Find the Latest Status about भइले बैरी हमार from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, भइले बैरी हमार.
Sushil Chaudhary
White किसी ने सही लिखा है,,, ........... सजनवा बैरी भइले हमार, केहु ना करे बिहार के उद्धार सजनवा बैरी भइले हमार,,2,, ........... सभे स्वार्थ में अपन मगन भईल कोई ईहमा रहिल कोई उहमा गईल।। .... सजनवा बैरी भइले हमार।। .............. काई सता मे बीजी भईल बाबू जी, गरिबन के लुट लिहलस साहेब जी ,,, अंगनमा बैरी भइले हमार।। ............. सब लोगन के गांवों जिला टोप भईल बिहार के तररकी छुरा धोप गईल,।। ,,,,, अंगनमा मैली भाईले हमार,, ............. जाती वादी में सब कुछ भुला गैले गंगा मैया के भेट चढ़ा दिहले।। सजनवा मैली भइले हमार,,, .............. रग रग में भारतीयों बिहारी बा,, फुलों के बगीचा के क्यारी बा।। अगनबा बैरी भइले हमार,,, ...............,, धरती नदी ये निला आसमां कैसे बदली भैया बिहार का जहां,,।। ललनमा काहे कईला हमार,, .............. जज़्बात ज़िन्दगी में बा हिम्मत बहुत पलटे ना लोगन, होई तररकी बहुत,,।। सजनवा बैरी भइले हमार,, ©Sushil Chaudhary #goodnightimages ,, सजनवा बैरी भइले हमार #follow4like @
#goodnightimages ,, सजनवा बैरी भइले हमार #follow4like @
read moreprachi dixit
रौशन करते है वो अब अपनी महफिल हमारी बुराइयाँ कर के। जो कभी हमारे नगमे गुनगुनाया करते थे।। # बैरी पिया
# बैरी पिया
read moreदीपेश
बैरी बदरिया देखो बैरी बदरिया सूखे सूखे सावन बीता शर्दी डूबी झोपड़िया बैरी बदरिया देखो बैरी बदरिया सींच सींच धान बोये ,काटे, बहा ले जाये बैरी बदरिया बैरी बदरिया देखो बैरी बदरिया सूखे में सूखी जाए सुख में ये सुख ले जाये प्यासा न पानी पाए नदिया सागर हो जाये कोई कही का कैसे ऐसे भला रह पाए बदरा क्यों बरसे बेमन बदला काहेका पाए बैरी बदरिया देखो बैरी बदरिया बैरी बदरिया
बैरी बदरिया
read morePushpa Sharma "कृtt¥"
दर्पण देखूं रूप संवारु और सोलह श्रंगार करूँ, फेर नज़रिया बैठा बैरी कैसे अंखियाँ चार करूँ। #बैरी #nojoto
#बैरी nojoto
read moreदूध नाथ वरुण
बैरी पिया मोहे निंदिया न आए, याद तोहार मोहे हरपल सताए। मोसे जो कहिके गयो हम आईब हो,सदियां गयो पर तुम नही आए।। ©दूध नाथ वरुण #बैरी पिया
#बैरी पिया
read moreMahen@Bst
कलम तो आज भी थिरकने लगती है... मेरी उंगलियों को छूकर.. चलने की फिर से जिद करती है.. कागजों के टुकडो़ पर ... कहती हो कि आज फिर.... कुछ अल्फाज़ बयॉ करने दो.. आज शब्दों से स्याही मिलने दो... सोचने लगता हूँ लिखू तो क्या... कल के बीते हुए दिन या दिन आने वाले.... सब अधूरे से हैं फिकी चाय जैसे.. सब्र की मशालें जलाकर.... कागजों पर शब्दों और स्याही को मिलाने की... कोशिशें तमाम होती हैं.... पर अंत में कलम कागजों से.. बैर कर लेती है.... बैरी कलम
बैरी कलम
read more