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SATYAJIT ANANDRAO JADHAV
प्रकाश साळवी
कोरोना... कोरोना !! खेळलास डाव भले तू मोठा कोरोना समजू नकोस भारता छोटा कोरोना *** पाहिलीस का तू भारताची संस्क्रुती अजून नाही पाहिला तू वरवंटा कोरोना *** परतविलेत हल्ले पूर्वी प्लेग पटकीचे पाहिला नाहि वारसा तू भलामोठा कोरोना *** जरा समजून घ्यावे संकटाला लोकहो संसर्गामुळेच होतोस तू मोठा कोरोना *** आहे पूर्ण विश्वास आमच्या शक्तिवर परतून टाकू कुटील हल्ला तू खोटा कोरोना *** तू कुणीही असो जीवाणू वा विषाणू एव्हढेच सांगतो चीनचा तू कूलटा कोरोना *** शासनाचे जरा ऐका घरातच रहा तुम्ही काय करेल वाकडे तू ऊलटा कोरोना *** प्रकाश साळवी बदलापूर - ठाणे मोबाईल : 9158256054 कोरोना कोरोना
कोरोना कोरोना
read morepoetess poonam Udaichandra
#5LinePoetry थम गई मेरी कलम, कैसे व्यक्त करू मन के उदगार। कि उजड़ गए मेरे सामने ना जाने कितने घर परिवार।। © poetess poonam Udaichandra कोरोना, कोरोना #5LinePoetry
कोरोना, कोरोना #5LinePoetry
read moreNavash2411
वर्ष का अंत हो रहा था, नववर्ष का आगमन, तभी वुहान में नोवल कोरोना रूपी राक्षस का जन्म हुआ दुनियाँ नववर्ष की तैयारी में मदमस्त हो रही थी। उसी समय भारत में CAA नामक भूत आया, कुछ मुसलमानों को नागरिकता जाने का डर सताया। कुछ विपक्षी नेताओं ने भी फुलसाया, बहकाया, चतुरों ने कुछ दलितों और बुद्धिजीवियों को भी साथ लगाया। गो CAA गो NRC का नारा लगाया, CAA में गलत क्या है ये पूछने पर संविधान खतरे में बताया, साथ ही शहर-शहर शाहीन बाग बैठाया। आरोप प्रत्यारोप के दौर शुरू होने लगे, बॉलीवुड वाले भी न जाने क्यों CAA पर रोने लगे। हिंदुस्तान में जब शाहीन बाग शाहीन बाग हो रहा था, दुनियाँ का अधिकांश हिस्सा कोरोना से रो रहा था। आफत के पैर कहाँ होते हैं, जैसे संस्कृति के विचरण के नहीं होते। दोनों को मानव ही यात्रा कराता है, जाने अनजाने सबको संकट में लाता है। कभी जिस देश की आलोचना कर रहा होता है, फिर वहीं लौट के आता है। यही तो बंधु नियतिवाद का तकाजा है, प्रकृति के आगे बेकार में जोर लगाता है। ◆जय माता दी◆ #कोरोना #कोरोना #शाहीनबाग #शाहीनबाग
karthikey poems
कुछ यूं बदला बदला सा है कुदरत का यह रंग जब से आया है .....यह कोरोना वीरान हुई सड़कें घरों में कैद हुआ आम जन मन...... डर डर के हर कोई बोला है हाय कोरोना तबाई कोरोना चैन नहीं है सांसों में भी वह भी बोले कोरोना कोरोना अब तो सिर्फ आजाद है वह पंछी..... जो प्रकृति से ना खेले बाकी बचा बेचारा मानव जो थाली - ताली से ही बोले घुटता है दम रोता है मन जिसको है कोरोना अगर रक्त में घुल गया तो विस्फोटक है कोरोना क्या करें जिद्दी बड़ा है जान लेकर ही मानता है यह कोरोना निगल रहा हैं जो जन-जन को विश्वव्यापी महामारी है यह कोरोना हाय कोरोना तबाही कोरोना
हाय कोरोना तबाही कोरोना
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