चलाते हैं भोलेनाथ भगवान मोबाइल पर दिल से देखो सावन
जय शिव शंभू डमरु बजा कर पूरी दुनिया संसार को देखा करते हैं भगवान भोलेनाथ व्हाट्सएप नहीं चलाते हैं भोलेनाथ भगवान मोबाइल पर दिल से देखो सावन
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
लिए त्रिशूल हाथों में गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा दो अर्ज़ मेरी भी। सुना हमने उसी दर से सभी पाते निवाले हैं ।।२ यही हमको निकालेंगे कभी बेटे बडे़ होकर । अभी जिनके लिए हमने यहाँ छोडे़ निवाले हैं ।।३ नहीं रोने दिया उनको पिया खुद आँख का पानी । दिखाते आँख अब वो हैं कि हम उनके हवाले हैं ।।४ किसी को क्या ख़बर पाला है मैंने कैसे बच्चों को वहीं बच्चे मेरी पगड़ी पे अब कीचड़ उछाले हैं।।५ यहाँ तुमसे भला सुंदर बताओ और क्या जग में । तुम्हारे नाम पर सजते यहाँ सारे शिवाले हैं ।।६ डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की । तेरे नज़दीक आते दिख रहे मुझको उजाले हैं । ७ प्रखर भाता नहीं बर्गर उन्हें भाता नहीं पिज्जा । घरों में रोटियों के जिनके पड़ते रोज़ लाले हैं ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लिए त्रिशूल हाथों में गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा द
लिए त्रिशूल हाथों में गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा द
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
जु़बाँ मीठी बगल खंज़र गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा दो अर्ज़ मेरी भी। सुना अक़्सर उसी दर से सभी पाते निवाले हैं ।।२ यही हमको निकालेंगे कभी बेटे बडे़ होकर । अभी जिनके लिए हमने यहाँ छोडे़ निवाले हैं ।।३ नहीं रोने दिया जिनको पिया खुद आँख का पानी । दिखाते आँख अब वो है कि हम उनके हवाले हैं ।।४ किया है प्यार कितना मैं यहाँ तुम आज यह देखो । ग़मों की आग में जलकर किया खुद को हवाले है ।।५ यहाँ तुमसे भला सुंदर बताओ और क्या जग में । जहाँ अब नाम से तेरे सदा सजते शिवाले हैं ।।६ डगर अपनी चला चल तू न कर परवाह मंजिल की । किया जिसने यहाँ शब है वही करता उजाले हैं । ७ सुनो उनके निवाले हैं हमारे हाथ की रोटी । कभी हमको मिलें रोटी तुम्हारे जो हवाले हैं ।।८ नहीं भाता उन्हें बर्गर नहीं भाता उन्हें पिज्जा । घरों में रोटियों के जिनके पड़ जाते लाले हैं ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR जु़बाँ मीठी बगल खंज़र गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा
जु़बाँ मीठी बगल खंज़र गले में सर्प डाले हैं । सुना है यार हमने भी यही वो डमरु वाले हैं ।।१ नज़र अब कुछ इधर डालें लगा
read moreB Pawar
शिव स्तुति 27/05/2018 🌐www.whosmi.wordpress.com 👇यहां नीचे पूरा पढें। शीतल ,जल , गंग की धारा हरगिरि पे उसका जैकारा ॐ ॐ गूँजे ओंकारा हरगिरि पे उसका जैकारा
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