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Vijay Meena
story. =.ek guru ke 2 shish h ek chori karte h dusara Bhaghati karta h achanak chori karne vala Bhghat ko sona mil jata h dusra Bhaghat ke kil laghajati h dusare Day duno apane guru ke pas jate h guru se pucha ki hamare sat asa huaa h guro Bola ki pahale sisy se tumare Baghay me aaj ke day raj likha ta tumare karmo se asa nahi huaa ta ©Vijay Meena ek Guru Do shishyon Ki Kahani
ek Guru Do shishyon Ki Kahani
read morelove guru
( दस्ता वो प्यार का कहना कुछ यूँ है ) साल 2020 था 25 जून का वो दिन था , बात उन्से ये हुयी मेरे साथ हमेसा रहोगी ना । मुस्कुरा के वो कहती थी तू पागल है क्या । फ़ोन कर के कह दिया कभी बात मुझसे करना मत , मैने भी पुछ लिया क्या गलती थी मेरे प्यार की , उन्होने बस इतना कहा आज के बाद मिलना मत । उन्से दुर होके पुरे रात दिन रोता रहा , जब कुछ समझ मे ना आया तो suicide करने चला गया । लगभग मर चुका था मै , बस हॉस्पिटल मे जिन्दा लाश गया । मै मौत के करीब था बस याद उन्हे करता था , जुबां पे उनका नाम था उतने मे हिम्मत हार गया । माँ मेरी रोती रही मै 5 महिने I.C.U मे था , 12 oppression हुये तब जाके जिन्दा हुआ । मै हिम्मत हार गया , तभी मेरे माँ का आशीर्वाद मेरे साथ रहा । आज मै जो जिन्दा हूँ , उसमे मेरे माँ का प्यार और आशीर्वाद रहा । ये कहानी उस आशिक की है , जो मेरे अंदर मर गया । ©love guru #kahani #love#guru
Jat Jat
1.जीवन बदलने वाली गुरु की शिक्षा गुरु रामस्वरूप अपने शिष्यों के साथ आश्रम के लिए भिक्षाटन पर निकले थे। वह अपने गुरुकुल में भोजन की व्यवस्था भिक्षा मांग कर ही किया करते थे।जब वह एक कस्बे से दूसरे कस्बे की ओर जा रहे थे, रास्ते में खेत-बधार मिलने लगे। किसी खेत में हरी-भरी फसल खड़ी तो कोई खेत बंजर नजर आ रहा था। ऐसे ही एक बंजर खेत पर किसान कुछ बुवाई करने के लिए खेत को जोत रहा था। वहीं पेड़ के नीचे उसने अपना सारा सामान, पोटली आदि रखा हुआ था। गुरु रामस्वरूप के शिष्यों में एक शिष्य शरारती था, वह शरारती स्वभाव के कारण किसान की रखी हुई पोटली उठा लाया।गुरु रामस्वरूप को जब ज्ञात हुआ कि उसके शिष्य ने कुछ शरारत किया है। गुरु ने शिष्य को समझाया – ‘पुत्र इस प्रकार तुम उस गरीब किसान की पोटली चुरा कर उसे कष्ट दे रहे हो! यह कार्य तुम्हें शोभा नहीं देता। तुम उस किसान को दुखी करके अपने ईश्वर को दुखी करोगे। तुम्हें जो पैसे भिक्षा में मिले हैं उसे ले जाकर उसी स्थान पर पोटली सहित रख दो और फिर किसान का भाव देखो।’ शिष्य ने ऐसा ही किया -वह पोटली और पोटली के नीचे भिक्षा में मिले हुए पैसे रख आता है। गरीब किसान काफी दिनों से परेशान था, उसके घर में उसकी माता की तबीयत खराब थी दवाई के लिए कुछ प्रबंध नहीं हो पा रहा था। जब किसान खेत का काम निपटा कर बैठा और उसने अपनी पोटली उठाकर देखी तो उसके नीचे कुछ पैसे थे, उसने इधर-उधर देखा किंतु कोई नजर नहीं आया। किसान पैसे लेकर बहुत खुश हुआ और ऊपर दोनों हाथ करते हुए ईश्वर को धन्यवाद करता रहा। संभवत उसके माता के लिए दवाई का प्रबंध हो गया था। वह खुशी से आंसू बहाता और दोनों हाथ से पोंछता जाता। यह सभी दृश्य गुरु रामस्वरूप और उनके शिष्य छुप कर देख रहे थे। कहानी से सीख – किसी भी व्यक्ति को दुखी करने के बजाए अगर खुश करने की कोशिश की जाए तो यह खुशियां दुगनी हो जाती है। ©Jat Jat #guru guru ki siksha
#guru guru ki siksha
read moreMahendra Prasad Pal
guru purnima ki hardik shubhechha nojota ke sabhi mitron ko. bandaun guru pad padum paraga,,,,,,,suruchi subhash saras anuraga ,,amiy muriyam puran charu ,,,saman sakal bhav ruj pariwaru,,, ©Mahendra Prasad Pal guru purnima ki hardik subhechha #guru
guru purnima ki hardik subhechha #guru
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