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the_poetic_soul.09
पहली नज़र में जब उसे देखा, न नाम पता, न कोई रेखा। वो अनजान था, मैं बेख़बर, पर दिल मेरा हो गया बेक़रार। फिर चुपके से उसकी तस्वीरें देखी, हर हंसी, हर ख़्वाब में बसी वो एक झलक। न जाने वो कौन, न जाने कहाँ, मगर दिल ने चुनी वही राह अनजानी। एक तरफ़ा था ये प्यार का सफर, न उसे पता, न उसने कभी किया ज़िक्र। मैं उसकी तस्वीरों में ढूँढती हूँ सुकून, पर वो मेरी दुनिया से अब भी बहुत दूर। ©the_poetic_soul.09 #पहली नज़र का एहसास
#पहली नज़र का एहसास
read moreचाँदनी
White कभी कभी वहा भी बोल नही फूट पाए जहाँ जरूरी था अंतस् ने दुआएँ दी और लगा पूरे हो गए मन्नत कुछ एहसास गुप्त ऊर्जा लिए डूब जाती है कितने बार शीर्ष तक उभरती भी नअंद पर क्या वाकई हमारे अंदर विकसित अलौकिक शक्तियां फल को भी गुप्त कर देती है या सृष्टि उसे स्वीकार कर सूर्य सा दीप्तिमान रौशनी का सृजन कर भेद देती है उस प्रकृति रस के अंदर ©चाँदनी #गुप्त एहसास
#गुप्त एहसास
read moreEkta Singh
White आज भीड़ से दूर निकल आया हूँ ये सिसकियाँ, तन्हाईयाॅ क्या सुन पा रही हो????? मैं ही तुमसे रूठ जाता था लेकिन इस बार तो •••••• ऐसे रूठी तुम •••••• मेरा सब कुछ साथ ले गई•• ©Ekta Singh एहसास
एहसास
read moreKiran Chaudhary
तेरे प्यार का कितना खूबसूरत एहसास है, दूर होकर भी ऐसा लगता है, जैसे तू हर पल मेरे पास है। मोहब्बत के सफर में बस इतना ही तो ख्वाब है, तू हो मेरे साथ और ज़िन्दगी भर का साथ हो बेपनाह। ©Kiran Chaudhary तेरे प्यार का कितना खूबसूरत एहसास है।।
तेरे प्यार का कितना खूबसूरत एहसास है।।
read moreRudradeep
जिंदगी एक खूबसूरत एहसास है इसे काली रात,सजा बद्दुआ,नफरतों का बाज़ार क्यों कहें किसी राह में पत्थर, कांटे,मखमली घासें सब हैं कोई ठोकर खाए,कांटों में उलझ जाए तो राहों को ज़िम्मेदार क्यों कहें बाज़ार में तो दूध,शहद,शक्कर,घी सब मिलते हैं कोई शराब पीकर मर जाय तो शराब को गुनहगार क्यों कहें सब जानते हैं धोखा वहीं मिलता है जहां भरोषा ज्यादा होता है भरोषा हम करते हैं तो किसी और को धोखेबाज क्यों कहें उलझी बातों वाले भी सुलझे व्यक्ति की तलाश में रहते हैं कोई अपने बुने जालों में उलझ कर मर जाए तो जालों को कसूरवार क्यों कहें ©Rudradeep #एहसास #कसूर
Manish ghazipuri
White ज़िन्दगी भर चला, ज़िन्दगी के लिए, फिर भी सारा सफर, अधुरा रहा। ना ही तृष्णा मिटी, ना मिटी लालसा, एक पथ से, मै दुजे पे चलता रहा। हर गली, हर शहर, हर इक मोड़ पर, साथ में कुछ चले,कुछ गये छोड़ कर। सोचता ही रहा, जिन्दगी क्या बला, खुद से खुद का हर इक प्रश्न करता रहा। लौट कर फिर किसी ने,ना कुछ भी कहा, प्रश्न था जो मेरा, प्रश्न ही रह गया। इक किरन कोई,धुँधली सी दिख ना सकी, थी उजाले की आशा, भटकता रहा। ज़िन्दगी भर चला ज़िन्दगी के लिए, फिर भी सारा सफर, अधुरा रहा। मनीष गाजीपुरी ©Manish ghazipuri #GoodMorning एहसास
#GoodMorning एहसास
read moreVivek Gautam
White बाहर से शांत दिखने के लिए। अंदर से बहुत लड़ना पड़ता है...😞 ©Vivek Gautam मेरे एहसास....
मेरे एहसास....
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