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Birth and death are inevitable जन्म और मृत्यु अनिवार्य हैं काल के प्रभाव से जो जीवन हमें मिलता हैं उसकी समाप्ति भी होती हैं यही पृथ्वी /
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White 🙏हे प्रभु आत्मा दिव्य प्रकाश हैं वह कभी नहीं समाप्त होता हैं परंतु शरीर की एक निश्चित अवधि हैं जिसे समाप्त होना अनिवार्य होता हैं इस पृथ्वी ,सृष्टि ,धरती,🌎🌍 का यही नियम हैं कालचक्र अपना प्रभाव दिखाता हैं जन्म से मृत्यु का सफर चलता जाता हैं प्राणी, इंसान, मनुष्य, को जो शरीर प्राप्त होता हैं वह समय के अनुसार समाप्त होता हैं 🙏 ©person #Shiva 🙏🙏🙏🙏 🙏हे प्रभु आत्मा दिव्य प्रकाश हैं वह कभी नहीं समाप्त होता हैं परंतु शरीर की एक निश्चित अवधि हैं जिसे समाप्त होना अनिवार्य होत
#Shiva 🙏🙏🙏🙏 🙏हे प्रभु आत्मा दिव्य प्रकाश हैं वह कभी नहीं समाप्त होता हैं परंतु शरीर की एक निश्चित अवधि हैं जिसे समाप्त होना अनिवार्य होत
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
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