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Ruchi ki kalam se
White हमेशा जो भी घटा अनायास था सब । तुम्हारा आना भी और जाना भी । ©Ruchi Rathore अनायास था #summer_vacation #ruchikikalamse
अनायास था #summer_vacation #ruchikikalamse
read moreDr.Vinay kumar Verma
प्रेरक कहानी:जब हम किसी के प्रति नकारात्मक होंगे तो देखेंगे वह भी अनायास ही हमारे प्रति नकारात्मक हो जाएगा #prerak-Kahani
read moreaaj_ki_peshkash
जन्म आणि मरणं यामध्ये जे जगणं असतं ना तेच राहून गेलय तुझ माझ्यापाशी... माझं तुझ्यापाशी... आता मोकळे करावेत बंध आणि घट्ट व्हावे बाहुपार तुझे माझ्याभोवती... माझे तुझ्याभोवती... ©aaj_ki_peshkash #TereHaathMein #जन्म आणि #मरणं यामध्ये जे #जगणं असतं ना तेच राहून गेलय तुझ माझ्यापाशी... माझं तुझ्यापाशी... आता #मोकळे करावेत #बंध
बादल सिंह 'कलमगार'
अनायास ही चलकर क्यु आती है आशाएँ जिसका कोई अर्थ ना हो ऐसी क्यु बनती है परिभाषाएं खुश रहना ही है दर्पण जीवन का तो क्यु निश्छल तर्पण बनती है ब
read moreRana Mangilal
अनायास कोई धुन होंठों तक आई है, एक साथ कई गीत हवा उठा लाई है। जी होता नयनों से किरणों के फूल चुनें, मिट्टी की मूरत भी हो तो कुछ कहें-सुनें,
read moreAshutosh Mishra
--समुद्रतट-- समुद्र तट के किनारे को छूती समुद्र की लहरें, अनायास दिल में हलचल पैदा कर रही है। सूनसान जगह सूनी आंखों में---------- एक पुनः प्रयास की अलख जगा रही है। निराशा हल नहीं किसी समस्या का, पुनः प्रयास का यत्न बात रही है। अंत जीवन का समाधान नहीं है, एक कायर की पहचान है-------। सागर के किनारे रहने वाले हमेशा सजग रहते हैं, वो जानते हैं---------- सागर कब शांत और कब उग्ररूप थर सकता है। जिंदगी के उतार चढ़ाव भी इसी तरह होतें है। अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #seashore समुद्र तट के किनारे को छूती लहरें, अनायास दिल में हलचल पैदा कर रही है। सुनसान जगह सूनी आंखों में----- एक पुनः प्रयास का अलख जगा र
#seashore समुद्र तट के किनारे को छूती लहरें, अनायास दिल में हलचल पैदा कर रही है। सुनसान जगह सूनी आंखों में----- एक पुनः प्रयास का अलख जगा र
read moreKajal Khatri
माँ को देखा था किसी भी यात्रा के मध्य आई नदी में सिक्का डालते अर्धमीलित आंखों और होठों में कुछ बुदबुदाते माँ क्या बुदबुदाती थी नहीं
read morePrakash Suthar
“मैंने गरीबी को मुस्कुराते देखा हैं ।” हाँ भले तकलीफें अपार हैं फिर भी मुस्कुराहट बरकरार हैं, अपने हुनर से चमकते हैं क्योंकि सपनों में ना
read moreYashpal singh gusain badal'
"जीवन संघर्ष" क्यों भयातुर हो सखे ! सब कर्म के परिणाम हैं, तू देख कर संधान कर, अभ्यास कर ,प्रवीण बन, अनायास तुझको मिल गया, उस पर तुम्हारा गर्व क्या? सर्वस्व जिसमें ना लगे, वो संघर्ष भी, संघर्ष क्या? तेरे निरंतर कर्म से, बह रहा जो स्वेद है, तप तुम्हारा है यही, यही तो अश्वमेघ है, जो तपा संघर्ष से, जो जला कुंदन बना, मृत्यु का भय छोड़कर, जो लड़ा अर्जुन बना, प्रयास गर निष्फल हुए, अनुभव मिलेगा फिर नया, होंगे परिष्कृत शस्त्र नव, विजय मिलेगी अंततः, उद्योग कर, पुरुषार्थ कर, स्व कर्म को यथार्थ कर, अपने अभीष्ट लक्ष्य का, उठ बढ़ो, आह्वान कर, लक्ष्य प्राप्ति के लिए, तू नित नए विज्ञान कर, हर क्षण को स्फूर्त कर, नित्य नूतन ज्ञान भर, उठो चलो संकल्प ले, लक्ष्य को प्रस्थान कर, भाव अपने पुण्य रख, जीवन का उत्थान कर। यशपाल सिंह बादल ©Yashpal singh gusain badal' "जीवन संघर्ष" क्यों भयातुर हो सखे ! सब कर्म के परिणाम हैं, तू देख कर संधान कर, अभ्यास कर ,प्रवीण बन, अनायास तुझको मिल
"जीवन संघर्ष" क्यों भयातुर हो सखे ! सब कर्म के परिणाम हैं, तू देख कर संधान कर, अभ्यास कर ,प्रवीण बन, अनायास तुझको मिल
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