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Parasram Arora
White जिंदगी का मौसम हर वक़्त बदलता रहता हैँ कभी दुख के बादल आकर मंडराते हैँ कभी सुख के झरने आकर दिल बहलाते हैँ ©Parasram Arora जिंदगी का मौसम
जिंदगी का मौसम
read moreANJANA MALI
White यह मौसम की फितरत भी बडी अजीब हैं कभी भी बदल जाता है। ©ANJANA MALI #sad_quotes विश्वास मौसम का
#sad_quotes विश्वास मौसम का
read moreAks
White आसमाँ से उतर कर एक बूंद जब धरा की गोद में कुछ यूं समा गई।देखकर ऐसा लगा मानो किसी बच्चे को पिता के कंधों से उतरकर माँ के आँचल में गहरी नींद आ गयी। ©Aks #बारिश
SamEeR “Sam" KhAn
बारिश की बरसती बूँदों ने जब दस्तक दी दरवाजे पर, महसूस हुआ तुम आए अंदाज़ तुम्हारे जैसे था, हवा के हल्के झोंके ने जब आहट पाई खिड़की पर, महसूस हुआ तुम गुजरे एहसास तुम्हारे जैसा था, मैने गिरती बुंदो को रोकना चाहा हाथो पर, एक सर्द सा फिर एहसास हुआ लमश् तुम्हारे जैसा था, तन्हा मै चला बारिश मे तब एक झोंकों ने साथ दिया, मै समझ तुम हो मेरे साथ वो साथ तुम्हारे जैसा था, फिर रुक गई के बारिश भी रही ना बागी आहटें भी, मै समझा तुम मुझे छोड़ गये अंदाज़ तुम्हारे जैसा था, ©SamEeR “Sam" KhAn #बारिश
Shashi Bhushan Mishra
छपते-छपते रह गया, बचते-बचते बह गया, चश्मदीद था एक अदद, जाते-जाते कह गया, मौत के साये में चुप था, दर्द ज़माने का सह गया, मिट्टी का जर्जर घर था, इस बारिश में ढह गया, छोड़ गया घर-आंगन सूना, मुद्दों से कर सुलह गया, पता ठिकाना बता कोई, जाने कौन सी जगह गया, मिटा गया रंजिशें तमाम, 'गुंजन' लेकर कलह गया, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ॰प्र॰ ©Shashi Bhushan Mishra #इस बारिश में ढह गया#
#इस बारिश में ढह गया#
read moreSaurabh kumar Chauhan
more update follow nojoto ©Saurabh kumar Chauhan बारिश का आतंक मप्र में यूट्यूब वीडियो Extraterrestrial life Entrance examination वीडियो में
बारिश का आतंक मप्र में यूट्यूब वीडियो Extraterrestrial life Entrance examination वीडियो में
read moreमुसाफ़िर क़लम
उदास फिरता है मोहल्ले में बारिश का पानी, कश्तियाँ बनाने वाले बच्चे इश्क़ कर बैठे हैं! ©मुसाफ़िर क़लम बारिश का पानी..! # हिंदी शायरी
बारिश का पानी..! # हिंदी शायरी
read moreAuthor Shivam kumar Mishra (Shivanjal)
एक वक़्त हुआ करता था जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था जब मैं स्कूल जाया करता था अजीब सा नशा था बारिश के मौसम का मैं सालों साल इंतजार किया करता था क्या कहूँ उन दिनों की बारिश का कुछ अलग ही बात थी उन दिनों बारिश की बूंदों में भिंग कर एक अजीब सा सुकून मिलता था अब वो बारिश कहाँ अब वो बारिश नसीब कहाँ अब तो बारिश कीचड़ के समान लगती है बिन बुलाए मेहमान की तरह लगती है ©Author Shivam kumar Mishra एक वक़्त हुआ करता था जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था
एक वक़्त हुआ करता था जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था
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