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Parasram Arora

माली या संत

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White गुलशन का पुराना 
माली  आज न जाने 
कई संत बन कर घुम रहा हैँ 

लगता हैँ झरती हुई 
फूल की पंखुडियो 
 को 
गिरता देख उसके 
भीतर भी कहीं 
वैराग  जाग न गया हो

©Parasram Arora माली या संत

हिमांशु Kulshreshtha

अक्सर...

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White अफ़सोस इतना गहरा नहीं 
कि सब कुछ मिटा देने को मन करे 
ना ही दुख इतना गहरा 
कि ख़ुद को ख़त्म कर लूँ 
बस निष्प्रभ हूँ, 
डगमगाता , लड़खड़ाता सा 
कितने फ़ैसले जो मैंने लेना चाहे 
उन्हें लेने और ना लेने का 
खामियाजा भुगतता हुआ 
कभी सोचता हूँ अपने अकेलेपन में 
अगर ऐसा होता तो क्या होता 
अगर ये कर लिया होता तो क्या होता
क्या ये होता.. या फिर..... 
इन्हीं सवालों में अक्सर उलझ जाता हूँ

©हिमांशु Kulshreshtha अक्सर...

neelu

#diwali_wishes #सबसे #ज्यादा #सही #क्या है... #इंसान या.. #इंसानियत #मेहनत या .......#नियत धर्म या धर्म ...का #ज्ञान ज़मीन या .. आसमान

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White सबसे ज्यादा सही क्या है...
इंसान या.. इंसानियत
मेहनत या .......नियत
धर्म या धर्म ...का ज्ञान
ज़मीन या  ..   आसमान

©neelu #diwali_wishes #सबसे #ज्यादा #सही #क्या है...
#इंसान या.. #इंसानियत
#मेहनत या .......#नियत
धर्म या धर्म ...का #ज्ञान
ज़मीन या  ..   आसमान

Nisha Singh P. S

#Sad_Status या तो बरबाद

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White मोहब्बत वह एहसास है
जिसे होने के बाद
इंसान 
या तो आबाद होता है 
या तो बरबाद होता है

©Nisha Singh P. S #Sad_Status या तो बरबाद

Dr. Parwarish

इश्क इबादत या आदत

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White आदत से सिर्फ  हवस जगती है,
इश्क  तो हमेशा इबादत ही रहा है।

तुम कहते हो इश्क हुआ है?
अजी सुना है ये तुम सिर्फ आदत ही रहा है।

©Dr. Parwarish इश्क इबादत या आदत

हिमांशु Kulshreshtha

अक्सर...

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White अक्सर….
इन भीगी शामों में
पुराने ख्याल उमड़ आते हैं
बादलों की गरज से,
आसमानी बिजली की चमक से
हौले हौले गहरे स्याह होते हुए
विगत को देखता हूँ
तो अब न कोई अफसोस…
न कुछ खोने का दुख,
न कुछ हासिल न कर पाने का
कुछ देर के लिए
क्षितिज के एक छोर पर
बादलों से बनती
धुंधली सी आकृति
को देखता हूँ मैं…
जानता हूँ क्षणिक है…
पर कुछ देर ही सही
निहारना चाहता हूँ उसे
यूँ ही अपलक, तब तक
खो न जाए वो दूसरे छोर पर

©हिमांशु Kulshreshtha अक्सर...

Jigyasha Jakhar

सच या झूठ ,

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Urmeela Raikwar (parihar)

जरूरी या जबरजस्ती

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Parasram Arora

झपकी या मौत

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White कई  मनीषयो से सुना था हमने कि मौत एक झपकी की तरह  आती है और एक मीठी लम्बी नींद मे इंसान को सुला जाती है 

लेकिन मैंने तो कई लोगो को देखा है ढेरों झपकीया लेते हुए ....फिर भी उनकी साँसे.
कभी थमती नही है

©Parasram Arora  झपकी या मौत

Parasram Arora

कतरा या समुन्द्र

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