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Kiran Kandalkar
राजवाड्यातील कन्या तू जाई मी तुझ्या अंगणातला मोगरा तुझी वेणी, मी त्यातला गजरा दोघी जणी बहिणी तुम्ही, जाई जुई मी एकटाच का बरं मोगरा. सहजच तुझ्या फुलासारखी माझ्या पानावर करून बघितली नक्षी. त्यातही हसायला लागले तुझे सखे फुलपाखरू आणि पक्षी. मऊ मखमली रंगाची तु जाई शब्द तुझे मांडतानी, लवडली माझी शाई तुझ्या वेणीत माळून मला, शेवटी तुडवू नको पाई मी तुझ्या अंगणातला मोगरा. ©Kiran Kandalkar #जाई
VARUN 'VIMLA'
नाकामियों से होशियारियां सीख रहा हूँ निभानी मैं भी यारियां सीख रहा हूँ बुरा होता है हश्र मगर फिर भी इश्क़ की बीमारियां सीख रहा हूँ वरुण " विमला " #NojotoQuote तोहरा ख़ातिर
तोहरा ख़ातिर
read moreashish prajapati
promise day quotes in Hindi जी न पाईब अगर साथ छूट जाई हो तोहसे नेहिया के बंधन के टूट जाई हो मन के नगरी से सुख सारा लुट जाई हो साथ पाईब ना त किस्मत फूट जाई हो #NojotoQuote जी न पाईब अगर साथ छूट जाई हो तोहसे नेहिया के बंधन के टूट जाई हो मन के नगरी से सुख सारा लुट जाई हो साथ पाईब ना त किस्मत फूट जाई हो
जी न पाईब अगर साथ छूट जाई हो तोहसे नेहिया के बंधन के टूट जाई हो मन के नगरी से सुख सारा लुट जाई हो साथ पाईब ना त किस्मत फूट जाई हो
read moreRamanuj Tiwari
पुरानी बहुत बात है कहानी की दिल से शुरुआत है।। देखी थी मैंने एक तस्वीर चांद सी दिखती थी तारों की जागीर।। गज़ गामिन सी चाल थी ओठ गुलाबी सी लाल थी।। केशवों के भी अपने अंदाज़ थे दरिया की लहरों से आगाज़ थे।। पतली कमर बड़ी लचकदार थी गोया सावन झूले की पेंग हर बार थी।। वज़न जवानी का था बढ़ रहा सूंदर काया का रंग था चढ़ रहा।। कौमार्यता की खुमारी थी छायी मानो घटाओं ने सूरज को है छुपायी।। तन - बदन था महक रहा जिसे पाने को दिल था तरस रहा।। संदेह एक ही दिल में समायी थी चाँद धरा पे कैसे उतर आयी थी।। सफर जिंदगानी का यूं ही कटता नहीं हमसफर हो कोई, असर पड़ता नहीं।। नज़रे टिक गयी थी सूरत में जो बदल रही थी प्यारी मूरत में।। प्यार पटरी पर थी आ गयी सूरत दिल में थी समा गयी।। दिन में रूप का नज़ारा था रात में ख्वाबों का सहारा था।। मोहब्बत -ए-जिंदगी थी चलने लगी उनकी यादों में थी शाम ढलने लगी।। तभी वहां ज़हर भरी गाज़ एक आ गिरी टूट गये सपने सभी तार-तार हुयी जिंदगी।। महकती थी कलियां जिसके प्यार में सूख गयी धरती, पानी के अभाव में।। चाहा था मैंने जिसको टूट के अब टूट जाऊंगा उनसे रूठ के।। हर वक्त सताये ये गम क्यूं टूट के चाहे थे हम।। इन होंठों पे न मुस्कान आएगी दवा न ही कोई दुवा काम आएगी।। जो मचल उठती थीं नदियां बारिश के फुहार में सूख गयीं है अब उनकी इन्तज़ार में।। दिल को तड़पाती है असफल प्यार की तीखी चुभन चांदनी में कैसे निहारते थे चाँद तारों का गगन।। यादों के संग-संग
यादों के संग-संग
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