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Lafz Kuch Ankahe
अगर कईं परिवारों को भाड़े पर दिए हुए, एक-मंज़िला घर की छत के, किसी भी एक कोने से जल का रिसाव होने लगे, तो हम उसे कारीगरी का बेहतरीन नमूना नहीं बता सकते। जता सकते हैं तो महज सहानुभूति, उस कोने के नीचे रहने वाले परिवारों के लिए। ~Lafz_Kuch_Ankahe #migrantworkers #pravaasimazdoor #प्रवासीमज़दूर #प्रवासी
DR. LAVKESH GANDHI
प्रवासी मजदूर और सियासत का खेल सियासत का खेल देखिए मजदूर गाँव से बाहर कमाए तो प्रवासी मजदूर बन गये जुल्मों-सितम के शिकार हो गये नेता देश में कहीं से भी चुनाव लड़ कर देश के प्रधान हो गये कैसा है ये सियासत का खेल देखिए अपने ही देश में मजदूर भाई क्षेत्रीयता के शिकार हो गये #प्रवासी मजदूर #प्रवासी_मजदूरों_की_पीड़ा # #yqlifefeelings #yqquotes #
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read moreDR. LAVKESH GANDHI
फुर्सत ही नहीं मिल रही इन दिनों कि आप से मुलाक़ात करूँ मैं लिख रहा हूँ इसलिए की प्रवासियों की आवाज कोई बहरा सुन पाये #प्रवासी # #प्रवासीमजदूर # #yqlife #yqjindgikasafer # #yqdada #yqquotes #
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read moreDR. LAVKESH GANDHI
प्रवासी की जीविका क्या होगा प्रवासियों का अपने इस बिहार में कैसे चलेगी जीविका उनकी अपने इस बिहार में दिल्ली महाराष्ट्र से वापस आए सुशासन के राज्य में वापस आकर यहाँ फँस गये कोरोना और बाढ़ के जाल में #प्रवासी_मजदूर # #प्रवासी की जीविका # #yqpravasimajdur # #yqbadh ##
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read moreShaivya Bhadauriya
रोटी कमाने तू य़हीं आया था, इसी शहर में तूने अपना बसेरा बसाया था, यहीं से जाने की तुझे बेकरारी है, इतनी तुझ पर क्या जिम्मेदारी है? जाना ही था हमे परेशानी में छोङ कर, तो आया ही क्यूँ था अपना गाँव से मोह तोड़ कर, जाना ही है फिर भी तू थोड़ा सब्र कर, इतना दंगा क्यू कर रहा है भर भर कर, तू जा अपने गाँव, अपने घर अब पीछे ना देखना मुड़कर।। Shaivya #प्रवासी_मजदूरों_का_दंगा
Rani Yadav
देश को लगता है अब हमारी जरूरत नहीं रही तभी हमारी झुग्गी झोपड़ियों का हिसाब है हमारे मरने का हिसाब नहीं है @रानी #प्रवासीमजदूर
मंजू
इन्ही हाथों ने संवारा था सजाया था तुम्हारा चमचमाता शहर अब ये सृजनशील हाथ एक टुकड़ा रोटी के लिए फैल रहे है ! manju #प्रवासीमजदूर
Shaivya Bhadauriya
मैं बहुत हैरान हूँ, क्या करूं, इससे अंजान हूँ, सड़कों पर दिन रात चल रहे हैं, बच्चे माँ ओ माँ चिल्ला रहे हैं, और कितनी दूर चलना होगा माँ? बार बार यही पूछे जा रहे हैं, पर वो माँ किससे पूछे, किसको अपने दर्द सुनाए, सारी परेशानियाँ छुपाए , माँ, चली जा रही बच्ची को गोद में उठाए, खुद भी नहीं पता, और कितना चलना होगा, और कितना भटकना होगा, एक दिन की दूरी, भी बन गयी है अब दोनों दिन की मजबूरी इनका क्या क़ुसूर था, जो इन्हें दर दर भटकना पड़ा? अब ये कभी वापस नहीं आना चाहेंगे, करने अपना पूरा सपना, कभी नहीं कहेंगे शहर को अब अपना।। Shaivya #प्रवासी_मजदूर #sadfeelings #poem #sad
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read moreDR. LAVKESH GANDHI
अपने घर में ही हम बेगाने हो गये क़्वारंटीन सेंटर में हम प्रवासी हो गये #प्रवासी_मज़दूर # #yourquotestory #यॉरकोटेमजबूर #yourquotebaba
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