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Yashpal singh gusain badal'
"उत्तराखंड" गंगा-यमुना जिसका आँचल है, बद्री-केदार जिसकी दो आँखेँ, हर की पौड़ी सा निश्चछल मन, गढवाल-कुमाऊँ जिसकी दो बाँहेँ। महान हिमालय जिसका मस्तक है, ममता का सागर है नैनी, रानीखेत जिसका चंचलपन, रामगंगा है जिसकी वेणी, गंगोत्री-यमुनोत्री जिसके कर्णपट, उन्नत नासिका जिसकी है नंदा, बिन्सर-नीलकंठ जैसे दो पलकेँ, देवप्रयाग माथे पर चंदा। त्र्रिषिकेश पूजा की थाली, मंसूरी-नैन ीताल मुख की लाली, अल्मोड़ा-पौड़ी जिसकी साँसेँ हैँ, हल्दवानी जिसकी है खुशहाली। नयनाभिराम स्थल कसौनी, द्रोणनगरी बिद्या का मंदिर, मुस्कान है फूलोँ की घाटी, स्वाभाव उत्तरकाशी सा सुन्दर, पिथोरागढ सा ह्रदय निर्मल, चमोली सी शालीनता जिसमेँ टिहरी सा अनोखापन, शिवालिक सी कठोरता है जिसमैँ । देशप्रेम मेँ रंगा हुआहै जिसका कण-कण कोना-कोना । वही स्वर्ग सी सुन्दर धरती जिसका हर टुकड़ा है सोना प्रक्रति सिँगार करती है जिसकी, भारत माँ का अँग अखण्ड। पर्वत श्रँखलाओँ से घिरा हुआ, अद्यितीय अनुपम उत्तराखण्ड ।। ले0 यशपाल सिँह "बादल" ©Yashpal singh gusain badal' #yogaday गंगा-यमुना जिसका आँचल है, बद्री-केदार जिसकी दो आँखेँ, हर की पौड़ी सा निश्चछल मन, गढवाल-कुमाऊँ जिसकी दो बाँहेँ। महान हिमालय जिसका म
#yogaday गंगा-यमुना जिसका आँचल है, बद्री-केदार जिसकी दो आँखेँ, हर की पौड़ी सा निश्चछल मन, गढवाल-कुमाऊँ जिसकी दो बाँहेँ। महान हिमालय जिसका म
read moreAnamika Nautiyal
शिवालिक श्रेणियों से दूर देखने पर चोटियों में जमा हुआ है शिशिर का हिम उन चोटियों से आती ठंडी-ठंडी हवाएँ सुबह शाम सर्द कर देती हैं इतना कि
शिवालिक श्रेणियों से दूर देखने पर चोटियों में जमा हुआ है शिशिर का हिम उन चोटियों से आती ठंडी-ठंडी हवाएँ सुबह शाम सर्द कर देती हैं इतना कि
read moreअशेष_शून्य
~©Anjali Rai तुम्हारे जाते ही मन के किवाड़ बंद कर लिए मैंने! जो नम स्मृतियों की जंजीरों से जकड़ी हुई है आजतक। कैद हैं वहां
तुम्हारे जाते ही मन के किवाड़ बंद कर लिए मैंने! जो नम स्मृतियों की जंजीरों से जकड़ी हुई है आजतक। कैद हैं वहां
read moreअशेष_शून्य
"प्रेम एक ऐसी प्रतिध्वनि है जिसका तारतम्य अनंत के अंत तक जाकर भी लौट आता है।" ~© Anjali Rai (शेष अनुशीर्षक में) "किसी प्रेमिका के माथे पर उसके प्रेमी के अधरों का प्रथम स्पर्श इस सृष्टि का सबसे सुंदर महाकाव्य है ।।" ठीक वैसे ही ; जैसे तुम्हारे स्मरण
"किसी प्रेमिका के माथे पर उसके प्रेमी के अधरों का प्रथम स्पर्श इस सृष्टि का सबसे सुंदर महाकाव्य है ।।" ठीक वैसे ही ; जैसे तुम्हारे स्मरण
read moreअशेष_शून्य
~© Anjali Rai "स्मृतियां" चिटियों के उस झुंड सी होती हैं जो अतीत से एक कतार में चलकर आती हैं और देखते ही देखते पूरे वर्तमान को घेर लेती चूसने लगती हैं
"स्मृतियां" चिटियों के उस झुंड सी होती हैं जो अतीत से एक कतार में चलकर आती हैं और देखते ही देखते पूरे वर्तमान को घेर लेती चूसने लगती हैं
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