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Vedantika
पहाड़ खोदते खोदते सारी उम्र निकल गई मिला ना खज़ाना बस चुहिया निकल गई बिखर गए अरमान दिल के पत्तों की तरह हाथों से रेत की तरह ज़िंदगी फिसल गई न मुक़म्मल हुई मन की एक भी आरज़ू यह रही ग़नीमत कि धड़कन संभल गई बर्बादी की कगार पर खड़ी है ख़्वाहिशें मुझे मेरे ख़्वाबों की तस्वीर निगल गई इस पहाड़ के नीचे दब गई शख़्सियत आईने में देखा तो शक़्ल ही बदल गई ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_350 👉 खोदा पहाड़ निकली चुहिया लोकोक्ति का अर्थ – बहुत कठिन परिश्रम का बहुत थोड़ा लाभ। ♥️ इस पोस्ट को ह
♥️ आइए लिखते हैं मुहावरेवालीरचना_350 👉 खोदा पहाड़ निकली चुहिया लोकोक्ति का अर्थ – बहुत कठिन परिश्रम का बहुत थोड़ा लाभ। ♥️ इस पोस्ट को ह
read moreDr Upama Singh
बहुत मशक्कत के बाद पीएचडी की डिग्री पाया लेकिन बहुत कोशिश के बाद मनमुताबिक नौकरी हाथ ना आया खोदा पहाड़ निकली चुहिया जीवन पूरी तरह से हो गए फिसड्डी ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_350 👉 खोदा पहाड़ निकली चुहिया लोकोक्ति का अर्थ – बहुत कठिन परिश्रम का बहुत थोड़ा लाभ। ♥️ इस पोस्ट को ह
♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_350 👉 खोदा पहाड़ निकली चुहिया लोकोक्ति का अर्थ – बहुत कठिन परिश्रम का बहुत थोड़ा लाभ। ♥️ इस पोस्ट को ह
read morePrashant Mishra
मेरे आस पास से वो गुजरती रही धीरे धीरे मेरे दिल में उतरती रही मैं बिल्ली बनकर उसे ढूंढता रह गया एक चुहिया मेरा दिल कुतरती रही --प्रशान्त मिश्रा #चुहिया
Mď Âĺfaž" "Šयरी Ķ. दिवाŇ."
अगर सारी उम्र नफ़रत ही करना है तो एक वादा किया जाए! मेरे क़ब्र के बगल में ग़ालिब एक उसका भी क़ब्र खोदा जाए! ©Md Alfaz #SAD #कब्र खोदा जाए!#
_itni _si _baat _hai _vandana Upadhyay
हमारे आस -पास पहाड़ होने चाहिए ताकी जब भी हम दुख से भर जाए... उन्हें गले लगाकर मुक्त हो जाएं अपनी अनहद पीड़ाओं से.... ©वंदना उपाध्याय पहाड़
पहाड़
read moreShivani Thapliyal
*मेरु पहाड़* मेरी अलग पहचान ची ; मैं उत्तराखंडी छो , जाणा छीन लोग मीता छोड़ी यख बतीन। कुछ यख छीन मेरा भूमयाल मां, क्वै क्वै लुकारी मैमा जान माया शक्ति ची। गो खाली वैग्या जन विनाश वैगी होलू मेरू , यूँ आँखी तरसी तूता देखरो आज भी । कुछ लोग घोर कुड़ी पुंगरी छवारी यन चलया, जन तुन पलटी भी नी देखर होलू अब। गो सुन करी कनके बसोला कुड़ी शहर मां, अपणी भाषा भूली कन बोल लेंदा शहर की भाषा । गो का बटा भूली के कन जाण लगया छोदा बटा बतीन, मेता भूली कर रोंदा गुमजवारू उन। जे चौक मा नालोडा ओर लोग बैठया रोंदा छा , तो देखी ता तख आज घास जमी छो । जै भीतरू मनखी रोंदा छा, तख मुशुन अपणु घोर जमेली। ज्यूँ पुंगुरू मा सदा अनाज रोंदू छो, तख बसेलु घासन आणु बड़ेली। कन पैसा वे कन शहर वे, जख पाणी भी बीन पैसान नी मीलदू। यख मनखी मनखी नी रे , सब मनखियों मा स्वार्थ वैगी। ©Shivani Thapliyal पहाड़
पहाड़
read moresandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
इस तरह पहाड़ तोड़ा गया... गंगा आज भी रो रही है..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 पहाड़
पहाड़
read moreउमेश
तुम जब आओगी मेरे पहाड़ , मैं तुम्हें उस धार में ले जाऊँगा , जहाँ से दिखता है हिमालय , और उससे आती इक नदी , दृश्य कितने नयनाभिराम , उस धार के ढुंग पर , बैठकर हम करेंगे ढेरों बात , मैं तुम्हे दूँगा इक बुराँश का फूल , जुड़े में गुँथने के लिये नहीं , खाने के लिये , राधे राधे ©उमेश पहाड़
पहाड़
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