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SK Poetic
जंगल में एक शेर रहता था।वह अब बुढ़ा हो गया था। इसलिए उसने अपने भोजन की व्यवस्था पक्की कर ली थी। चुकी वह जंगल का राजा था। इसलिए प्रत्येक दिन एक जानवर को स्वतं ही उपस्थित होना पड़ता था।और वह उसे खाकर अपनी भूख मिटाता था। आज लोमड़ी की बारी थी ।वह शेर के पास पहुंची।लोमड़ी को देखते ही शेर खुश हो गया।और वह लोमड़ी को बोला कि आने में इतनी देर क्यों कर दी? लोमड़ी बोली, मैं क्या बोलूं महाराज रास्ते में दूसरा शेर मिल गया था।वह मुझे खाना चाह रहा था।मैं बड़ी मुश्किल से जान बचाकर आपके पास आई हूं ।वह शेर अपने को इस जंगल का राजा कर रहा था। यह सुनकर शेर को बहुत गुस्सा आया।और वह बोला कहां पर है वह दूसरा शेर मैं उसको जिंदा नहीं छोडूंगा।लोमड़ी बोली आइए महराज मैं आपको उसके पास ले चलती हूं।लोमड़ी शेर को लेकर एक कुएं के पास गई और एक भेड़ पर खड़ी होकर चिल्लाई महाराज वह देखो शेर पानी में है।यह सुनते ही शेर को बहुत जोर से गुस्सा आया।उसने कुएं में देखा तो उसे खुद की परछाई दिखाई दी।वह चिल्लाया तो उधर से भी शेर के चिल्लाने की आवाज आई। शेर ने जैसे उसकी आवाज सुनी वह उसकी आवाज सुनते ही कुआं में छलांग लगा दी।उसे लगा कि वह उस शेर को खा लेगा। वह जैसे ही छलांग लगाया वह पानी में गिर पड़ा और पानी में गिरते ही डूबने से उसकी मौत हो गई। शेर के छलांग लगाते हैं लोमड़ी मुस्कुराते हुए वहां से चल पड़ीं। Moral of the story हमें कोई भी कार्य क्रोध में आकर नहीं करना चाहिए। क्योंकि क्रोध में आकर किया गया कोई भी कार्य हमारे हित में नहीं होता है। ©S Talks with Shubham Kumar चालाक लोमड़ी #writing
चालाक लोमड़ी #writing
read moreAnkur Goswami
उफ़ उनकी जुल्फे हाय उनकी निगाहें क्या गजब ढाते हैं, लड़की कहे या लोमड़ी बात बात में चालाकी दिखाते हैं #लोमड़ी कहे- अंकुर गोस्वामी
#लोमड़ी कहे- अंकुर गोस्वामी
read moreBRSpal
चतुर लोमड़ी की झूठी प्रशंसा एक दिन एक कौवा कहीं से रोटी का टुकड़ा लेकर आया और आकर पेड़ की डाली पर बैठ गया तभी एक लोमड़ी की नजर कौवे पर जा पहुंची उमड़ी के मन में लालच से मुंह में पानी भर है आया फिर लोमड़ी ने कौवे के पास पहुंच गई और कौवे राजा नमस्ते आप कैसे हो कवि ने कोई जवाब नहीं दिया तो चालाक लोमड़ी ने फिर कौवे से कहा कौवा राजा आप सचमुच बहुत सुंदर हैं और आप चमकदार लग रहे हैं यदि आपकी आवाज भी मधुर हो तो आप पक्षियों के राजा वन जाएंगे तो मूर्ख कौवे ने सोचा की मैं सचमुच पक्षियों का राजा हूं मुझे यह सिद्ध करके दिखाना है तो लोमड़ी ने कहा कौवे राजा आप अपनी आवाज तो सुनाओ मूर्ख कौवे ने जैसे ही अपना मुंह खोला तो रोटी का टुकड़ा उसकी चोच से छूट कर नीचे गिर गया तभी चालाक लोमड़ी ने रोटी का टुकड़ा उठाकर वहां से तुरंत भाग गए शिक्षा:- इसलिए झूठी प्रशंसा करने वाले लोगों से सावधान रहना चाहिए ©BRSpal चतुर लोमड़ी की झूठी प्रशंसा #Travelstories
चतुर लोमड़ी की झूठी प्रशंसा #Travelstories
read moreSwati kashyap
ठुकराया है बहुत कुछ अब नए सुख की चाहत किसे अभाव के प्रभाव में बहुत समझदार हो गए हम ©Swati kashyap # समझदार
# समझदार
read moreDiwan G
कि मैं पहले से ज्यादा, समझदार हो गया हूँ। जो मेरे करीब हैं, उनसे खबरदार हो गया हूँ। ©Diwan G #समझदार
Shahab
आपकी पढ़ाई का कोई महत्व नहीं रह जाता यदि आपके द्वारा फेंका गया कचरा अगली सुबह कोई अनपढ़ व्यक्ति उठाता है शिक्षित है हम तो समझदार भी बने ! #समझदार