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Akhil Kael
This seems to be much better... in the open skies... far away from judgementals... today was the last time.. I explained myself... not going to allow anyone's low stooped projections and ideologies.... belittle me anymore... it's time I revoke the beast to invoke martial brain to choke their attempts to cut my hope. GOD GOT ME SICK TO REVEAL THE FACES OF THE SICKENED MENTALS AROUND ME... NOW EAT MY FAECES... FUCK IT HURTS... हे ईश्वर इन बुज्दिलो की टोली से मुझसे दूर रख। ये किसी के कमज़ोर पड़ने की ताक में बैठे रहते हैं। उस समय ये अपना असली रंग दिखाते हैं। मैं बिकाऊ नहीं। मार गया तो मर गया। जी गया तो जी गया। पर जिस दलदल से खुद को बचाया। इससे पहले उसके छींटे पढ़े मुझपर। अपने सच के लिए मरने को तैयार कर लूं मैं आत्महत्या। भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारा घटिया समाज और उसकी खूनी बेड़ियां। ©Akhil Kael अन्याय के खिलाफ़ प्रतिषोध की अग्नि...1 #philosophy
अन्याय के खिलाफ़ प्रतिषोध की अग्नि...1 #philosophy
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अरे ओ बुज्दिल चल भौंक। और कर अपना पुराना घटिया प्रचार। की देखो अखिल करता है दुर्व्यवहार। भौंक ना। चुप क्यूं हो गया। पर यह तुम कभी नहीं बोलोगे कि कितनी कीलें हैं तुमने मुझे चुभाई। और मेरी चीखों को गाली का नाम देना रखा जारी। पर सुन पहले मेरी चीखें थी दर्द से थी निकली पर आज न्याय के लिए हैं निकली। बोला था मैंने अपनी घटिया सोच अपने तक रख। पर अब नहीं। आखिर तुमने रखा अपनी गिरी हुई सोच का पलायन जारी। तो जारी कर दिया है मैंने फरमान तुम्हारे अपमानो, झूठे इल्जामों के खिलाफ़।। अब मेरे प्रतिषोध की जल रही है अग्नि। ©Akhil Kael अन्याय के खिलाफ़ प्रतिषोध की अग्नि..3 #philosophy
अन्याय के खिलाफ़ प्रतिषोध की अग्नि..3 #philosophy
read morea̶a̶j̶a̶d̶ p̶a̶r̶i̶n̶d̶e
तुझे इजाजत नहीं के तु मेरे खिलाफ लिखे तुझे इजाजत नही की तु मेरे खिलाफ लिखे हां मगर सोचता तो हूं की तू मेरे लिए कुछ अल्फाज लिखे।। © a̶a̶j̶a̶d̶ p̶a̶r̶i̶n̶d̶e #खिलाफ