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Amit Singhal "Aseemit"
जब तक ज़िंदगी में, न करो कोई कार ए सवाब, तब तक तुम मत देख लेना सुकून का ख़्वाब। स्वार्थ की ज़िंदगी जीने का कोई नाम नहीं होता, सब का भला करो, सच्चा आराम वहीं होता। ©Amit Singhal "Aseemit" #कार #ए #सवाब
Akshay Charde 'राही'
सवाब,,, (अकीदत=इज्ज़त, फ़ना होना= लीन या मग्न होना, बर्ग=पेड़ के पत्ते, वाइज़= उपदेश देनेवाला, मजाल= हिम्मत, उरुस=दुल्हन, पैराहन= परिधान, सवाब=
read moreSaddab Husain
Komal Mishra
“ज़िंदगी" देखो तो ख़्वाब है ज़िंदगी, सोचो तो लाज़वाब है ज़िंदगी लिखो तो सवाब है ज़िंदगी, पढ़ो तो मियाज़ है ज़िंदगी, जियो तो अज़ाब है ज़िंदगी, सच पूछो तो नायाब है ज़िंदगी। ©Komal Mishra “ज़िंदगी" देखो तो ख़्वाब है ज़िंदगी, सोचो तो लाज़वाब है ज़िंदगी लिखो तो सवाब है ज़िंदगी, पढ़ो तो मियाज़ है ज़िंदगी, जियो तो अज़ाब है ज़िंदगी
“ज़िंदगी" देखो तो ख़्वाब है ज़िंदगी, सोचो तो लाज़वाब है ज़िंदगी लिखो तो सवाब है ज़िंदगी, पढ़ो तो मियाज़ है ज़िंदगी, जियो तो अज़ाब है ज़िंदगी
read moreParastish
किताब-ए-ज़ीस्त में मुझे कोई निसाब ना मिला बहुत सवाल थे जिन्हें कभी जवाब ना मिला मिले बहुत मुझे, मगर कोई सवाब ना मिला मिरे हिसाब का कोई भी इंतिख़ाब ना मिला गुज़र गई ये उम्र बस, चराग़-ए-ग़म के साए में जो रौशनी करे मुझे, वो आफ़ताब न मिला बड़ी थी आरज़ू मिरी, हक़ीक़तें सँवार लूँ नसीब ख़ार ही हुए, कोई गुलाब ना मिला झुलस गए बुरी तरह से हम तो दश्त-ए-इश्क़ में कि आब, अब्र छोड़िए, हमें सराब न मिला किसी हसीन याद का चलो ये फ़ायदा हुआ कटी है उम्र हिज्र में, मगर अज़ाब ना मिला तलाशती रही सदा, वो जिस में अक्स पा सकूँ पर आईने-सा, कोई शख़्स, बे-नक़ाब ना मिला ©Parastish किताब-ए-ज़ीस्त= ज़िन्दगी की किताब निसाब= मूल,आधार, सरमाया सवाब= सही, ठीक इंतिख़ाब= चयन, चुनाव, चुना जाने वाला ख़ार= काँटे दश्त-ए-इश्क़= इश
किताब-ए-ज़ीस्त= ज़िन्दगी की किताब निसाब= मूल,आधार, सरमाया सवाब= सही, ठीक इंतिख़ाब= चयन, चुनाव, चुना जाने वाला ख़ार= काँटे दश्त-ए-इश्क़= इश
read moreParastish
शराब जैसी हैं उसकी आँखें, है उसका चेहरा किताब जैसा बहार उस की हसीं तबस्सुम, वो इक शगुफ़्ता गुलाब जैसा वो ज़ौक़-ए-पिन्हाँ, वो सबसे वाहिद, वो एक इज़्ज़त-मआब जैसा वो रंग-ए-महफ़िल, वो नौ बहाराँ, वो नख़-ब-नख़ है नवाब जैसा उदास दिल की है सरख़ुशी वो, वो ज़िन्दगी के सवाब जैसा वो मेरी बंजर सी दिल ज़मीं पर, बरसता है कुछ सहाब जैसा कभी लगे माहताब मुझ को, कभी लगे आफ़ताब जैसा हक़ीक़तों की तो बात छोड़ो, वो ख़्वाब में भी है ख़्वाब जैसा न वो शफ़क़ सा, न बर्ग-ए-गुल सा, न रंग वो लाल-ए-नाब जैसा जुदा जहां का वो रंग सबसे, है उसके लब का शहाब जैसा उसी से शेर-ओ-सुख़न हैं मेरे, उसी से तख़्लीक़ मेरी सारी वो अक्स-ए-रू है मेरी ग़ज़ल का, मेरे तसव्वुर के बाब जैसा ©Parastish शगुफ़्ता - cheerful ज़ौक़-ए-पिन्हाँ - hidden desire वाहिद - unique इज़्ज़त-मआब- most esteemed; respected नख़-ब-नख़ - row by row, line by l
शगुफ़्ता - cheerful ज़ौक़-ए-पिन्हाँ - hidden desire वाहिद - unique इज़्ज़त-मआब- most esteemed; respected नख़-ब-नख़ - row by row, line by l
read moreSandeep Kothar
कुछ दुवाएं ऐसी भी...! ईद मुबारक... जो मांगे ख़ुद से पहले दूसरों के लिए मन्नत, ख़ुदा भी उन्हें सवाब नसीब कराता हैं, आेरों के लिए जिनके दिल
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
करते हैं तेरी जुस्तजू ख्वाबों ख्याल में, बालो में चांदी आ गई *गुजिश्त साल में//१ वो कतरा रहा है मेरे ऐसे *शबाब से,अब हो गया है*माइल दूजी हुस्नो जमाल में//२ मुझपे तेरी*गर्विदा उल्फत की कुछ तो इनायतें कर देख मैं हो जाऊंगी तुझपे निसार हरहाल में//३ के मेरा जहन देता है इशारा,मगर दिल मानता नहीं, मैं हूं मुंतजिर, मुसलसल तेरे ही माहो साल में//५ ऐ वादा फरामोश मुझसे मुकर जाने वाले, तु डाल गया"शमा"को अब ऐसे *खद्दो खाल में//५ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #bicycleride करते हैं तेरी जुस्तजू ख्वाबों ख्याल में,बालो में चांदी आ गई *गुजिश्त साल में//१ *बीते साल/गुजरा हुआ वो कतरा रहा है मेरे ऐसे *
#bicycleride करते हैं तेरी जुस्तजू ख्वाबों ख्याल में,बालो में चांदी आ गई *गुजिश्त साल में//१ *बीते साल/गुजरा हुआ वो कतरा रहा है मेरे ऐसे *
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