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Stories related to पर्यायवाची शब्द घर

Ram Prakash

#good_night शब्द शब्द

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White शब्द शब्द वाणों से हृदय
और न भेदे
कोई
निर्णीत मामलों को
अबसे और न
कुरेदे
कोई

©Ram Prakash #good_night शब्द शब्द

Parasram Arora

घर परिवार

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White पहले  थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार 
का भरन्न पोषणआराम हो जाता था 

लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार  मुश्किल से चल पाता है

©Parasram Arora घर परिवार

अजनबी...

घर

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ghar quotes in hindi खाली है जो तेरे बिना
मैं वो घर हूं तेरा...

©अजनबी... घर

m kalvadiya

#घर कि‌लक्ष्मी

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White कड़वा हे मगर सच है 
कूछ ओरते जिन्हे बहू घर कि लक्ष्मी कहा जाता हे उनकी हालत काम वाली बाई से ग ई गुजरी होती है कम से कम काम वाली बाई को उसकी सेलरी तो मिलती है ओर तो ओर तिज त्योहारो पर पर खूशी से भेंट भी मिलती है लेकिन घर की लक्ष्मी घर के झाडू से भी नकारा समझी जाती हे कम से कम उसकी भी ईज्जत होती है

©m kalvadiya #घर कि‌लक्ष्मी

Shiv Narayan Saxena

#good_night घर-घर में होने लगे.....

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White घर - घर  में  होने  लगे,  नारी  का  सम्मान।
जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।।

नवरातों  के  बाद  जो,  मान  करै ना  कोय।
अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै  सोय।।

'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय।
हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।।

कण-कण उनका वास है,  सब  सांसों  में  वोहि।
छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।।

घर - घर  में  होने  लगे , जगराते  हरि  बोल।
हृदपट  भी  खुलनें  लगें , जै मां  जै मां बोल।।

©Shiv Narayan Saxena #good_night घर-घर में होने लगे.....

Gourav Shrivas

#घर पुराने होते थे

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dixit_love_

नई-नई आंखें हो तो हर मंजर अच्छा लगता है
कुछ दिन शहर में भूमे लेकिन अब घर अच्छा लगता है



मिलने-जुलने वालों में तो सब ही अपने जैसे हैं
जिस से अब तक मिले नहीं वो अक्सर ही अच्छा लगता है



हम ने भी सो कर देखा है नए पुराने शहरों में
जैसा भी है पर अपने घर का बिस्तर अच्छा लगता है

©dixit_love_ #sadak #घर #जीमादारी #सिटी

Divyanjli Verma

अयोध्या का घंटा घर

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ranjit Kumar rathour

घर से दूर

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Sangeeta Verma

#घर # कविता

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White चार दीवारी से नहीं बनता घर 
अपनों के प्यार के बिना 
अधूरा है हर घर 
बच्चों की किलकारी सी ही तो 
महकता है घर 
बुज़ुर्गो के आशीर्वाद से 
फलता है घर 
माँ का दुलार 
पिता की फटकार से 
मज़बूत बनता है घर 
भाई बहन से लड़ना झगड़ना 
रूठाना मानना से 
खिलता है घर 
थोड़े से आँसू थोड़ी सी हँसी से 
थोड़े से गम थोड़ी सी खुशी 
बस इस से ही तो 
खड़ा रहता है घर।
( चाँदनी ) sangeeta verma

©Sangeeta Verma #घर #  कविता
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