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Mehak Dochania
इश्क़ सागर मे नहाकर, अपनी रूहानियत को टॉवल करता है, जो खफा रहता था इश्क़ मे डूबे लोगो से, सुना हैं आजकल वो इश्क़ की नोवेल्स पढ़ता हैं। ©Mehak Dochania इश्क़ सागर मे नहाकर, अपनी रूहानियत को टॉवल करता है, जो खफा रहता था इश्क़ मे डूबे लोगो से, सुना हैं आजकल वो इश्क़ की नोवेल्स पढ़ता हैं। ~Meh
इश्क़ सागर मे नहाकर, अपनी रूहानियत को टॉवल करता है, जो खफा रहता था इश्क़ मे डूबे लोगो से, सुना हैं आजकल वो इश्क़ की नोवेल्स पढ़ता हैं। ~Meh
read moreArsh
आदमी पेशे से अकाउंटेट हीं क्यों न हो पर अपनी पत्नी की एकाउंटिंग के आगे उसकी एक नहीं चलती! कैसे? तो चलिए देखते हैं In CAPTION पत्नी:- मुझे ₹1000 की सख्त जरूरत है, घर का कुछ सामान मंगाना है पति:- अभी कल शाम हीं तो 500 दिए थें और फिर अभी सुबह-सुबह, भाग्यवान ! कुछ तो
पत्नी:- मुझे ₹1000 की सख्त जरूरत है, घर का कुछ सामान मंगाना है पति:- अभी कल शाम हीं तो 500 दिए थें और फिर अभी सुबह-सुबह, भाग्यवान ! कुछ तो
read moreAK__Alfaaz..
कौन हूँ मैं..? एक स्त्री...या कुछ और.., एक दीवार.., जहाँ...कीलें ठुकी हों तमाम, जहाँ...निशानों मे दर्द छिपें हैं तमाम, जहाँ...गम की सीलन टपकती हो हर रात, जो बरसों से अपनी ही हँसती तस्वीरों का, बोझ उठाती हो सुबह-शाम..। कौन हूँ मै..? एक बिस्तर.., जहाँ...रूह तक में पड़ी हो सिलवटें बेहिसाब, जहाँ...तकिए पर सिसकती बूँदें गिरी हों बेशुमार, जहाँ...चादरों की तरह तोड़ी-मरोड़ी पड़ी हो जिंदगी, जो अपने ही कष्टों पर बिलखती हो, सोने और उठने के बाद..। ये प्रश्न सदियों का है...शायद । पूर्ण रचना अनुशीर्षक में🙏 #कौन_हूँ_मै...? कौन हूँ मैं..? एक स्त्री...या कुछ और.., एक दीवार..,
ये प्रश्न सदियों का है...शायद । पूर्ण रचना अनुशीर्षक में🙏 #कौन_हूँ_मै...? कौन हूँ मैं..? एक स्त्री...या कुछ और.., एक दीवार..,
read moreAnuradha T Gautam 6280
ये जो शांत सी औरतें होती हैं ना वो जो हमेशा मुस्कुराती रहती हैं बड़ी विचित्र होती हैं किसी और ही माटी की बनी हो जैसे इन्हें हमेशा मुस्कुरा
read moreALOK Sharma
कई महीनों की मेहनत के बाद मैने एक स्टोरी कंप्लीट की। आज उस स्टोरी को एक्सप्लेन करने का समय था । कंपनी ने मीटिंग के लिए जो समय दिया था उस समय से पहले ही मैं तैयार हो चुका था और अपनी फाइल को बैग में रख लिया था मन में खुशी और एक उल्लास था। इतनी शिद्दत और बहुत ही मेहनत से इस स्टोरी को मैंने लिखा था ईश्वर करे आज वह किसी भी हाल में सेलेक्ट हो जाए ताकि मैं अपने आने वाली राह को और आसान बना सकूं। खुश था मैं। तभी मेरे तैयार होते ही एक कॉल आया मैंने कॉल पिक किया जिसमें कम्पनी के एक एम्प्लोयी ने बताया कि आज आपकी मीटिंग कैंसिल हो गई क्योंकि कंपनी को स्टोरी मिल चुकी है। मैंने कहा कि एक बार हमारी स्टोरी को समझ लिया जाता तो.. सामने से बिना पूरी बात सुने जवाब आया सॉरी सर कंपनी ने इस बार की प्रोजेक्ट स्टोरी सेलेक्ट कर ली है सो प्लीज एंड थैंक्स। फोन कट हो गया। मेरा मन उदास हो गया मैंने अपनी टाई को ढीला किया और शर्ट की बटन को खोलते हुए कोर्ट उतार कर हैंगर में टांग दिया। बैग से स्टोरी को निकाला और उसको देखने लगा सारे पन्ने पलटते हुए पूरी स्टोरी को अपने हांथो से छूकर वापिस उसे बैग में रख दिया। थोड़ी राहत की सांस ली और खुद से कहा चलो कोई बात नहीं आगे देखा जाएगा। ©ALOK Sharma कई महीनों की मेहनत के बाद मैने एक स्टोरी कंप्लीट की। आज उस स्टोरी को एक्सप्लेन करने का समय था । कंपनी ने मीटिंग के लिए जो समय दिया था उस स
कई महीनों की मेहनत के बाद मैने एक स्टोरी कंप्लीट की। आज उस स्टोरी को एक्सप्लेन करने का समय था । कंपनी ने मीटिंग के लिए जो समय दिया था उस स
read morelalitha sai
बिट्टू की सुबह....... Read caption... 👇 मेरी हर सुबह की शुरुआत होती है.. पापा के आवाज़ के साथ... बिट्टू... ओ.... बिट्टू.... हाँ पापा ... क्या है?? मेरा टॉवल नहीं मिल रहा... वहीं तो
मेरी हर सुबह की शुरुआत होती है.. पापा के आवाज़ के साथ... बिट्टू... ओ.... बिट्टू.... हाँ पापा ... क्या है?? मेरा टॉवल नहीं मिल रहा... वहीं तो
read moreAB
©alps तुम्हें पता है दिन में अंधेरा कब होता है,..? मेरे यहाँ तो अक्सर होता है चीड़ के पेड़ों को जब धुंध अपनी आगोश में ले लेती है, और सन्नाटे हवा से
तुम्हें पता है दिन में अंधेरा कब होता है,..? मेरे यहाँ तो अक्सर होता है चीड़ के पेड़ों को जब धुंध अपनी आगोश में ले लेती है, और सन्नाटे हवा से
read morePrashant Shakun "कातिब"
......................... ©Prashant Shakun "कातिब" उस दिन इतवार था मेरी ऑफिस की छुट्टी थी मैं अपनी मर्ज़ी से उठा 11 बजे और मुझे नाश्ते में मिले आलू के पराठे जिन्हें बनाने के लिए वो उठी थी सुबह
उस दिन इतवार था मेरी ऑफिस की छुट्टी थी मैं अपनी मर्ज़ी से उठा 11 बजे और मुझे नाश्ते में मिले आलू के पराठे जिन्हें बनाने के लिए वो उठी थी सुबह
read morePankaj Singh Chawla
पता नही उसे याद भी है या नही (Read im Caption) "पता नही उसे याद है भी या नही" (कहानी) पता नही उसे याद है भी या नही, उस रोज का वो मंज़र... तूफानी बारिश में जब मेरा ऑफिस से घर जाने का समय
"पता नही उसे याद है भी या नही" (कहानी) पता नही उसे याद है भी या नही, उस रोज का वो मंज़र... तूफानी बारिश में जब मेरा ऑफिस से घर जाने का समय
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