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Jain Saroj
नीला आसमान सो गया तारों की रोशनी में छुप गया चांद की चांदनी में सिमट गया रात के अंधेरे में खो गया।। ©Saroj Patwa # नीला आसमान
# नीला आसमान
read moreLOL
जितना भी मैं शेष हूँ तेरे प्रेम का अवशेष हूँ.. ©KaushalAlmora SOD : नीला आसमान सो गया (लता मंगेशकर/ सिलसिला) #शेष #kaushalalmora #रोजकाडोजwithkaushalalmora #अवशेष #प्रेम #प्यार #yqdidi
SOD : नीला आसमान सो गया (लता मंगेशकर/ सिलसिला) #शेष #kaushalalmora #रोजकाडोजwithkaushalalmora #अवशेष #प्रेम #प्यार #yqdidi
read moreDR. LAVKESH GANDHI
खुला आसमान खुले आसमान के नीचे खड़े होकर घंटों तक नीले गगन को निहारना ऊंँचे-ऊंँचे पेड़ों की फुनगियों में लुका-छुपी का खेल खेलते हुए चांँद को घंटों तक निहारना बड़ा ही सुंदर लगता है मानो स्वर्ग में खड़ा हूंँ मैं ©DR. LAVKESH GANDHI #Nightlight खुला आसमान # #नीला गगन की सुंदरता #
Nightlight खुला आसमान # नीला गगन की सुंदरता #
read moreManmohan Dheer
मेहनत के नशे में चूर वो सो गया तुम सोचते रहे नींद और वो सो गया . धीर सो गया
सो गया
read moreKanchan Singla
अब भी नीला है आसमान जाना अब भी बागों में है वही फूल अब भी नदियों में बहता है वही नीर अब भी खिलती हैं कलियां वैसे ही अब भी गूंजती है कहीं कहीं वही खिलखिलाती हंसी।। ©Kanchan Singla #angrygirl #जाना #आसमान #नीला #हंसी #खिलखिलाना #फूल #नदियाँ #कलियां
#angrygirl #जाना #आसमान #नीला #हंसी #खिलखिलाना #फूल #नदियाँ #कलियां
read morekapil rawat
सुना के रातों को दर्द अपना रो गया मैं.. क्या पता आजाए वो सपनो में इसलिए सो गया मै.. #सो गया मैं..
#सो गया मैं..
read moredilip khan anpadh
मेरी कविता बस मेरी रूह जी आवाज़ है। आप भी गुनगुनाकर देखिए चाँद सो गया ****** छिप-छिपाके, मुँह दिखा के,चाँद सलोना सो गया ओस की वो सर्द बूंदे, घास पर ही सो गया करवटें बदली जो मैंने,याद तेरी आ गई दर्द फिर वो सर झुकाके,दिल मे आके खो गया।। चलके,थकके, ये दीवाकर,सांझ में ढ़लने लगा मन पतंगा,आह भरकर,हाथ क्यों मलने लगा? सिसकियों को बांधकर जब,खुद में मैं खोने लगा तारों की जमात नभ में,बेदर्द,क्यों चलने लगा? ग्रीष्म की पुरवाई भी जब,बोझिलों सा बह चला साथ, संगदिल अब न कोई, छू के ये बस कह चला रोम कल्पित शूल बनकर,तन मेरा छलने लगा आस टूटा मोतियों सा,सांस ये जलने लगा।। बारिसों के मौसमों ने,किस कदर मुझको छला? भीड़ में तन्हा चला मैं,दर्द से मिलके गला मुड़के पीछे जो मैं देखा,शून्य था पसरा हुआ यादों का मैं हाथ थामे,क्या पता,कब तक चला? वो इरादे,कसमे-वादे, उम्र संग ढलने लगा खुद का,खुद ही लाश ढोता, यंत्रवत चलने लगा उम्मीदों की राह भी जब,मीलों पीछे राह गया इश्क है झूठा-फरेबी,हर सांस मुझको कह गया।। कब्र में भी कशमकश है,आके जो मैं सो गया हाथों में फूलों का दस्ता,आके कोई रो गया चूड़ियों को वो खनक,पायलों की छन-छनन मुझको है ,बेचैन करती, ये भी कैसे हो गया? छुप-छुपा के मुँह दिखाके चाँद सलोना सो गया दिलीप कुमार खाँ""अनपढ़"" #चांद सो गया
#चांद सो गया
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