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Sanjana Shukla
रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद, आदमी भी क्या अनोखा जीव होता है! उलझनें अपनी बनाकर आप ही फँसता, और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है। रामधारी सिंह 'दिनकर'... #ramdhari#singh#dinkar#kavita
Abhishek kumar
ramdhari singh dinkar of poem, sach hai vipti jab aati hai kayar ko hi dahlati hai surama nahi vichalit hote kshan yek nahi dhiraj khote vighno ko gale lagate hai kato mai rah banate ha, thanks ©Abhishek kumar ramdhari Singh dinkar poem
ramdhari Singh dinkar poem
read morevicky sri
*ईसाई नव वर्ष के परिप्रेक्ष्य मे मैं आपके समक्ष राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह " दिनकर " जी की कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ ।* *ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं* *है अपना ये त्यौहार नहीं* *है अपनी ये तो रीत नहीं* *है अपना ये व्यवहार नहीं* ©vicky sri Ramdhari singh dinkar #Dark
Ramdhari singh dinkar #Dark
read moreParam Shivam Singh
poem by *Ramdhari Singh Dinkar* #koi_arth_nahi #Hindi #ramdharisinghdinkar
read more"Vibharshi" Ranjesh Singh
हे कवि महान, आप पुज्य तुल्य करुं मैं हमेशा आपका गुनगान क्षमाप्रार्थी हुं हे गुरुदेव पर एक बात आपकी जची नहीं चंद छंद हैं आपकी रचना के जो मुझसे पची नहीं आपने कहा था वो भी पाप के भागी होंगे जो विना पक्ष लिए किसी का मौन रहे सशक्त और सबल होने के बाद भी गौन रहे पर गुरुदेव पक्षधर बन समाज आज हमारा बटा हुआ है समाज में विष फैला और भाई भाई से कटा हुआ है पक्षधर आज विषधर बन बैठे हैं जिनके सिर पर मणि सुसज्जित होना था वो हाय आज काल भुजंग से ऐठै हैं सत्य मानो खो गया है पता नहीं क्या सबको हो गया हैं पक्षवाद का ये उन्माद हाय जगत को ले डुबेगा मैं किसको अपनी कविताएँ सुनाऊंगा जब मृत्यु सबके मुख को चुमेगा इन विषधरों का बोझ अब धरा शायद ना उठाएगी यह उन्माद खत्म ना हुआ सबको ये रसातल में ले जाएगी अनल ऐसी लगेगी कुछ भी बच ना पाएगी जब कुछ बचेगा ही नहीं तो गुरुदेव मेरी कलम कैसे अपनी प्यास बुझाएगी ©"विभर्षी" रंजेश सिंह Open Letter to Ramdhari Singh Dinkar jee
Open Letter to Ramdhari Singh Dinkar jee
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