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Rudra ashwani arya
बनारस के मेला साथे घूमाई, दिने घूमाई राति घूमाई, बनारस के मेला साथे घूमाई| लल्लू हलवाई बेचे मिठाई, समोसा बीचाई रसगुल्ला बीचाई, लल्लू हलवाई बेचे मिठाई| जाके बजरिया मे फिलिम देखाई, टीवी देखाई सनिमा देखाई, जाके बजरिया मे फिलिम देखाई| बनारस के मेला साथे घूमाई, दिने घूमाई राति घूमाई, बनारस के मेला साथे घूमाई| मदरिया खूबे डमरू बजाई, नगिनियो नचाई बनरियो नचाई, मदरिया खूबे डमरू बजाई| मेलवा मे खूबे मजा लियाई, जहज़ीया उड़ाई झूलवा झूलाई, मेलवा मे खूबे मजा लियाई| बनारस के मेला साथे घूमाई, दिने घूमाई राति घूमाई, बनारस के मेला साथे घूमाई| दुकनिया मे जाके कपड़वो खरदाई, जूतवो खरदाई चश्मओ खरदाई, दुकनिया मे जाके कपड़वो खरदाई| आवतके बच्चन के खेलऊना लियाई, मोटर लियाई गाड़ी लियाई, आवतके बच्चन के खेलऊना लियाई| बनारस के मेला साथे घूमाई, दिने घूमाई राति घूमाई, बनारस के मेला साथे घूमाई| मजा लियाई मजा लियाई! बनारस के मेला साथे घूमाई!
बनारस के मेला साथे घूमाई!
read moreLAKSHMI KANT MUKUL
दीपावली के बाद मुंह अँधेरे में हंसिया से सूप पिटते हुए लोग बोलते हैं बोल ‘इसर पईसे दलिदर भागे , घर में लछिमी बास करे’ और फेंक देते हैं उसे जलते ढेर में हर साल भगाया जाता है दरिद्र को चुपके से लौट आता है वह हमारे सपनों , हमारी उम्मीदों को कुचलता हुआ कद्दू के सूखे तुमड़ी में माँ घी के दिए जलाकर छोड़ती है नदी में जिसमें मैं बहा आता था कागज़ की नाव झिलमिल धार में बहती हुई जाती थी किसी दूसरे लोक में कितनी दीपावलियाँ आई जीवन में जलते रहे दीप फिर भी अंतस में पीड़ाओं के _ लक्ष्मीकांत मुकुल दीप पीड़ाओं के
दीप पीड़ाओं के
read moreLAKSHMI KANT MUKUL
दीपावली के बाद मुंह अँधेरे में हंसिया से सूप पिटते हुए लोग बोलते हैं बोल ‘इसर पईसे दलिदर भागे , घर में लछिमी बास करे’ और फेंक देते हैं उसे जलते ढेर में हर साल भगाया जाता है दरिद्र को चुपके से लौट आता है वह हमारे सपनों , हमारी उम्मीदों को कुचलता हुआ कद्दू के सूखे तुमड़ी में माँ घी के दिए जलाकर छोड़ती है नदी में जिसमें मैं बहा आता था कागज़ की नाव झिलमिल धार में बहती हुई जाती थी किसी दूसरे लोक में कितनी दीपावलियाँ आई जीवन में जलते रहे दीप फिर भी अंतस में पीड़ाओं के _ लक्ष्मीकांत मुकुल दीप पीड़ाओं के
दीप पीड़ाओं के
read morekumar vishesh
हम भी कभी मुस्कुराया करते थे अंधेरे से खुद को बचाया करते थे उसी दिए ने जला दिए मेरे हाथ जिस दिए को रोज हम हवाओं से बचाया करते थे मोहब्बत के दीप
मोहब्बत के दीप
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